ईसा और मरियम
डॉ श्रीराम आर्य
ईसाई मत के अनुसार ईसाई मजहब का आरम्भ ईसा मसीह से हुआ था जो यहूदी परिवार में पैदा हुए थे । उनका जन्म “ बेतलेहम " नामक नगर में हुआ था जो कि आजकल इस्त्राइल अर्थात् इज़राइल देश में है। ईसा की माता का नाम मरियम था । मरियम के पिता का नाम कुरान शरीफ पारा 3 सूरत आलेइम्रान रूकु 4 आयत 35 में “ इमरान" लिखा है। यहाँ कुरान में सूरा आलेइम्रान में लिखा है कि-
देवी मरियम जकर्याह की संरक्षता में रहती थी।-(कुरान यजीद सूरा इम्रान, आयत 37 )
इससे अनुमान होता है कि देवी मरियम के पिता का निधन उसकी बाल्यावस्था या माता की गर्भवस्था के समय में ही हो गया था अन्यथा पिता की उपस्थिति में जकर्याह को संरक्षक न बनाया गया होता। समय बीतने पर मरियम बड़ी हुई और विवाह योग्य उम्र होने पर कुमारी मरियम का विवाह 'यूसुफ' नाम के एक बढ़ई से कर दिया गया। इस सम्बन्ध में बाइबिल के अन्दर लिखा है-
“ और याकूब से यूसुफ उत्पन्न हुआ जो मरियम का पति था जिससे 'यीशू' जो मसीह कहलाता है उत्पन्न हुआ।”-( बाइबिल नया विधान, मती 1/16) इसमें बहुत स्पष्ट शब्दों में बताया गया है कि ईसा मसीह का जन्म पिता यूसुफ से व माता मरियम से हुआ था। इसमें कोई सन्देह की बात नहीं हो सकती है किन्तु ईसा के जन्म को चमत्कारपूर्ण सिद्ध करने के लिये इसी मत्ती की इन्जील अर्थात् बाइबिल में आगे लिखा गया है, देखिये-
“ अब यीशू मसीह का जन्म इस प्रकार से हुआ कि जब उसकी माता मरियम की मंगनी यूसुफ के साथ हो गई तो उनके इकट्ठे होने अर्थात् सुहागरात से पहिले ही मरियम पवित्रात्मा की ओर से गर्भवती पाई गई। "-( बाइबिल नया विधान मती, 1/18)
यह विवरण सर्वथा गलत निन्दनीय तथा अमान्य होना चाहिये। क्योंकि इससे देवी मरियम के चरित्र पर भयंकर कलंक लगता है।
विवाह होने से पूर्व कोई भी कुंवारी लड़की यदि गर्भवती हो जाती है तो इससे उसके चरित्र पर दोष आता है। विश्व का कोई भी डॉक्टर यह नहीं मान सकता है और न किमी भी समझदार व्यक्ति को यह स्वीकार हो सकता है कि बिना किसी पुरुष से संयुक्त हुए या बिना वीर्यधान के किसी भी स्त्री को किसी बालक का गर्भ रह सकता है। गर्भस्थ बालक के शरीर के अवयवों के निर्माण के लिए पिता के शरीर के तत्व का माता के शरीर के तत्व से मिश्रण होने पर ही गर्भ में बालक के शरीर के अंगोपांगों का निर्माण व विकास सम्भव हो सकता है। बिना पुरूष संयोग के किसी-किसी स्त्री को मूढ़ गर्भ का विकास हो जाता है जो कि रक्त या मांस का एक लोथड़ा मात्र ही होता है, वह किसी बालक का शरीर नहीं होता है। यदि मरियम को बिना किसी पुरुष के संयोग गर्भ रह गया होता तो ईसा का जन्म न होकर वह केवल हड्डी, नाखून, दाडी-मूंछ विहीन, मात्र रक्त और मांस का एक निर्जीव लोथड़ा ही पैदा होता, न कि " ईसा " नाम का मनुष्य पैदा होता।
अतः बाइबिल का यह कहना कि- “बिना पुरूष से संयोग हुए मरियम को कुंआरेपन में ईसा का गर्भ रह गया था" एक निरर्थक गल्प अर्थात् गपोड़ा ही है।
बाइबिल का यह कहना है कि- “ गर्भ पवित्र आत्मा से ठहरा था " यह कथन भी विवादास्पद है। पवित्रात्मा से तात्पर्य यदि किसी पवित्र फरिश्ते से लिया जायेगा तो बाइबिल की बात स्पष्ट गल्प सिद्ध होगी क्योंकि ईसाई व इस्लाम में फरिश्तों का मनुष्य जैसी हाड़-मांस व शक्ल आदि की देह नहीं मानी गई और वीर्य तत्व की उत्पत्ति चालू सृष्टि में केवल हाड़-मांस के शरीर में ही हो सकती है। जिससे बालक का शरीर गर्भाश्य में बन सकता है।
फरिश्ते चाहे वे पवित्रात्मा हों या दुरात्मा ? वे बिना शरीर वाले होने से गर्भाधान नहीं कर सकते। हाँ ! यदि पवित्रात्मा का अर्थ पवित्र पुरूष लिया जायेगा तो अविवाहित मरियम के उस आदमी के साथ संयोग करने से गर्भ रहना प्रत्येक दृष्टि से सम्भव हो जायेगा। किन्तु ऐसा मानने पर ईसा का जन्म कोई चमत्कार नहीं रह जावेगा। साथ ही मरियम का अविवाहित अवस्था में किसी पुरूष से संयोग होना देवी मरियम के चरित्र की कमजोरी भी सिद्ध करेगा । किन्तु बाइबिल किसी मर्द से देवी मरियम का विवाह से पूर्व संयोग होना स्वीकार नहीं करती है। ऐसी दशा में फरिश्ते से देवी मरियम को गर्भाधान हो जाने की बात भी नहीं मानी जा सकती है।
ईसा के गर्भ रहने की कहानी के सम्बन्ध में बाइबिल में साफ-साफ लिखा है कि- परमेश्वर की ओर से गब्रिएल नामक स्वर्गदूत गलील प्रदेश के नासरत नगर में एक कुँआरी के पास भेजा गया ॥26॥
जिसकी मंगनी राजा दाऊद के वशंज यूसुफ नामक पुरूष से हुई थी उस कुँओरी का नाम मरियम था॥27॥
स्वर्गदूत ने उससे कहा--
हे मरियम ! भयभीत न हो क्योंकि परमेश्वर का अनुग्रह तुझ पर हुआ है ॥30॥ और देख तू गर्भवती होगी, और तेरे एक पुत्र उत्पन्न होगा, तू उसका नाम 'यीशू' रखना ॥31॥ मरियम ने स्वर्गदूत से कहा- यह कैसे सम्भव होगा? मैं तो उस पुरूष को जानती ही नहीं ॥34 ॥
स्वर्गदूत ने उसको उत्तर दिया कि-पवित्र आत्मा तुझ पर उतरेगा, और परम प्रधान परमेश्वर का सामर्थ्य तुझ पर छाया करेगा, इसलिए वह जो आपसे उत्पन्न होने वाला है पवित्र होगा और परमेश्वर का पुत्र कहलाएगा ॥ 35 ॥ मरियम ने कहा- देख मैं प्रभू की दासी हूँ मुझे तेरे वचन के अनुसार गर्भ हो । तब स्वर्गदूत उसके पास से चला गया ॥ 38 ॥ ( बाइबिल नया विधान, लूका 1/26-38)
यह कहानी निश्चित रूप से बाद की गढ़ी गई है। फरिश्ते या जिन्नों का कोई अस्तित्व विश्व में कहीं नहीं है। पुराने अन्धविश्वासी लोगों की यह सब मिथ्या मान्यतायें थीं। उसी आधार पर लूका ने ईसा को कुँवारी से उत्पन्न होने वाला सिद्ध करने के लिए यह कथा गढ़ी थी। यह कथा भी देवी मरियम के पवित्र चरित्र पर कलंक लगाती है।
यदि देवी मरियम कुँवारी कन्या थी और सदाचारिणी थी तो उसे कुँवारेपन में फरिश्ते से गर्भ रहने की बात सुनते ही ग्रिब्रिएल फरिश्ते के मुंह पर कस कर जूते मारना चाहिए था। कोई भी सच्चरित्र कुँआरी कन्या यह शब्द बर्दास्त नहीं कर सकती है कि कोई उससे कहे कि-
तेरे लड़का पैदा होगा, इत्यादि । ऐसे गन्दे वाक्यों को सुनना भी किसी ऊँच चरित्र वाली कुँवारी लड़की के लिए बड़ी शर्म की बात होती है। किन्तु हम देखते हैं कि देवी परियम को इन बातों को सुनकर कोई लज्जा या संकोच नहीं हुआ बल्कि उसने प्रसन्न होकर फरिश्ते से कहा कि- "मुझे ऐसा ही हो। " अर्थात उसने पवित्रात्मा से गर्भ धारण करना प्रसन्नतापूर्वक स्वीकार कर लिया।
गर्भ भी किसी के आशीर्वाद का हुआ ये नहीं कहा बल्कि गब्रिएल फरशो ने खुले शब्दों में बता दिया कि" और देख तू गर्भवती होगी" ॥32॥ " पवित्र आत्मा तुझ पर उतरेगा ॥35 ॥ ( बाइबिल नया विधान, लूका, 1/31,35)
इन दोनों वाक्यों ने गर्भाधान का स्वाभाविक प्रकार भी बता दिया है जो कि सभी प्राणियों और मनुष्यों में प्रचलित है। यह प्रकार गर्भधारण का विश्व भर में सदैव मानव जाति में विवाहित स्त्री पुरूषों के लिए ही विहित माना जाता रहा है।कुँआरी कन्याओं में इसे बुरा व निषिद्ध माना गया है । इस प्रकार देवी मरियम का प्रसन्नतापूर्वक कुँआरेपन में स्वेच्छा से गर्भ धारण करना आपत्तिजनक अर्थात् कानून के विरूद्ध था।
मरियम यहूदी वंशीय कन्या थी। यहूदी जाति का धर्मग्रन्थ अर्थात ईश्वरीय पुस्तक 'तौरेत' कहलाता है। उसका कानून भी इस विषय में देखना आवश्यक होगा। कुँआरे स्त्री पुरूषों के बारे में जो कि व्यभिचार करते हैं, उनके लिए क्या दण्ड व्यवस्था उसमें दी गई है ? हम वह नीचे देते हैं, देखिये यहुदियों का धर्म ग्रन्थ तौरेत इस विषय में क्या कहता है? -
"यदि किसी कुँआरी कन्या के विवाह की बात लगी हो और कोई दूसरा पुरूष, उसे नगर में पाकर उससे कुकर्म करे ॥23॥
तो तुम उन दोनों को उस नगर फाटक के बाहर ले जाकर उनको पत्थराव करके मार डालना, उस कन्या को तो इसलिए कि वह नगर में रहते हुए भी नहीं चिल्लाई और उस पुरूष को इसलिए कि उसने अपने पड़ोसी की स्त्री की पत- पानी ली है, इस प्रकार तू अपने मध्य में से ऐसी बुराई को दूर करना ॥24॥
परन्तु यदि कोई पुरूष किसी कन्या को जिसके विवाह की बात लगी हो, उसे मैदान में पाकर बार-बार उससे कुकर्म अर्थात् बलात्कार करे तो केवल वह पुरूष मार डाला जाये जिसने कुकर्म किया हो ॥25॥
और उस कन्या से कुछ न कहना क्योंकि उस कन्या का पाप प्राण दण्ड के योग्य नहीं, क्योंकि जैसे कोई अपने पड़ोसी पर चढ़ाई करके उसे मार डाले वैसे ही यह बात भी ठहरेगी ॥26॥
कि उस पुरूष ने उस कन्या को मैदान में पाया और वह चिल्लाई तो सही, परन्तु उसे कोई बचाने वाला न मिला ॥ 27॥ (तौरेत व्यवस्था विवरण अध्याय 22 ) इस यहूदी शास्त्र की व्यवस्था के अनुसार स्वेच्छा पूर्वक गर्भ धारण करने वाली होने से मरियम पत्थर मार-मारकर मार डालने योग्य थी क्योंकि लूका के अनुसार पवित्रात्मा से उसने अपनी राजी से गर्भाधान कराया था, न तो वह चिल्लाई थी और न ही उसने पवित्रात्मा को गर्भाधान करने से रोका था।
यदि यहूदियों को यह बात पता लग जाती तो देवी मरियम को अवश्य मार डाला जाता *। यह रहस्य तब खुला जब उसकी मंगनी यूसुफ (बढ़ई ) के साथ हो गई और वह उसके पास गया जैसा कि बाइबिल में लिखा है देखिये-
अब यीशू मसीह का जन्म इस प्रकार से हुआ कि जब उसकी माता मरियम की मंगनी यूसुफ के साथ हो गई तो इनके इकट्ठे अर्थात् संयुक्त होने से पहिले वह पवित्र आत्मा की और से गर्भवती पाई गई ॥18॥
सो उसके पति यूसुफ ने जो धर्मी था और उसे बदनाम करना नहीं चाहता था उसे चुपके से त्याग देने कि मनसा की ॥ 19 ॥ (मत्ती 1/18-19 )
इससे स्पष्ट है कि- देवी मरियम के विवाह से पहिले गर्भवती होने की बात यूसुफ से भी गुप्त रखी गई थी।
बाइबिल के अनुसार यूसुफ देवी मरियम को गर्भवती पाकर घबड़ा गया था और उसे छोड़ देने कि बात सोचने लगा था। इससे प्रतीत होता है कि देवी मरियम पर उसे तरस आ गया होगा और उसने देवी मरियम की प्राण रक्षा करने के लिए यह बात किसी पर प्रकट नहीं होने दी होगी।
'मत्ती' इस बात को छिपाने के लिए एक कल्पित कहानी गढ़ता है, उसे भी देखिये-
जब यूसुफ मरियम को त्यागना चाहता था तो प्रभु का दूत उसे स्वप्न में दिखाई देकर कहने लगा, हे यूसुफ ! दाऊद की सन्तान तू अपनी पत्नी हे मरियम को अपने यहां ले आने से मत डर क्योंकि जो उसके गर्भ में है वह पवित्रात्मा की ओर से है | ॥२०॥ (मत्ती 1/20)
यह सब काल्पनिक विवरण ईसा को खुदा का बेटा सिद्ध करने के लिये फर्जी गढ़ा गया प्रतीत होता है। यदि ईसा, देवी मरियम से उसके कुँवारेपन के गर्भ से उत्पन्न हुआ था तो निश्चयपूर्वक यहूदी कानून के अनुसार उसे मृत्यु से बचाने के लिए यह स्वप्न की कहानी यूसुफ द्वारा फर्जी गढ़ी गई है, यह हर बुद्धिमान व्यक्ति स्वीकार करेगा। यह मान लेने के बाद कि यूसुफ से ही मसीह का जन्म हुआ था मरियम का चरित्र स्वच्छ व पवित्र बताया जा सकता है।
इससे ईसा मसीह को भी मरियम की अवैध सन्तान कहने का किसी को अवसर नहीं मिल सकता है। इसके विपरीत जो किताब इन्जील तथा जो कोई ईसाई पादरी ईसा को मरियम के कुँवारेपन के अवैध गर्भ से उत्पन्न हुआ बताते हैं वे सब देवी मरियम व ईसा मसीह के पवित्र चरित्र के शत्रु हैं, वे उनको बलात कलंकित करते फिरते हैं। बाइबिल ( पुराना नियम ) मूलतः हिब्रू अर्थात् इब्रानी भाषा में लिखी गई थी। अंग्रेजी व अन्य भाषाओं में उसके अनुवाद ही छपे हैं। हिब्रू भाषा की बाइबिल में मरियम के लिए 'आमला' शब्द का प्रयोग किया गया है जिसका अर्थ होता है 'जवान औरत'। कुँवारी लड़की के लिए 'बतोला' शब्द का प्रयोग होता है यदि मरियम कुँवारी होती तो उसके लिए भी 'आमला' के स्थान पर 'बतोला' लिखा गया होता, यह भी मरियम को जवान विवाहित औरत प्रमाणित सिद्ध करता है।
अतः ईसा का जन्म मरियम के कुँवारेपन के गर्भ से हुआ हो यह बात बुद्धि विरूद्ध है, तथा यहूदी कानून के विरूद्ध है, नैतिकता के विरूद्ध है, और स्वयं मत्ती के पहिले कहे हुए वाक्य के विरूद्ध है, तथा हिब्रू अर्थात इब्रानी भाषा में छपे मूल बाइबिल के भी उक्त प्रमाण के विरूद्ध है। यदि ईसाइयों की मान्यता के अनुसारईसा कुंवारी मरियम के गर्भ से पैदा होने की बात मानी जावेगी तो संसार में दुर्बल चरित्र की कुँवारी लड़कियाँ जो गर्भवती हो जाती हैं वे भी खुदा या फरिश्ते से अपने गर्भाधान की बात कहने को स्वतन्त्र होंगी और उन्हें भी सच्चा मानना पड़ेगा।
ईसा को यहूदी लोगों ने पकड़ कर सूली पर चढ़ा दिया और वह अपने खुदा से इमदाद माँगने के लिए रोता रहा और ऐली - ऐली कहकर चिल्लाता रहा, परन्तु उसका खुदा मौन चुप्पी साधे बैठा देखता रहा। क्या कोई खुदा या उसके बेटे को भी कत्ल कर सकता है? जिसकी हत्या इन्सान कर डाले वह न खुदा होगा, न मुक्तिदाता होगा और न खुदा का बेटा ही हो सकता है। सभी लोगों को ईसाइयों के इस झूठे प्रचार से सावधान रहना चाहिये।
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