Wednesday, October 9, 2024

ईसाईयों को चुनौती

 



ईसाईयों को चुनौती 

- स्वामी श्रद्धानन्द सरस्वती 

स्वामी श्रद्धानन्द जी द्वारा ईसाईयों से निम्नलिखित 36 प्रश्न चुनौती के रूप में पूछे गए थे। ये  प्रश्न इस प्रकार है:

1. क्या यह सत्य है कि वे उपदेश, जो ईसा मसीह के शिष्यों द्वारा लिखित माने जाते हैं, कहीं भी उपलब्ध नहीं हैं? क्या उनका कहीं अस्तित्व है? यदि कहीं है तो सिर्फ उन्हें किसी पुस्तकालय अथवा कौतुकालय में रक्खा जाना चाहिए। क्या यह पुस्तकें कहीं खोजी जा सकती हैं

2. क्या यह सत्य है कि वर्तमान ईसाई उपदेश किसी यूनानी तथा इब्रानी भाषा की हस्तलिपि के अनुवाद मात्र हैं?

3. क्या इन उपदेशों में आज इसका कोई साक्ष्य है कि ईसा मसीह किसी धर्म को स्थापित करना चाहते थे?

4. यह कथन कहां तक सही है, कि वर्तमान ईसाइयत पोल की ईसाइयत है अर्थात् सेन्ट पॉल द्वारा संस्थापित मत है? 

5. क्या यह सत्य नहीं है कि सेन्ट पोल की ईसा मसीह से भेंट नहीं हुई? और न ही उसने ईसा मसीह के कोई उपदेश श्रवण किये और न उनका भाषण ही श्रवण किया?

6. क्या यह सत्य है कि मैरी अर्थात् मरियम जो ईसा की मां थी, यूसुफ नामक बढ़ई की पत्नि थी ?

7. क्या यह सत्य नहीं है कि ईसा, यूसुफ के द्वारा विवाह के पश्चात् पैदा हुआ?

8. क्या यह सत्य है कि ईसा के अतिरिक्त मैरी के कई बच्चे और भी थे? (नोट- कुछ विद्वानों का मानना है कि मरियम की ईसा मसीह के अतिरिक्त अन्य कोई संतान नहीं थी?)

9. क्या यह सत्य है कि अपने गर्भ धारण काल में मैरी ( मरियम) अपने माता-पिता के पास नहीं रह रही थी?

10. क्या यह सत्य है कि जब उसका प्रसव काल निकट था वह जिसके पास रह रही थी वह यूसुफ ही था जो उसे सराय में ले गया, जहां मैरी (मरियम) ने ईसा को जन्म दिया?

11. क्या यह सत्य है कि ईसाइयत की पुस्तक में यह कहा गया है कि - " एक कुमारी गर्भ धारण करेगी और एक पुत्र को जन्म देगी, जो उसे इम्मानुएल के नाम से पुकारेगी?"

12. क्या यह सत्य है कि अमेरीका में प्रकाशित ओल्ड टैस्टामेंट के अंक में 'वरजिन' शब्द के स्थान पर 'यंग वोमैन' कर दिया गया है क्योंकि मूल यूनानी शब्द का अर्थ 'वरजिन' नहीं 'यंग वोमैन' है?

13. क्या यह सत्य है कि कुछ रूढ़िवादी ईसाइयों ने इस टीका के प्रति विरोध प्रकाशित किया है और अनुरोध किया है कि यदि 'वरजिन' शब्द बाईबल से गायब हो जाता है तो ईसा को 'वरजिन' द्वारा जन्म होने की बात, जिस पर ईसाइयत की नींव खड़ी है वह समाप्त हो जायेगी और उसकी Original नींव हिल जायेगी ?

14. क्या यह सत्य है कि ईसाईयाह में अंकित कुमारी से उत्पन्न पुत्र का जो इम्मानुएल नाम था वह ईसा का नहीं था? तब ईसाईयाह की भविष्यवाणी का ईसा से कैसे सम्बन्ध जोड़ा जा सकता है ?

15. यदि मैरी विवाहिता थी और उसके अनेक सन्तानें थीं तो यह विश्वास करना कहां तक उचित है कि ईसा युसूफ का बेटा नहीं था ?

16. यदि ईसा मसीह की उत्पति होली घोस्ट ( पवित्रात्मा ) से है तो उसका वर्णन अभी भी ईश्वर के पुत्र के रूप में क्यों होता है? और होली घोस्ट के पुत्र के रूप में क्यों नहीं होता?

17. क्या यह सत्य है कि ईसाइयों का एक सम्प्रदाय यह विश्वास करता है कि ईसा मसीह को कभी सूली पर नहीं चढ़ाया गया, परन्तु उसके स्थान पर किसी और को दण्ड दिया गया और ईसा के प्राण इस तरह बचाए गए ?

18. क्या यह सत्य है कि जब ईसा पर रोमन गवर्नर पौन्टियस पाइलेट के दरबार में मुकदमा चल रहा था, गवर्नर को उसकी पत्नी ने बताया कि ईसा निर्दोष है, और उसे कुछ हानि न पहुंचाई जाए?

19. क्या यह भी सत्य है कि गवर्नर भी इस पक्ष का नहीं था कि ईसा को सजा दी जाए और उसने केवल ईसा के दुश्मन यहूदियों द्वारा उठाये गए आन्दोलन के दबाव में अपनी आज्ञा प्रसारित की?

20. क्या यह सोचना तर्क संगत नहीं है कि जब गवर्नर और उसकी पत्नी ईसा को सजा देने के पक्ष में नहीं थे और उसको कोई नुकसान पहुंचाना नहीं चाहते थे, तो वे अधिकारी जिन्हें ईसा को सूली पर चढ़ाने के लिए ले जाने का कार्य सौंपा गया था, वे भी ईसा को बचाने का ही प्रयास करेंगे?

21. क्या यह सत्य है कि जब ईसा कलबरी को ले जाया जा रहा था और उसके कन्धे पर सूली थी उससे वह सूली लेली गई और भीड़ में से किसी एक और मनुष्य को दे दी गई ? 

22. क्या यह सत्य है कि जब ईसा को सूली पर कीलों से गाड़ा गया तो वह चिल्लाया और उसने अपने खुदा से बड़े जोर-जोर से चिल्ला-चिल्ला कर कहा कि - या खुदा तूने मुझे इस घड़ी में क्यों छोड़ दिया?

23. क्या इस विश्वास को, जो एक ईसाई सम्प्रदाय द्वारा माना जाता है कि ईसा कभी सूली पर नहीं चढ़ाया गया और अधिक पुष्टि नहीं हो जाती, क्योंकि स्वयं ईश्वर का पुत्र होने के कारण वह ईसा नहीं हो सकता है कि जिसने उन शब्दों को मुंह से निकाला और वह वही बेचारा व्यक्ति होगा जिसको खुशामदी अधिकारियों ने पकड़ लिया था; क्योंकि गवर्नर और उसकी पत्नी नहीं चाहते थे कि ईसा सूली पर चढ़े?

24. क्या इस विश्वास को इस बात से और सहारा नहीं मिलता कि तथाकथित सूली पर चढ़ाये जाने के तीन दिन पश्चात ईसा को उसके शिष्यों ने जीवित देखा।

25. इस मन से कि- 'ईसा सूली पर चढ़ाये जाने के पश्चात् एक प्रकार की गुफा में लेटा रहा, जहां पर वह तीन दिन बाद उठा, अपने शिष्यों से मिला और उनके ही सम्मुख सशरीर स्वर्ग को उड़ गया' क्या उपरोक्त बात अधिक तर्कपूर्ण और ठीक नहीं लगती ?

26. क्या वह सत्य है कि जब पौन्टियस  पाइलेट के मित्र एइलास लामिया ने नाजरथ के जीसस के विषय में पूछा तो उसने उत्तर दिया- 'जीसम नाजरथ'? अर्थात् नहीं मुझे यह याद नहीं, मेरे लिए उस नाम का कोई महत्व नहीं। पौन्टियस   जब रोम का गवर्नर था उसी ने जीसस क्राइस्ट को सजा दी थी। 

27. क्या यह सत्य नहीं है कि ईसा के अधिकांश जीवन का वर्णन इंजील में नहीं है?

28. क्या यह सत्य नहीं है कि कुछ लोगों के कथनानुसार उस काल में ईसा भारत अथवा तिब्बत में था, जहां ईसा द्वारा 'पर्वत पर उपदेश' में प्रसारित विचारों जैसे विचार साधारणतया माने जाते हैं और व्यवहार में लाये जाते हैं?

29. क्या ईसाई यह विश्वास करते हैं कि आदम और हव्या से उत्पन्न सब व्यक्ति पापी हैं और उस ईश्वर में विश्वास करने वालों को बचाने के लिए ईश्वर पुत्र ईसा को संसार में भेजा गया?

30. यह माना कि ईसाइयों के विश्वास के अनुसार आदम और हव्वा से उत्पन्न सब सन्तानें पापी हैं, क्या यह बात ईश्वर की बुद्धि पर प्रभाव नहीं डालती ? यदि कुम्हार द्वारा बनाये गये सभी बर्तन चटखे हुए हों तो क्या यह उसका दोष नहीं है?

31. यदि यह माना जाये कि ईश्वर ने मानव जाति पर दया की और उसे बचाने अर्थात् उस मानव जाति की रक्षा के लिए ईसा को इस दुनिया में भेजा तो ईश्वर ने लाखों वर्ष इस निर्णय को लेने में क्यों लगा दिये कि किसी रक्षक को इतने विलम्ब से भेजा जाए? यदि लाखों स्त्री और पुरुष जो पापी थे वे सभी ईसा के आने से पहले सदा के लिए नरक को चले गये, तो क्या इसका अर्थात् अन्यायी होने का दोष ईश्वर पर नहीं आता ?

32. क्या रोम या उसके किसी भी इतिहास में ईसा या उसके उपदेश अथवा उसके सूली पर चढ़ाये जाने के विषय में कोई विवरण मौजूद है ?

33. क्या यह सत्य नहीं है कि जब ईसाई पादरी यूरोप से भारत आए तो, उन्होंने भारतीय परिधान पहना और कहा कि हम पण्डित हैं और विदेश से आये हैं?

34. क्या यह सत्य नहीं है कि उन्होंने गिरजे बनाये और उनमें एक स्त्री की मूर्ति स्थापित की और कहा कि - यह शिव की पत्नी गिरजा है ?

35. क्या यह सत्य नहीं है कि ईसाई चर्च जो भारतीय भाषा में गिरजा कहलाता है?

36. क्या यह सत्य नहीं है कि कुछ ईसाई पादरियों ने गांवों के कुओं में चालाकी से डबल रोटी डाल दी और जब ये रोटियों के टुकड़े उन्होंने उसमें से निकाले तो उन्होंने घोषणा की कि वे सब हिन्दू, जो उस कुएं से पानी ले रहे थे, अब ईसाई हो गए हैं, और वे सब ग्रामवासी इस बात को कि वे ईसाई हो गए हैं, अपने अज्ञान और निर्दोषता के कारण मान गए और वे सभी लोग हमेशा के लिए ईसाई हो गए।


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