Tuesday, October 22, 2024

ईसा के जीवन में श्रीकृष्ण के जीवनचरित्र की नकल




 ईसा के जीवन में श्रीकृष्ण के जीवनचरित्र की नकल

-डॉ० श्रीराम आर्य

ईसा मसीह के जीवन की घटनाओं व कार्यों का जो कुछ भी विवरण न्यू टेस्टामेंन्ट में बाइबिल में मिलता है उसे ध्यानपूर्वक देखने पर भारतीय साहित्य के स्वाध्यायशील विद्वानों को यह सन्देह होने लगता है कि क्या कभी ईसा मसीह नाम का कोई एतिहासिक व्यक्ति हुआ भी है अथवा नहीं ? अथवा वहां के रहने वालों ने भारतीय श्रीकृष्ण जी के जीवन की पौराणिक कथाओं को तोड़ मरोड़ करके श्रीकृष्ण जी के स्थान पर कृष्ण को ही क्राइस्ट के रूप में कल्पित करके अपना आदि सम्प्रदाय प्रवर्तक बना लिया है । इस विषय में हम निम्नलिखित आधार दोनों के जीवन में घटनाओं की समानता का देखते हैं ।

1. भगवान् विष्णु ने स्वयं देवकी के गर्भ में आकर श्रीकृष्ण के रूप में जन्म लिया (भागवत 10/2/17-20) । इसी की नकल में लूका 1/35  में लिखा गया है कि 'पवित्र आत्मा तुझ पर उतरेगा और परम प्रधान की सामर्थ तुझ पर छाया करेगी । इसलिए वह पवित्र जो उत्पन्न होने वाला है, परमेश्वर का पुत्र कहलाएगा ।"

2. देवकी ने कहा 'इस पापी कंस को यह बात मालूम न हो कि आपका जन्म मेरे गर्भ से हुआ है । मेरा धैर्य टूट रहा है, मैं बहुत डर रही हूं । (भा 10/2,29) । इसकी नकल में गर्भिणी मरियम का घबराना लूका 1/30 में लिखा है ।

3. श्रीकृष्ण जी ने जन्म लेते ही अपने माता-पिता को अपने असली वैष्णवी रूप के दर्शन दिए थे (भा०10/3/30 इसी की नकल में माना जाता है कि क्राइस्ट ने पैदा होते ही अपनी माता मरियम से कहा कि मैं खुदा का बेटा हूं | ( pp. 22 Col. Life of V. C. by Deam Farear)

4. श्रीकृष्ण के जन्म पर देवताओं ने आकर भारी आनन्दोत्सव मनाया ( भा० 10/3/5-8)। इसी की नवल में लूका 1/13-14 में देवदूतों की सेवा कर प्रकट होकर ईसा के जन्म ले पर आनन्द उत्सव मनाना लिखा है।

5. श्रीकृष्ण ने वसुदेव की प्रार्थना पर कहा कि मुझे नन्द गोप के यहां कर जाओ । उसी की नकल में मत्ती 2/13 में स्वप्न में देवदूत से यूसुफ को कहलवाया गया है कि 'उस बालक और उसकी माता को लेकर मिश्र देश को भाग जा और जब तक मैं न कहूं, तब तक वहीं रहना, क्योंकि हिरोदेश इस बालक को ढूंढने पर है कि उसे मरवा डाले ।' यह बात कंस के देवकी पुत्रों को जन्मते ही ढूंढ़कर मार डालने की नकल पर गढ़ी गई है और कृष्ण की ही तरह ईसा को अयन्त्र भिजवाया गया है, क्योंकि वसुदेव कृष्ण को ( भाग 10/3/4)-51) नन्दघर को ले गए थे। उसी की नकल में यूसुफ का मिश्र से लौटाकर (नन्द घर की नकल पर ) नासरत को जाना लिखा है (मत्ती 2/23) यहां नन्दघर और नासरत शब्दों की सहभ्यता भी देखने योग्य है ।

6. कृष्ण के जन्म की बात सुनकर कंस ने मथुरा और उनके आस-पास के पैदा हुए हाल के बच्चों को मरवाया था । 

(भागवत 10/5/26) उसी की नकल में इञ्जील वालों ने लिख दिया है कि ईसा के जन्म की बात सुनकर हिरोद बादशाह ने दो साल के अन्दर पैदा हुए तमाम बच्चे वैथलहम के मरवा डाले थे । (मत्ती 2/16) 

7. कुष्ण का एक साल की उम्र में नामकरण हुआ था ( भाग 10/8) । उसी की नकल में क्राइस्ट बपतिस्मा कराया गया । मत्ती 3/13  कृष्ण का बारह साल की उम्र में यज्ञोपवीत हुआ ( भा. 10/45/26) उसी की नकल में क्राइस्ट का यूहन्ना 1/33 वाला बपतिस्मा लिखा है । कृष्ण का 30 साल की आयु के लगभग अभीषेक (हरिवंश पु०) हुआ । उसी की नकल में क्राइस्ट का लूका 3/21 वाला बपतिस्मा लिखा गया है ।

8. कुष्ण ने पूतना वध किया आंधी रोक दी, पेड़ों में से दो आदमी निकाले थे । उसकी नकल में क्राइस्ट की शैतान से जांच कराई गई (मत्ती 4/11-1) समुद्र में आंधी रुकवाई (मत्ती 14/32) | कब्रों में से दो भूत निकले, मरकुस  5/1-10) आदि ।)

9. कंस के कष्टों से पीड़ित होकर नन्द बाबा नन्दघर छोड़कर और कृष्ण को लेकर कालीदह पर वृन्दावन जाकर बस गये थे ( भाग 10/11) इसी की नकल में ईसा को नासरत से गाजीली झील पर कफरहूम में जा बसाया गया ( मत्ती 4/12-13) इसमें कालीदह और कफनीहुम में शब्द साम्यता देखने योग्य है । जैसे नन्द के साथ सैकड़ों आदमी गए थे, वैसे ही ईसा के साथ भी भीड़ भेजी गई लिख दी है । (मत्ती 4/25)|

10. कृष्ण ने जो गोवर्धन पहाड़ की पूजा का उपदेश दिया था। उसी की नकल में ईसा को पहाड़ पर चढ़ाकर उपदेश दिलाया गया है। (मत्ती 5/1) कृष्ण ने विचित्र रूप से इस अवसर पर अपने साथियों को दर्शन दिए थे। उसी की नकल में मत्ती 17/10-13 में ईसा का तेजस्वी रूप दिखाना लिख दिया है ।

11. कृष्ण ने कुब्जा की कमर सीधी की तो ईसा से भी एक कुबड़ी औरत ठीक करा दी गई । (लूका 13/11-13)

12. पुराणों में कृष्ण के साथ भी औरतों का संग लिखा है । ईसा के साथ भी औरतों का संग लिखा हैं।  जैसे बहुत-सी और उसके साथ यरूशलम से आईं और गलील में उसकी सेवा में रहती थीं। - मार्क्स  15/41 ईसा ने अधिकतर औरतों के ही इलाज किये थे। (लुका 4/38-41) एक स्त्री बेथनी की मैरी ने ईसा के सिर में तेल मला था।-  (मत्ती 26/7-13 ) क्राइस्ट के क्रूस पर जाते समय बहुत सी औरतों ने विलाप किया था (लूका 23/27) एक भी मर्द का उल्लेख बाइबिल में नहीं किया गया है, जिसने विलाप किया हो या जो ईसा की कब्र पर देखने भी गया हो। औरतों के ही कहने पर उसके दो चेले कब्र पर तीसरे दिन गये थे, स्वयं नहीं गए थे । इस प्रकार ईसा के साथ भी गोपियों की तरह औरतों का संग बाइबिल से ही प्रमाणित है जो कि कृष्ण की नकल मात्र है ।

13. श्रीकृष्ण अपनी 35 साल की उम्र तक चार बार मथुरा आये थे । उसी की नकल में यूहन्ना ने क्राइस्ट का चार बार यरूशलम आना लिखा है ।

14. पुराणों के अनुसार कुब्जा ने श्रीकृष्ण के सिर में चन्दन लगाया, माली ने माला पहिनाई जिसे कृष्ण ने आशीर्वाद दिया । भाग० 10/42॥ इसकी नकल में मरियम ने ईसा के सिर में सुगन्धित तेल डाला (मत्ती 26/7) | ईसा ने अच्छे और बुरे माली का दृष्टान्त कहा । (मत्ती 21/33-41)

15.  कंस के साथ उसके दो पहलवान मुष्टिक और चाणूर मारे गए भाग० 10/44। इसकी नकल में डाकू क्राइस्ट के दाई और बाई ओर क्रूस पर चढ़ाकर मारे गए । मत्ती (27/38)

16. मगध रानी देवकी शहर की अन्य औरतों के साथ बैठी हुई दूर से कंस वध देख रही थी और देवकी पछताती थी ।  (भाग० 10/44/18)  इसकी नकल में लिखा है कि मरियम मगधलीनी क्राइस्ट की मां मरियम और अन्य स्त्रियों के साथ दूर से देख रही थी। (मत्ती-27/55 )और क्राइस्ट की मां ने रंज माना है । (यूहन्ना 20/11 )

17. तीसरे पहर कंस के मारने पर हाहाकार मच गया (भाग 30/44/38) उसकी पत्नी मगध रानी वहां आई और रंज किया, जिसे कृष्ण ने समझाया । उसे रोते-रोते शाम हो गई (हरि० वि० 31/59) उसकी नकल में क्राइस्ट तीसरे पहर मरे (लूका 23/44-46) मरियम मगधलीनी कब्र के पास बैठी (मत्ती 27/61) और रंज किया (यूहन्ना 20/11) दूतों ने उसे समझाया (यूहन्ना 20/13) कब्र पर बैठे–2 शाम हो गई । (मत्ती 27/57-61)

[नोट- बाइबिल बनाने वालों ने घटनाएं कृष्ण के जीवन की नकल की हैं परन्तु भूल के ईसा की मृत्यु को कंस की मृत्यु से मिला दिया है । इसीलिए ईसा में कृष्ण व कंस दोनों के जीवन की घटनाओं का समिश्रण देखा: जाता है ।]

18. मथुरा के राजा कंस के बाप उग्रसेन ने कृष्ण से रात को कंस की लाश मांगी और फिर दूसरा दिन निकलने से पहले अंतिम संस्कार कर दिया । इसकी नकल में अरमथिया के यूसुफ ( क्राइस्ट के पिता ने पीलातुस से जाकर रात को लाश मांगी, कफन में लपेटी और दफनाई । (मत्ती 27/57-60) दूसरे दिन मरियम मगधलीनी वगैर क्राइस्ट की कब्र पर गई । (मत्ती 28/1)

19. कृष्ण पीपल के नीचे अपनी जांघ पर दूसरे पैर की पिंडली रख कर बैठे थे और व्याध ने उसके पैर में तीर मारा था । एक पैर पर दूसरा बैर रखने से सलीब का चिन्ह बन जाता है । उसी की नकल में लिखा है कि क्राइस्ट को पीपल की लकड़ी की बनी हुई सलीब पर चढ़ाकर बर्छा मारा गया और खून निकला । (यूहन्ना 19/34)

20. कृष्ण का जन्म होते ही वासुदेव बालक को सूप में रख कर लेकर गोकुल को चले गए और यशोदा के घर रख कर उसकी उसी समय की उत्पन्न पुत्री को ले आये थे। इसकी नकल में लिखा है कि मरियम ने अपना पहिलौठा पुत्र जनी और उसे कपड़े में लपेटकर चरनी में रखा: क्योंकि उन के लिये सराय में जगह न थी। (लूका 2/7) यूसुफ उठकर रात को ही बालक और उसकी माता को लेकर मिश्र को चला गया है । (मत्ती 2/14) बाइबिल में यहां सूप की चलनी लिख गया है ।

21. पुहरवा से श्रीकृष्ण तक 43 पीढ़ियां भागवत, स्कन्द & तथा विष्णु पुराण 4/11-15 के अनुसार होती हैं । उसी की नकल में बाइबिल के ( मत्ती 1/1-17 ) के अनुसार अविराम ( इब्राहीम) से क्राइस्ट तक 14 पीढ़ियां होती हैं।

22. कृष्ण और क्राइस्ट के जन्म से पूर्व दोनों के जन्म की भविष्य वाणियां हुई थी । दोनों के जन्म का उद्देश्य धर्म रक्षा था ।

23. कृष्ण यदुकुल में जन्मे तो क्राइस्ट यहूदा कुल में जन्मा । (मत्ती 1/1-2) 

24. श्रीकृष्ण जी ने गोवर्धन 'पर्वत' की पूजा के अवसर पर नन्द जी व जनता को उपदेश दिये थे तो उसी की नकल में ईसा से पहाड़ पर लोगों को उपदेश दिलाये गये हैं जो अधिकांश बौद्ध मत की छाप लिए हुए हैं (मत्ती: 5/4-7) में जिनका वर्णन है ।

25. कृष्ण को नन्द-नन्दन व ईश कृष्ण कहा जाता था तो उधर क्राइस्ट, नासरी व यीशु क्राइस्ट कहा जाने लगा ।

26. कृष्ण चरवाहा गोपाल थे तो क्राइस्ट भेड़ बकरी चराने वाला गडरिया था।

27. कृष्ण यमुना के क्षेत्र में जन्मे थे तो ईसा को यर्दन नदी के पास के क्षेत्र में पैदा कराया गया। (यमुना और यर्दन में नाम साम्यता नोट करने योग्य बात है। कृष्ण का जन्म अंधेरी रात में अष्टमी को हुआ था।  ईसा का जन्म भी घोर रात्रि में दर्शाया गया। 

28. कृष्ण व क्राइस्ट दोनों के ही मरने से पूर्व उनके पास देव दूतों का आना लिखा है। पुराणों के अनुसार कृष्ण के एक से अधिक पत्नियां थीं । उसी की नकल में ईसा के भी एक से अधिक पत्नियां थीं । 

The enormous not only believe that Jesus was married man but that he was actually the husband of more than two wives at one and the same time (Agnostic journal 18/3/05)

अर्थात् जनता का भारी बहुमत यह विश्वास करता है कि ईसा न केवल विवाहित था किन्तु इसके एक ही समय में दो से अधिक पत्नियां मौजूद थीं ।

29. बौद्ध मत में धम्मपद ग्रन्थ में प्रत्येक व्यक्ति के लिए पांच हुक्म लिखे हैं - ( 1.) हिंसा न करना, (2.) चोरी न करना, (3.) व्यभिचार न करन ।, (4.) झूठ न बोलना (5.) शराब न पीना । इसी की नकल में ईसाई मत में मत्ती 16/18 में लिखा है (1.) हिंसा न कर ( 2.) परस्त्रीगमन न कर, (3.) चोरी न कर, (4.) झूठी गवाही मत दे। क्योंकि ईसा स्वयं शराब पीता था अतः उसने शराब पीने को मना नहीं किया था । शेष चारों उपदेश बौद्ध मत की नकल थे।

भागवती कृष्ण के जीवन की पचासों और भी बातों की नकल ईसा का जीवन गढ़ने वालों ने की है जिन्हें हम विस्तार भय से नहीं देना चाहते कुछ प्रमुख घटनाएं देकर हमने वह प्रदर्शित किया है कि ईसा का सारा जीवन चरित्र काल्पनिक है। इस विषय में एक प्रबल तथ्य यह भी विचारणीय है कि ईसाई मत (क्रिश्चियनिटी) ईसा से दो सहस्र वर्ष पूर्व से मौजूद थी । सीरिया के देश में क्रिश्चियन लोग पहले से विद्यमान थे । यदि यह मत ईसा से जारी होता तो उसके बाद इसे अस्तित्व में आना चाहिए था । उस समय उन सिरिया के क्रिश्चिनन लोगों को नीच समझा जाता । (टोलीटस हिस्टोरियन) |

महाभारत युद्ध के पश्चात् भारत से अनेक जातियां मिश्र सीरिया आदि देशों में जाकर बस गई थीं तथा भारत के साथ उन सभी पाश्चात्य देशों के व्यापारिक तथा सांस्कृतिक सम्बन्ध बने रहते थे । प्रसिद्ध रूसी यात्री डा० नोटोविच ने यह प्रकट किया है कि ईसा भारत में आया था नौर 13 से 21 वर्ष की आयु तक यहां रहा था। उसने यहां शिक्षा प्राप्त की थी और फिर स्वदेश लौटकर अपने मत का प्रचार किया था। बाइबिल में भारतवर्ष का उल्लेख भी आता है। यथा “सो उसी समय अर्थात सीवान नाम तीसरे महीने के तेईसवें दिन राजा के लेखक बुलाये गये और जिस बात की आज्ञा मोर्दके ने उन्हें दी थी उस यहूदियो और अधिपतियों और हिन्दुस्तान से लेकर क्रूश तक जो एक सौ सत्ताईस प्रान्त हैं, उन सभों के अधिपतियों और हाकिमों को एक-एक प्रान्त के अक्षरों और एक-एक देश के लोगों की भाषा में ओर यहूदियों को उनके अक्षरों और भाषा में लिखी गई। (estor 89)

इससे स्पष्ट है कि बाइबिल के लेखकों को भारतवर्ष की हर बात की भरपूर जानकारी थी। उन लोगों ने ईसा का अथवा स्वयं ईसा ने अपना व्यक्तित्व महान् बनाने के लिए अथवा उसकी मृत्यु के पश्चात् उसके चेलों ने ईसा को प्रभुपुत्र घोषित करने के लिए भारतीय श्रीकृष्ण जी के जीवन की घटनाओं को ईसा के जीवन में जोड़कर उसको परमेश्वर का खास बेटा, जगत् उद्धारक बना दिया और न्यू टेस्टामेन्ट के विभिन्न लेखों में उसका कल्पित चरित्र भी लिख दिया। अन्वेषणों से यह भी प्रकट हो चुका है कि वर्तमान बाइबिल का संकलन करते समय बड़ी सावधानी से काम लिया गया था । परस्पर विरुद्ध कई दर्जन पुस्तकों को उनमें जानबूझ कर नहीं जोडा गया था, उनके अनेक भाग लुप्त भी हो गये थे । यदि वे सम्पूर्ण पुस्तकें आज अपने असली रूप में उपलब्ध होतीं तो आज ईसाई मत का संसात में कोई स्थान नहीं होता । ईसा मसीह का जो स्वरूप न्यू टेस्टमेन्ट में दिखाया गया है वह वास्तव में किसी और ही रूप में सामने आता है ।

फिर भी जो कुछ बाइबिल में दिया गया है उससे यह स्पष्ट है कि ईसा के चरित्र को श्रीकृष्ण के चरित्र के आधार पर गढ़ा गया है जो कि भागवत, विष्णु तथा हरिवंग आदि पुराणों में दिया गया है। बाइबिल ईसा का सत्य स्वरूप प्रस्तुत नहीं करती।

ईसा से दो वर्ष पूर्व भी सीरिया में बसे भारतीय लोगों तथा कृष्ण के वंशजों में श्रीकृष्ण की भक्ति का प्रचार था । जिसे 'श्रीकृष्ण इज्म कहा जाता था । उसी को बिगाड कर कृष्ण इज्म की जगह 'क्रिश्चयनिटी" कर दिया गया था। स्पष्ट है कि क्रिश्चियनिटी भारतीय मत व विश्वास का ही बिगाड़ा हुआ नाम है। ईसा का चरित्र भी कृष्ण व कंस की सम्मिलित जीवन घटनाओं की नकल पर फर्जी तौर पर गढ़ा गया है। सम्मपूर्ण ईसाई मत भारतीय आधार पर कल्पित मिथ्या मजहब है। इसका ऐतिहासिक स्वतन्त्र महत्व बिलकुल भी नहीं है।

इसी प्रकार बाइबिल तथा कुरान का नूह भारतीय साहित्य में वर्णित मनु के नाम में से 'म' उड़ाकर 'नूह' बना दिया गया है। श्रीकृष्ण के पिता वसुदेव को बाइबिल में यूसुफ बना लिया है। अर्जुन को इलियाजर महाभारत की प्रथा ( कुन्ती) को मर्था बनाकर बाइबिल के कल्पित इतिहास रूपी नाटक के पात्रों के रूप में नाम बदल कर प्रस्तुत किया गया है। 

यदि इन भारतीय कृष्ण के जीवन की नकल की हुई बाइबिल की घटनाओं को देवकर कह दिया जावे कि क्राइस्ट नाम का कोई भी व्यक्ति कभी भी पैदा नहीं हुआ था, भारतीय श्रीकृष्ण जी को ही उस देश के लोगों ने क्राइस्ट के रूप में मानकर एक फर्जी मजहब चला डाला था तो हमारा यह दावा निराधार नहीं होगा और मूल के मिथ्या हो जाने से सारा ईसाई मत ही शेखचिल्ली की कल्पनाओं के समान मिथ्या सिद्ध हो जायेगा ।



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