ईसाई मत समीक्षा
- श्री दीननाथ सिद्धान्तालंकार
( स्वामी दयानन्द रचित सत्यार्थ प्रकाश के 13 वें सम्मुलास के आधार पर लिखित)
ईसाई मत की समीक्षा करने से पहले महर्षि दयानन्द ने यहाँ भी एक अनुभूमिका लिखी है । ऋषि ने किस उद्देश्य से यह समुल्लास लिखा है, यह निम्न शब्दों से स्पष्ट है :-
"यह लेख केवल सत्य की वृद्धि और असत्य के ह्रास होने के लिए हैं, न किसी को दुःख देने वा हानि करने अथवा मिथ्या दोष लगाने के अर्थ.......इस लेख से यही प्रयोजन है कि सब मनुष्य मात्र को देखना, सुनना, लिखना आदि करना सहज होगा और पक्षी प्रतिपक्षी होके विचार कर इसाई मत का आन्दोलन सब कोई कर सकेंगे। इससे यह एक प्रयोजन सिद्ध होगा कि मनुष्यों को धर्म विषयक ज्ञान बढ़कर यथायोग्य सत्यासत्य मत और कर्त्तव्य-अकर्त्तव्य कर्म सम्बन्धी विषय विदित होकर सत्य और कर्त्तव्य कर्म का स्वीकार असत्य और अकर्तव्य कर्म का परित्याग करना सहजता से हो सकेगा "
निर्णय की कसौटी - आत्मा
स्वामी जी के शब्दों में प्रत्येक व्यक्ति का अपना आत्मा निर्णय के लिए बढ़िया कसौटी है । वे कहते हैं: --
"मनुष्य का आत्मा यथायोग्य सत्यासत्य का निर्णय करने का सामर्थ्य रखता है, जितना अपना पठित वाश्रुत है उतना निश्चय कर सकता है......। जो जो सर्वमान्य सत्य विषय हैं वे तो सबमें एकसे हैं, झगड़ा झूठे विषयों में होता है। अथवा एक सच्चा और दूसरा झूठा हो तो भी कुछ थोड़ा सा विवाद चलता है । यदि वादी प्रतिवादी सत्यासत्य निश्चय के लिए वाद प्रतिवाद करें तो वह अवश्य निश्चय हो जाए ।"
सृष्टि रचना-विज्ञान विरुद्ध
बाइबल के अनुसार जब प्रारम्भ में ईश्वर ने पृथ्वी बनाई, तब वह बेडौल वीर सूनी थी। पर प्रारम्भ का क्या मतलब ? क्या इससे पहले सृष्टि नहीं हुई श्री। अगर वह सूनी और बेडौल थी, तब उसे एकसाँ और ठीक डौल वाला किसने बनाया ? बाइबिल का ईश्वर निराकार, चेतन और व्यापक है पर वह सनाई पर्वत और चौथे आसमान में रहता है । जब वह निराकार है, तब किसी एक स्थान में कैसे रह सकता है ? वह विभु और सर्वज्ञ नहीं हो सकता । ईश्वर ने कहा, उजियाला होवे और उजियाला हो गया । क्या जड़ रूप उजियाला ईश्वर की बात सुन सकता है ? अगर सुन सकता है तो इस समय भी सूर्य और दीप, अग्नि हमारी बात क्यों नहीं सुनते ? प्रकाश तो जड़ होता है । ईश्वर ने आकाश को बनाया और नीचे के जल को ऊपर के जल से अलग कर दिया । फिर दिन-रात बनाए । क्या जल भी ईश्वर की बात सुन सकता है ? जब सूर्य ही नहीं था तब दिन-रात कहाँ से आ गए ? ईश्वर ने आदम को अपने स्वरूप में बनाया । तब आदम भी ईश्वर की तरह पवित्र, ज्ञानस्वरूप और आनन्दमय होना चाहिए था ?
आदम की पसली से नारी कैसे ?
आदम को कहाँ से बनाया ? मिट्टी से। तब मिट्टी कहाँ से आ गयी ? सृष्टि से पहले ईश्वर के बिना कोई वस्तु नहीं थी । जब कुछ नहीं था, तो जगत् कहाँ से बन गया ? ईश्वर ने आदम के नथुनों में श्वास फूँककर उसे जीवित बना दिया और उसे अदन के बाग में रखा। जब नथुनों में श्वास फूंका तो यह श्वास ईश्वर के अनुरूप था अथवा भिन्न ? अगर भिन्न था तो आदम ईश्वर के अनुरूप कैसे हुआ? जब आदम को अदन के बाग में रखा तो क्या उसे पता नहीं था कि उसे पुनः यहाँ से निकालना पड़ेगा ? आदम की पसली में से नारी बनाई । जब ईश्वर ने आदम को मिट्टी से बनाया तो नारी को क्यों नहीं मिट्टी से बनाया ? जब आदम की पसली निकाली, तब मनुष्य की एक पसली सदा के लिए कम हो जानी चाहिए थी और स्त्री के शरीर में एक ही पसली होनी चाहिए थी क्योंकि वह एक ही पसली से बनी है। जिस सामग्री से जगत् बनाया था, क्या उसी से स्त्री का शरीर नहीं बन सकता था ?
पेड़ का फल निषिद्ध क्यों ?
सर्प ने स्त्री को बहकाया और उसने निषिद्ध वृक्ष का फल खाया । अगर ईश्वर सर्वज्ञ है तो उसने इस धूर्त सर्प, अर्थात्, शैतान को क्यों बनाया? जब यह पेड़ ज्ञानदाता और अमर करने वाला है तो उसका फल क्यों निषिद्ध किया ? आज संसार में कोई वृक्ष ज्ञानदाता और अमर नहीं है । अगर आदम को फल खाने से ज्ञान हुआ तो ईश्वर को ईर्ष्या क्यों हुई? कई दिन के बाद काइन भूमि के फलों की भेंट ईश्वर के लिए लाया और हाबील मोटी-मोटी भेड़ लाया। ईश्वर ने काइन की भेंट का आदर न किया और हाबील की भेंट का आदर किया । इससे स्पष्ट है कि ईश्वर मांसभक्षक है। काइन और हाबील में झगड़ा पैदा करना क्या ईश्वर के लिए उचित था ? जब ईश्वर ने काइन से उसके भाई हाबील का हाल पूछा तो वया सर्वज्ञ होने से वह न जानता था ? ईश्वर के पुत्रों और आदम की पुत्रियों ने अपनी इच्छा अनुसार विवाह कर लिए । उधर, ईश्वर आदम की दुष्टता से तंग आकर पछता रहा था । हम पूछते हैं कि ईश्वर के बेटे कौन हैं ? उसकी स्त्री, सास, श्वसुर, साला सम्बन्धी कौन हैं ? आदम बनाकर यदि ईश्वर पछताता है, तो वह विद्वान् दूरदर्शी नहीं था ।
नूह की नौका में करोड़ों पशु-पक्षियों के जोड़ कैसे ?
ईश्वर ने नूह से कहा कि तू 300 हाथ लम्बी, 50 हाथ चौड़ी और 30 हाथ ऊँची नाव बनाना और अपने सारे परिवार के साथ-साथ सब प्रकार के दो-दो पशु-पक्षी साथ ले लेना । यह नाव किस कारीगर ने किस कारखाने में बनाई ? विश्व के करोड़ों पशु-पक्षी क्या इस नाव में समा सकते थे ? नूह ने इन सबको वेदी बनाकर बलि चढ़ा दिया और ईश्वर को गंध आ गई । क्या ईश्वर के नाक है सूंघने के लिए? नूह से पहले रक्षा कराई पशु-पक्षियों की, फिर बलि चढ़वाई, यह क्या बुद्धिमत्ता है ? इस प्रकार ईश्वर तो कसाई हो गया । सब लोगों ने मिलकर एक मीनार बनाकर स्वर्ग तक पहुंचने का निश्चय किया । सबकी एक ही भाषा थी । अगर सारी पृथ्वी पर एक ही बोली और एक ही भाषा थी तो ईश्वर को ईर्ष्या क्यों हुई ? उसने भाषा का झगड़ा कर मनुष्यों को एक नहीं होने दिया । यह ईश्वर जीवों की उन्नति नहीं चाहता था।
बाप से बेटियों का गर्भ
ईश्वर ने इब्राहीम से कहा कि हरेक पुरुष का खतना किया जाए, जिसका खतना नहीं होगा, वह कट जाएगा। अगर खतना इतना जरूरी था तो ईश्वर ने गुप्त स्थान के साथ इसे बनाया ही क्यों ? आज के ईसाई ईश्वर की इस आज्ञा का पालन क्यों नहीं करते ? तौरेत पर्व 18 के अनुसार ईश्वर ने इब्राहीम से बछड़ा मारकर पकाने के लिए कहा जिसे वह खाएगा। अगर ईश्वर ही गाय का बछड़ा खाने को उतावला है ,तो ग्राम लोग गाय आदि पशुओं को क्यों नहीं खाएंगे ? ईश्वर ने पहाड़ पर गंधक और आग की वर्षा की और सब भूमि उलट दी । क्या इस ईश्वर को दया न आयी ? तौरेत पर्व 19 के अनुसार लूत की दोनों बेटियों ने अपने बाप को दाख का रस पिलाया और दोनों पिता के पास रात को सोकर गर्भवती हुईं। कितनी नीचता है कि पिता-पुत्री मद्य पीकर व्यभिचार करें और लड़कियाँ गर्भवती हो जाएँ। ईश्वर ने इब्राहीम से कहा कि तू अपने इकलौते बेटे की बलि चढ़ा | जब इब्राहीम बलि चढ़ाने लगा, तब ईश्वर के दूतों ने आकर रोक दिया। क्या ईश्वर सर्वज्ञ नहीं था, जो बाद में लड़के की हत्या करने से इब्राहीम को रोक देता है ? ईश्वर ने इब्राहीम से कहा कि अपने मृतक को जलाना नहीं, गाड़ देना ताकि वह सोया रहे । अगर मृतक से इतनी ही प्रीति है तो शव को अपने घर में ही क्यों नहीं गाड़ देते ? मुर्दों को गाड़ देने से वायु दुर्गन्धमय होती है। दूसरा, गाड़ने में कितनी भूमि व्यर्थ जाती है जिस पर खेती, बागीचा लग सकता है अथवा रिहायश हो सकती थी ।
कोख को खोलकर गर्भ कैसे ?
तौरेत उत्पत्ति, पर्व 27 के अनुसार याकूबा ने अपने पिता को अहेर का माँस खिलाकर अपने लिए आशीष मांगा। क्या हत्या करके आशीर्वाद प्राप्त करना और पैगम्बर बनना शोभा देता है ? ईश्वर ने राखिल की कोख को खोला। वह गर्भवती हुई और उसके बेटा हुआ । ऐसा प्रतीत होता है कि इसाइयों का ईश्वर डाक्टर है और कोख खोलने में बड़ा होशियार है। ईश्वर रात को लावनक के स्वप्न में प्राया और उसे याकूबा को बुरा कहने से सावधान किया । स्वप्न तो प्रायः सब मनुष्यों को आते हैं ? क्या सचमुच वे ईश्वर की प्रेरणा से होते हैं और सच्चे होते हैं ।
भाई की पत्नी के पास
याकूब का मल्ल युद्ध हुआ । उसने शत्रु याकूब की जाँघ की नस को भीतर से छुआ, वह नस चढ़ गई । उसने कहा, मैं तुझे तब जाने दूँगा जब तू मुझे आशीष देगा | शत्रु ने कहा, तेरा नाम अब याकूब नहीं होगा किन्तु इजरायल होगा क्यों कि तूने ईश्वर के आगे राजा की न्याँई मल्ल युद्ध किया हैं । ईसाइयों का ईश्वर बड़ा अखाड़िया प्रतीत होता है । अगर ईश्वर अच्छा डाक्टर होता तो जाँघ की नाड़ी को अच्छा भी कर देता । उत्पत्ति पर्व 38 के अनुसार यहूदाह के कहने से ओनान अपने भाई की पत्नी के पास लेटने गया और जब वीर्य निकला तो भूमि पर गिरा दिया। ईश्वर ने उसे मार डाला। क्या नियोग करना बुरा था जो ओनान को मार डाला गया ?
ईश्वर द्वारा सब मिस्त्रियों की हत्या
यात्रा पुस्तक पर्व 2 के अनुसार ईसाइयों के एक बड़े पैगम्बर मूसा ने एक मिस्री को मार कर उसे बालू में छिपा दिया। क्या पैगम्बर के लिए दूसरे की हत्या करना उचित है ? ईश्वर ने इसराइलों को आज्ञा दी कि अपने मकान की चौखट पर लोहू की छाप लगा दो ताकि ईश्वर जब मिस्रियों को मारने आये तो इस लोहू की छाप देख कर उन्हें नहीं मारेगा। क्या ईश्वर जादू टोना करने वाला है ? क्या वह सर्वज्ञ नहीं है ? ईश्वर आधी रात को उठा और मिस्र के सब लड़के, वृद्ध और पशु तक मार डाले । क्या यह ईश्वर दयालु नहीं है अथवा नादिरशाह की तरह कत्लेआम करने वाला है ? ईश्वर ने इसराइलों से कहा कि वे मूसा के पीछे चलें और वह छड़ी लेकर समुद्र के पानी के दो टुकड़े कर बीच में से निकाल ले जाएगा । अगर ईश्वर ने उपकार ही करना था था तो रेलगाड़ी बना देता जिससे सब इसराइलों का भला हो जाता। ईश्वर ने कहा कि मै इजराइल के शत्रुओं को चार पीढ़ी तक दंड दूंगा। जब दंड ही देना था तो चार पीढ़ी तक ही क्यों, मूलोच्छेद ही कर देता ? ईश्वर ने कहा, छ: दिन कर्म कर सातवां दिन रविवार पवित्र है, ईश्वर का स्मरण कर। क्या छः दिन पाप की छूट रहेगी और ईश्वर सोया रहेगा ? मूसा ने कहा कि पुरुष के साथ रहने वाली हरेक स्त्री को मार डालो और जो कुँवारी हैं, उन्हें जिन्दा रखो । ईश्वर की यह अजब आज्ञा है । हत्या की खुली छूट है और कुमारी कन्याओं की विषय भोग के लिए रक्षा है। ईश्वर की आज्ञा से सुधा ने बैलों का बलिदान किया। आधा लहू पात्रों में रखा और आधा वेदी पर छिड़का । जब पैगम्बर बैलों का बलिदान करेगा तो गौ आदि का भी बलिदान होगा। क्या इससे जगत् की हानि न होगी ?
ईश्वर के हाथ का रूप क्यों नहीं ?
तौरेत यात्रा पुस्तक पर्व 33 के अनुसार ईश्वर ने मूसा से कहा कि पहाड़ के दरार में से मैं उठूंगा, तू मेरा पीछा देखेगा, रूप दिखाई नहीं देगा । क्या ईश्वर मनुष्य देह धारी था ? जब पीछा देखेगा तो क्या उसके हाथ का रूप न देख सकेगा?
पाप से बचने के लिए- गौ की हत्या का प्रादेश
लैव्य पुस्तक पर्व 1 के अनुसार ईश्वर कहता है कि उसके आगे बैल को मारें और बैल के लहू को चारों ओर छिड़कें, अग्नि में डालें और | ईश्वर सुगंध लेवे। क्या यह कसाई खाना है अथवा कोई यज्ञ वेदि है ? जब कोई पाप करे तो गाय, बछिया, बकरे आदि की भेंट देवे । क्या इस प्रकार जीव हत्या करने से पाप से छुटकारा मिल सकता है ? अगर भेड़ लाने की रकम न हो तो कबूतर के दो बच्चों को मार कर भेंट चढ़ाया जाए। यह मजेदार तरीका है कि पाप से छुटकारा भी हो गया और खाने को माँस भी मिल गया ।
70 हजार इसराइल ईश्वर ने मार दिए
काल के समाचार की पहली पुस्तक के अनुसार ईश्वर ने मौत भेजी और उनके 70 हजार पुरुष मार दिये। पहले तो इसराइलों पर इसराइलों पर इतना प्रेम था ' अब ईश्वर ने इतना क्रोध किया कि 70 हजार ही मार दिये । क्या विचित्र न्याय है ? ऐयूब की पुस्तक के अनुसार शैतान ईश्वर के सामने उसके भक्तों को मारता व दुःख देता है पर ईश्वर कुछ कर नहीं पाता है । शैतान से वह भी डर जाता है ।
कुंवारी मरियम के पेट से ईसा
मत्ती रचित इंजील के अनुसार, ईसा की माता मरियम की मंगनी यूसुफ के साथ हुई थी पर वह विवाह ने पहले ही गर्भवती हो गयी । ईश्वर के दूत ने कहा, यूसुफ तू डर मत, वह पवित्र आत्मा है। बिना किसी पुरुष के संयोग के स्त्री का गर्भवती होना असम्भव है, अवश्य ही किसी पुरुष से मरियम का समागम हुआ होगा । ईसा की शैतान ने परीक्षा ली, जंगल में 40 दिन और , 40 रात उपवास कराके । शैतान द्वारा ईसा की परीक्षा की क्या आवश्यकता की ? क्या कोई 40 दिन और 40 रात भूखा रह कर जीवित रह सकता है ? ईसा की पत्थर की रोटियाँ बनाने की करामत असम्भव है क्योंकि कोई भी पत्थर की रोटियाँ नहीं बना सकता । ईसा ने कहा कि तुम मेरे पीछे आओ, मैं तुम्हें मनुष्यों के मछुए बनाऊँगा । क्या यह कोई अच्छा उपदेश है ? पिता-माता की सेवा से वंचित कर लोगों को अपने जाल में फँसाना और उत्तम मनुष्य से मछुआ बना देना । ईसा ने प्रार्थना की कि हमें आज दिन भर की रोटी दे । स्पष्ट है, जब और जहाँ ईसा का जन्म हुआ, वहां लोग जँगली और भूखे थे । रोटी की ही प्रार्थना ईश्वर से करते थे । ईसा के हाथ लगाने से कोढ़ी का कोढ़ दूर हो गया । तब आज भी पादरियों के हाथ लगने से कोढ़ दूर हो जाना चाहिए । कोढ़ियों के लिए अस्पतालों की क्या जरूरत है ? मरे हुए मनुष्य ने ईसा से बात चीत की। यह असम्भव है, मृत मनुष्य कब्रिस्तान से कभी जीवित निकल नहीं सकता । ईसा ने 12 शिष्यों द्वारा हरेक के रोग और व्याधि दूर कर दी । मैं घर में लड़ाई पैदा करने से आया हूँ । अगर इन 12 शिष्यों के सब रोग दूर कर दिये थे तो आज इतने रोगी सब देशों में क्यों हैं ? क्या घर में फूट पैदा करना ही ईसा का काम था ? ईसा ने कहा कि अगर तुम तनिक विश्वास से कहोगे तो पहाड़ यहां चला जाएगा। अगर यह से बात ठीक है, तब विश्वास से ही पाप छूट जाएगे, तब फिर ईसा की पूजा और गिरजा घरों की क्या जरूरत है ?
ईसा के 12 सिंहासन और 12 कुल कहाँ ?
ईसा कहता है कि ईश्वर के राज्य में धनवान के प्रवेश करने की अपेक्षा ऊँट का सुई की नोक में से जाना सहज है । इससे स्पष्ट है कि ईसा दरिद्र था, धनवान उसकी प्रतिष्ठा नहीं करते थे, इससे चिढ़ कर उसने ऐसा लिखा होगा । ईसा कहता है कि 12 सिंहासनों पर बैठकर इसराइल के 12 कुलों का न्याय कर देगा । ये 12 सिंहासन क्या हैं और इस्राइल के 12 कुलों का ही न्याय क्यों, अन्य सब का क्यों नहीं ? यह तो स्पष्ट अन्याय है।
ईसा बड़ा क्रोधी था । उसने गूलर के एक वृक्ष को शाप दिया कि तू सूख जाएगा और तुझमें फल नहीं लगेगा । ईसा कहता है कि तारे गिर जाएंगे सूर्य प्रकाश नहीं देगा, चाँद ज्योति नहीं देगा । यह ईसा की कौन सी अनोखी विद्या से होगा ? ईसा कहता है कि जो मेरे शिष्य हैं, वे स्वर्ग में और बाकी सब अनन्त आग में जल जायेंगे । पर जब आकाश ही नहीं होगा, तब आग कहाँ रहेगी ? ईसा का एक प्रधान शिष्य इसकरियोती प्रधान याजकों के पास गया, बोला, मैं ईसा को पकड़वा दूँ तो मुझे क्या दोगे ? जो ईसा पापियों के पाप क्षमा कर सकता था वह अपने शिष्य का ही सुधार अपने जीवन काल में न कर सका। जब ईसा पकड़ा गया तो उसके शिष्य उसे छोड़कर भाग गये । क्या ईसा का अपने शिष्यों पर इतना ही प्रभाव था कि अन्त समय में वे सब धोखा दे गये ? जब ईसा को सूली पर चढ़ाया गया तब अपने जादू भरे कार्यों से सबको अपना शिष्या बना लेता। क्या ईश्वर त्रिकाल दर्शी नहीं था जो अपने पुत्र को पहले ही इस संकट की खबर दे देता ?
आदि में वचन, वचन ईश्वर के संग, वचन ही ईश्वर ?
योहन रचित सुसमाचार के अनुसार आदि में वचन था और वचन ईश्वर के संग था और वचन ईश्वर था । यह बात युक्ति हीन हैं । वचन बिना वक्ता के नहीं हो सकता, इसलिए वचन ईश्वर के संग था यह कहना व्यर्थ है और वचन ईश्वर कभी नहीं हो सकता क्योंकि जब वह आदि में ईश्वर के संग था तो पूर्व वचन था वा ईश्वर था यह नहीं हो सकता । वचन के द्वारा सृष्टि कभी नहीं हो सकती ।
ईसा के साथ 1 लाख 40 हजार लोग
योहन के प्रकाशित वक्तव्य के अनुसार मेम्ना सियोन पर्वत पर खड़ा है, उसके संग एक लाख 40 हजार लोग हैं जिनके माथे पर उसका नाम और उसके पिता का नाम लिखा है । यह गणना कैसे की गयी ? शेष करोड़ों इसाइयों के सिर पर मोहर क्यों न लगी ? क्या वे नरक में गये ? क्या सिओन पर्वत पर ईसा उसके बाप और उसकी सेना का कोई चिह्न है ? योहन प्रकाश के अनुसार ईसा का विवाह स्वर्ग लोक में हुआ है । यहाँ भूमि पर तो ईसा कुंआरा ही रहा, स्वर्ग में विवाह की भला क्या जरूरत थी ? योहन प्रकाश के अनुसार अब भूमि पर कोई पाप न होगा और ईश्वर और ईसा सिंहासन पर निरन्तर बैठे रहेंगे । पर क्या इस ईश्वर और ईसा का मुँह गोरा, काला, पीला चिपटा कैसा होगा, पृथ्वी के देशों के अनुसार । ईश्वर कहता है कि "मैं शीघ्र आता हूँ और जैसा कर्म करेगा, वैसा फल दूँगा ।"
तब ईसा सबके पाप सिर पर लेकर सूली चढ़ गया - यह बात सर्वथा मिथ्या हुई ।
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