ईसाई धर्म की निस्सारता
-शास्त्रार्थ महारथी पं शिवशर्मा जी संभल
यहूदी और ईसाई मत के सम्मिलित धर्मग्रन्थ - प्राचीन और नवीन सुसमाचार आद्योपान्त कई भाषाओं में पढ़े, परन्तु ईसाई मत की सर्वश्रेष्ठता के जितने दावे किये जाते हैं, उन सबका ही घोर खण्डन-प्रतिवाद इन्हीं के माननीय ग्रन्थों में स्थान-स्थान पर पाया ।
इनका सबसे प्रथम और आकर्षक दावा यह है कि ईसा मसीह कुवाँरी से उत्पन्न हुए थे, मरियम की यूसुफ बढ़ई के साथ केवल मंगनी-सगाई मात्र हुई थी, कि उसको गर्भवती पाया गया।
बाइबिल में मसीह के कई भाई बहिनों के नाम आते हैं । परन्तु कहीं उनके माँ-बाप के परस्पर विवाह की चर्चा नहीं मिलती ।
भाइयों ! इसलिए उनके सब भाई-बहन कुवाँरी और पवित्र आत्मा द्वारा उत्पन्न होने के कारण खुदा के बेटे और बेटियाँ क्यों नहीं माने जाने चाहिये ?
हजरत मसीह के भाई और बहन
1. वह क्या बढ़ई का पुत्र नहीं है ? क्या उसकी माता का नाम मरियम और उसके भाइयों के नाम याकूब (James) , योशी, शिमोन और जुदा नहीं हैं ? और क्या उसकी बहन हमारे यहाँ नहीं हैं ? - मरकुस 6/3
2. जब वह भीड़ से बातें कर ही रहा था, तो देखो, उस की माता और भाई बाहर खड़े थे, और उस से बातें करना चाहते थे। (मती 12/46)
3. ये सब कई स्त्रियों और यीशु की माता मरियम और उसके भाइयों के साथ एक चित्त होकर प्रार्थना में लगे रहे। - ( प्रेरितों के काम 1/14)
4. प्रभु के भाई और कैफा करते हैं?- ( 1 कुरिन्थिया 9/5)
5. परन्तु प्रभु के भाई याकूब को छोड़ और प्रेरितों में से किसी से न मिला। गलातियों -1/19
6. क्या यह बढ़ई का बेटा नहीं? और क्या इस की माता का नाम मरियम और इस के भाइयों के नाम याकूब और यूसुफ और शमौन और यहूदा नहीं?- मत्ती 13/55
क्या इन 6 प्रमाणों से यह सिद्ध हजरत मसीह के कई भाई और बहन थे ? क्या ये सब बिना विवाह के ही हो गये ? केवल हमको ही नहीं प्रत्युत् लंका के बड़े योरोपियन पादरी बैपटिस्ट होवार्ड जे० चार्टर बी० ए० बी० डी० मिशनरी ( Haward J. Charter, B. A. B. D. Baptist Missionary ) स्वयं उस प्रश्न को उठाते हैं। यथा-
There has been much controversy on the question of James exact relation to Jesus. and opinions are still divided on there two views.
1. That Jesus and his brothers Joses, Simon and Juda were the children of Joseph and Mary, and younger of our Lord.
2. That they were the children of Joseph by a former marriage.
The first of these two views is the most natural conclusion from the two verses which tell us of the relationship of Jesus to the rest of the family :Matt 13 55.
Is not this the carpenter's son ? Is not his mother called Marry? and his brothers, James and Joseph and Simon and Judas ?- Mark 6/2
Is not this the carpenter, the son of Mary and brothers of James and Joses and Judas and Simon ? And are not his sisters here with us? And they were offended in him.
The second view has some traditional support. p. 186.
It is said to have been derived from the Apocryphal Gospels of the second century, and it became popular through Origen's influence. P. 186.
(Hand book to the New Testament by Rev. Haward Baptist)
रैवरंड महोदय के लिखने का आशय यह है कि " इस बात पर विशेष चर्चा होती है कि जेम्स का - मुख्य सम्बन्ध मसीह से क्या था ?" इस विषय में दो सम्मतियाँ ठहराई गई हैं-
(1) जेम्स और उसके भाई जोसफ, सिमौन और जूडे ये यूसुफ और मरियम के पुत्र थे और हमारे प्रभु के भाई थे । यह सम्बन्ध तो वास्तविक है ।
(2) यह कि वे जेम्स आदि यूसुफ की पहली पत्नी से उत्पन्न हुए थे । पहली सम्मति के विषय में तो यह स्वाभाविक परिणाम कई आयतों से मिलता है कि यूसुफ का सम्बन्ध उसी परिवार से था। -मती 13/55 और मार्क 6/2)
इन सभी आयतों में इनको मैरी और यूसुफ के पुत्र और पुत्री कहा गया है ।
दूसरी सम्मति की प्रचलित कथानक द्वारा रिवायती - दन्तकथा के तौर पर पुष्टि होती है, वह अविश्वसनीय है। यह दन्तकथा गौस्पैल के नाम से " ओरिजन" के प्रभाव से दूसरी शब्दावली में सर्वसाधारण में फैल गई।
परिणाम यही निकलता है कि मसीह के कई सगे भाई - बहन विद्यमान थे, और ये यूसुफ बढ़ई द्वारा मरियम के गर्भ से उत्पन्न हुए थे । दो पत्नियों की कहानी मनगढ़न्त है ।
नोट - "पहलौटा" शब्द भी यही सिद्ध करता है कि मसीह के और भी भाई-बहन थे ।
अन्त में स्वयं रैवरण्ड महोदय यह परिणाम निकालते हैं- Many Christians hold this view who prefer to believe in the perpetual virginity of Mary.
But of course we must remember that preference is not proof. p. 186.
अर्थात् बहुत ईसाई मरियम के नित्यकुमारी रहने के विश्वास को विशेषता देते हैं, परन्तु उनको स्मरण रखना चाहिए कि केवल विशेषता देना कोई प्रमाण नहीं है।
इन थोड़े प्रमाणों में ही जिज्ञासु गण इस परिणाम पर महज ही में पहुंच सकते हैं कि मसीह कुमारी पुत्र नहीं थे । हमारा दावा है कि मसीह यूसूफ के वीर्य से, कई बहन भाई सहित मरियम के गर्भ से उत्पन्न हुए ।
मरने के बाद जी उठना !
ईसाइयों का दूसरा दावा यह है कि हजरत मसीह मरकर तीसरे दिन जी उठे ।
हजरत मसीह की सूली का दृश्य देखने वाले एक उसके चेले का कथन -
1. सूली पर ईसा कष्ट के कारण चिल्ला उठा और 22वाँ भजन पढ़ने लगा। ईश्वर से प्रार्थना करने लगा कि उसे इस घोर कष्ट से मुक्त करे। सूली के उपरांत जोसफ और निकोडस ने ईसा के शरीर की जाँच की। निकोडस बहुत प्रभावित हुआ और जौसफ को एकांत में ले जाकर कहा “जितनी निश्चित जीवन और प्रकृति सम्बन्धी मेरी विद्या है, उतनी ही निश्चित उसके हजरत मसीह के बचा लेने की सम्भावना है ।"
(As sure is my knowledge of life and nature. So sure is it possible to save him.) निकोडस ने उच्च स्वर से कहा -
"हमारे पास शीघ्रता से यह शव इस प्रकार होना चाहिए कि इसकी हड्डियां न तोड़ी जायें, क्योंकि यह अब भी बचा लिया जा सकता है। "
सिपाही के मसीह को भाले चुभोने पर उसके शरीर से रक्त और जल निकला । जौन तो आश्चर्य में पड़ गया, परन्तु मेरी आशालता लहराने लगी कि मसीह जीवित है।
निकोलस ने जौसफ और जौन से कहा कि
“प्रिय मित्रों ! प्रसन्न हो जाओ और मुझे कार्य करने दो। ईसा मरा नहीं है । वह मरा हुआ-सा इसलिये प्रतीत होता है कि वह बलहीन हो चुका है ।"
जौसफ तो पिलेट के साथ रहा और मैं अपनी बस्ती में जाकर ऐसी औषधि लाया जो ऐसे समय उपयोगी हो सके। इसके बाद उसको सूली पर से उतारकर भूमि पर रक्खा और स्वच्छ पट्टियों के बड़े बड़े टुकड़ों पर उसने आघातपूरक जख्मों को भरने वाले गन्धयुक्त द्रव्यों और मरहमों को फैलाया जो वह अपने साथ लाया था, जिनका प्रयोग हमारे संगठन को भी ज्ञात था ।
मृतवत् मूर्च्छित को चैतन्य करने की विद्या इसीर जानते थे । निकोडस ने सारे घावों पर सुगन्धित मरहम भर दिया । जब उस पुजारी के कायर भृत्यों ने श्वेत वस्त्रधारी हमारे भाई को पहाड़ पर से उतरते देखा । (इञ्जील में इसको फरिश्ता कहा गया है) उन्होने सोचा कि एक देवदूत पर्वत से उतर रहा है।
एक रक्षक युवक को वर्णनातीत प्रसन्नता हुई कि जब उसने देखा कि ईसा के होंठ हिले और उसने श्वास ली । वह शीघ्र ही उसके पास चला गया और छाती से उठती हुई धीमी नाद उसने सुनी । मुखाकृति बदल गई । आँखें खुली । ईसा ने आश्चर्य के साथ हमारे संघटन के नव छात्र को ध्यानपूर्वक देखा ।
ईसा ने अपने इसी मित्र को पहचान लिया । उसकी आँखें हर्ष से फड़कने लगीं । उसके गालों में हलकी उदासी लाली छा गई । और वह कहता हुआ उठ बैठा कि "मैं कहां हूँ ?" जोसफ ने सारा बीता हुआ वृतान्त कह सुनाया।
ईसा ने खा-पीकर और चंगा होकर कहा -
" अधिक काल तक रहने के योग्य यह स्थान नहीं है, क्योंकि शत्रुओं पर सुगमता से हमारा गुप्त भेद खुल जायेगा, और हमको बन्दी कर लेंगे ।" परन्तु ईसा स्वयं चलने योग्य नहीं था ।
अत: वह एक गृह में, जो हमारे संगठन का था, पहुंचाया गया। कब्र से पट्टी और औषधि हटाकर उनके चिन्ह मिटा दिये गये । कुछ स्त्रियाँ वहाँ येरोशलम से आई थी । तब हमारे भाईयों को उन्होनें वहाँ पर देखा, और वह उन दोनों भाइयों को देवदूत - फरिश्ते समझने लगीं (यहीं से ही वहम बढ़ने लगे, कुछ का कुछ समझा जाने लगा ) ईसा को अपने शिष्यों को शिक्षा देने की इच्छा उत्पन्न हुई ।
तीसरा दावा ईसाइयों का है कि हजरत मसीह ने सबके पापों के कारण अपने को बलिदान किया । जो ईसाई मिशनरी आदि इस प्रकार का प्रचार करते हैं, या तो उन्होंने अपनी इंजील को ध्यानपूर्वक नहीं पढ़ा या जान बूझकर संसार को बहकाते हैं । कृपया नीचे लिखे वाक्य पढ़िये
1. हे मेरे पिता ! जो हो सके तो यह कटोरा - (सूली की मृत्यु ) पास से टल जाय । ( मती 26/39)
2. यदि हो सके तो यह घड़ी ( मौत ) उससे टल जाय । - मरकुस 14/35
3. यह बात कहकर यीशू आत्मा में व्याकुल (घबड़ाया) हुआ। -( योहन्ना 13-21)
4. उस ने अपनी देह में रहने के दिनों में ऊंचे शब्द से पुकार पुकार कर, और आंसू बहा बहा कर उस से जो उस को मृत्यु से बचा सकता था, प्रार्थनाएं और बिनती की और भक्ति के कारण उस की सुनी गई। ( इब्रानियों को पत्र 5/7)
5. यीशू ने बड़े जोरों से पुकार कर कहा -
"एलीएली लामा शवकतनी" अर्थात् हे मेरे ईश्वर ! तूने क्यों मुझे। ( मती 27/4 )
क्या स्वयं प्रसन्नता के साथ देश और जाति पर बलिदान होने वालों की यही चीख पुकार होती है ? सुनो शहीद स्वर्गीय भगत सिंह के फाँसी के तख़्त के समीप जाते हुए वचन -
मेरा रंग दे बसन्ती चोला......... आदि ।
हजरत योहन्न और हजरत मसीह
यदि पवित्र आत्मा से हजरत मसीह का उत्पन्न होना माना जाय, तो हजरत योहन्न भी पवित्र आत्मा से भरपूर थे ।
1. (योहन्न) अपनी माता के गर्भ से ही पवित्र - आत्मा से परिपूर्ण हो गया।- लूका 1/15
2. और इलीशिवा ( योहन्न की माता ) पवित्र आत्मा से परिपूर्ण हुई । - लूका 1/41
3. तब उसका ( योहन्ना का ) पिता जखरिया आत्मा से परिपूर्ण हुआ।- लूका 1/67
हजरत योहन्ना ने हजरत मसीह को शुद्ध किया अर्थात् - बपतिस्मा देकर निष्पाप किया, दूसरे शब्दों में प्रायश्चित कराया । यथा
1. उस समय यीशु गलील से यरदन के किनारे पर यूहन्ना के पास उस से बपतिस्मा लेने आया। -मत्ती 3/13
2. और यीशू बपतिस्मा लेकर तुरन्त पानी से ऊपर आया।- मत्ती 3/16
3. और उसी पानी का दृष्टान्त भी, अर्थात बपतिस्मा, यीशु मसीह के जी उठने के द्वारा, अब तुम्हें बचाता है; ( उस से शरीर के मैल को दूर करने का अर्थ नहीं है, परन्तु शुद्ध विवेक से परमेश्वर के वश में हो जाने का अर्थ है )।- 1 पतरस 3/21)
4. और वह यरदन के आस पास के सारे देश में आकर, पापों की क्षमा के लिये मन फिराव के बपतिस्मा का प्रचार करने लगा।। -(लूका 3/3 )
हजरत मसीह को हजरत योहन्न ने बपतिस्मा किसलिये दिया ?
-ईश्वर के साथ सीधे विवेक के लिये । पापमोचन के लिये । प्रायश्चित के लिये ।
अब पाठकगण स्वयं विचार करें कि हजरत मसीह खुदा या खुदा के बेटे थे या नहीं ? साथ साथ यह भी विचारें कि योहन्न बपतिस्मा देने वाला बड़ा था या बपतिस्मा लेने वाला - शुद्धि कराने वाला हजरत मसीह बड़ा था ? इसकी साक्षी स्वयं इंजील ही है । यथा -
"मैं तुम से सच कहता हूं, कि जो स्त्रियों से जन्मे हैं, उन में से यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले से कोई बड़ा नहीं हुआ; पर जो स्वर्ग के राज्य में छोटे से छोटा है वह उस से बड़ा है।"-मती 11/11
हजरत मसीह भी स्त्री से जन्मे थे, अतः वह भी योहन्न से बड़े नहीं हो सकते। फिर खुदा या खुदा के बेटे कैसे हो गये ?
योहन्न की माता बूढ़ा होने के कारण पुत्र उत्पन्न नहीं कर सकती थीं, और ईसाइयों के कथनानुसार हजरत मरियम कुवाँरी होने से सन्तान उत्पन्न नहीं कर सकती थीं। दोनों ही पवित्र आत्मा से उत्पन्न होने के कारण खुदा के बेटे होने चाहिये ।
ईसाई मत में हिंसा
1. सब मनुष्य पशु सरीखे ज्ञानरहित हैं।- यिर्मयाह 10/14
2. यदि कोई प्रभु से प्रेम न रखे तो वह स्त्रापित (शापित) हो।- 1 कुरिन्थियों 16/21
3. अगर तुम्हारे पास कोई आवे यह शिक्षा (ईसाई शिक्षा ) न लावे तो घर में आने न दो, और उससे प्रणाम न करो। - 2 यूहन्ना 1/10
4. पवित्र वस्तु कुत्तों को न दो, और अपने मोती सूअरों के आगे मत डालो। - मत्ती 7/6
5. सो क्या हुआ? केवल यह, कि हर प्रकार से चाहे बहाने से, चाहे सच्चाई से, मसीह की कथा सुनाई जाती है, और मैं इस से आनन्दित हूं, और आनन्दित रहूंगा भी। ( फिलपियों को खत 1/18 )
6. यदि मेरे झूठ के कारण परमेश्वर की सच्चाई उस को महिमा के लिये अधिक करके प्रगट हुई, तो फिर क्यों पापी की नाईं मैं दण्ड के योग्य ठहराया जाता हूं?-(रोमिओ 3/7)
7. उन लोगों से ऐसा बर्ताव करना, कि उनकी वेदियों को ढा देना, उनकी लाठों को तोड़ डालना, उनकी अशेरा नाम मूत्तिर्यों को काट काटकर गिरा देना, और उनकी खुदी हुई मूर्तियों को आग में जला देना। - व्यवस्था विवरण 7/5
8. यदि तेरा सगा भाई, वा बेटा, वा बेटी, वा तेरी अर्द्धांगिन, वा प्राण प्रिय तेरा कोई मित्र निराले में तुझ को यह कहकर फुसलाने लगे, कि आओ हम दूसरे देवताओं की उपासना वा पूजा करें, जिन्हें न तो तू न तेरे पुरखा जानते थे, चाहे वे तुम्हारे निकट रहने वाले आस पास के लोगों के, चाहे पृथ्वी के एक छोर से लेके दूसरे छोर तक दूर दूर के रहने वालों के देवता हों, तो तू उसकी न मानना, और न तो उसकी बात सुनना, और न उस पर तरस खाना, और न कोमलता दिखाना, और न उसको छिपा रखना; उसको अवश्य घात करना; उसके घात करने में पहिले तेरा हाथ उठे, पीछे सब लोगों के हाथ उठे।- व्यवस्था 13/6-9
9.छ: दिन तो काम काज किया जाए, परन्तु सातवां दिन तुम्हारे लिये पवित्र और यहोवा के लिये परमविश्राम का दिन ठहरे; उस में जो कोई काम काज करे वह मार डाला जाए। - निर्गमन 35/2
नोट - ईसाइयों ने तो मुसलमानों को भी मात कर दिया ! उनके कुरान में भी ऐसी आज्ञा नहीं कि जो जुमे के दिन कोई कार्य करे तो कत्ल कर दिया जाय !!
10. और देखते रहो; और यदि शीलो की लड़कियां नाचने को निकलें, तो तुम दाख की बारियों से निकलकर शीलो की लड़कियों में से अपनी अपनी स्त्री को पकड़कर बिन्यामीन के देश को चले जाना।- न्यायियों 21/21
11.परन्तु स्त्रियां और बालबच्चे, और पशु आदि जितनी लूट उस नगर में हो उसे अपने लिये रख लेना; और तेरे शत्रुओं की लूट जो तेरा परमेश्वर यहोवा तुझे दे उसे काम में लाना।- विवरण 20/14
12. और अपना भोजन जव की रोटियों की नाईं बना कर खाया करना, और उसको मनुष्य की बिष्ठा से उनके देखते बनाया करना। -यहजेकेल 4/12
नोट - ईसाइयों ने तो वाममार्गियों की भी नीचा दिखला दिया !!
ईसा मसीह मनुष्य मात्र था।
1. मनुष्य के पुत्र को पृथ्वी पर पाप क्षमा करने का अधिकार है। - मत्ती 9/6
2. मनुष्य का पुत्र आ जाएगा। - मत्ती 10/23
3. मनुष्य का पुत्र तीन रात दिन पृथ्वी के भीतर रहेगा।- मत्ती 12/40
4. मनुष्य का पुत्र मनुष्यों के हाथ में पकड़वाया जाएगा।- मत्ती 17/21
यह है ईसाई मजहब के खोखलापन और उसकी पोलें ! जिन पर हमारे ईसाई भाई दुनिया को बहकाने का प्रयत्न करते हैं ? हमारा आर्य समाज की ओर से उन्हें निमन्त्रण है कि सत्य वैदिक ज्ञान की शरण में आकर शान्तियुक्त और ज्ञान का आनन्द प्राप्त करें । परमात्मा उन्हें सद्बुद्धि प्रदान करें, यही चाह है ।
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