Saturday, October 19, 2024

बाईबिल पर सप्रमाण 31 प्रश्न

 



बाईबिल पर सप्रमाण 31 प्रश्न

- डा० श्रीराम आर्य 

 प्रश्न 1.  जो खुदा अपनी गलतियों पर पछताता हो, वह आगे गलती नहीं करेगा, इसकी क्या गारन्टी है ? व उसके न्याय पर भी कैसे भरोसा किया जा सकता है ? 

प्रश्न 2. जो खुदा अपनी बात पर भी कायम न रहने वाला हो, उसके आश्वासन व कानूनों पर भरोसा करने वाले धोखा नहीं खायेंगे ? इसकी क्या गारन्टी है ?

प्रश्न 3. जब बाइबिल के अनुसार ईश्वर बहुत से हैं, तो ईसाई उनमें से कौन से ईश्वर को मानते हैं ? और उसकी पहचान व उसका हुलिया क्या है?

प्रश्न 4. ईसा कौन से ईश्वर का इकलौता बेटा था ? ईसा ईश्वर का इकलौता बेटा था, इसका क्या सबूत है? क्योंकि मरियम ने कभी नहीं बताया कि ईश्वर से उसे गर्भ रहा था और बाइबिल में ईश्वर ने भी अपने से मरियम

को गर्भ रहने की बातें नहीं कही हैं।

प्रश्न 5. ईसाई सम्प्रदाय में बाप-बेटी आपस में शादी कर सकते हैं, क्या यह बात बाइबिल के खिलाफ है ? 

प्रश्न 6. विज्ञान ने तारों को पृथ्वी से भी दोगुने बड़े लोक के बराबर सिद्ध किया है, तो बाइबिल में " तारों का पृथ्वी पर अन्जीर के फलों की तरह गिर पड़ना " क्या यह सिद्ध नहीं करता है कि बाइबिल का लेखक - पढ़ा लिखा व्यक्ति था?

प्रश्न 7. एक कुन्डी की शराब की लहरें गजों ऊँची सौ कोस तक बहना गल्प ( गपोड़ा) क्यों न माना जावे ? क्या यह बात किसी तर्क या प्रमाण से साबित की जा सकती है ?

प्रश्न 8. गर्भवती माँ के पेट में दो बच्चों की कुश्ती का करना, क्या इसे बाइबिल का गपोड़ा न माना जावे?

प्रश्न 9. किस प्रकार यह सम्भव हो सकता है कि गर्भ के अन्दर बैठा हुआ बालक गर्भाशय में से हाथ बाहर निकालकर, डोरा बंधवाकर, फिर अन्दर गर्भाशय में स्वयं हाथ भीतर खींच लेवे? यह भी बाइबिल की गप्प क्यों न मानी जावे ? क्योंकि गर्भस्थ बालक में इतनी चेतना व शक्ति सम्भव नहीं है ।

प्रश्न 10. जब ईसाई खुदा मनुष्यों की फौजी मदद साथ में रहते हुए भी विपक्ष की फौजों से हार गया व उन्हें पराजित नहीं कर सका तो ऐसे खुदा को सर्व शक्तिमान कैसे साबित किया जा सकता है ? 

प्रश्न 11. ईसाई खुदा के पास बीस करोड़ घुड़सवार फौज किससे लड़ने को व अपनी किससे रक्षा करने के लिए रहती है ?

प्रश्न 12. खुदा की 12 से भी ज्यादा फौजी पल्टनों पर कितना वार्षिक व्यय होता है ? इन फौजों का कमान्डर कौन है ? ये फौजें कभी लड़ने भी गयी हैं या निकम्मी पड़ी पड़ी एक ही जगह पर खाती रहती हैं, इसका बाइबिल से विवरण पेश करें ?

प्रश्न 13. जब खुदा याकूब से कुश्ती में रात भर जोर करने पर भी न जीत सका, तो ऐसे कमजोर खुदा से उसके अनुयायी बड़े - बड़े युद्धों में मदद की आशा क्यों रखते हैं?

 प्रश्न 14. पैगम्बर लूत के द्वारा “ अपनी पुत्रियों से घोर व्यभिचार" को सारी बाइबिल में कहीं भी पाप क्यों नहीं माना गया है ? और उसे कहीं भी धिक्कारा क्यों नहीं गया है ?

प्रश्न 15. जब खुदा भी मेहनत करने से थक जाता है और आराम करके अपना जी ठंडा करता है तो उसे सर्वशक्तिमान कैसे माना जा सकता है ?

प्रश्न 16. जो खुदा याद्दाश्त के लिए डायरी व रजिस्टर लिखकर रखता हो, वह सर्वज्ञ खुदा कैसे माना जा सकता है ? प्रश्न 17. जिस व्यक्ति को इतनी भी पदार्थ विद्या न आती हो कि पीतल पत्थर से बनती है या तांबा जस्ता मिलाने से बनती है, उसके द्वारा लिखी गई पुस्तक " धर्म पुस्तक " कैसे मानी जा सकती है ?

प्रश्न 18. जिस धर्म पुस्तक लिखने वाले को इतना भी भूगोल न आता हो कि विश्व पृथ्वी के खम्भों पर धरा है या परस्पर आकर्षणानुकर्षरण के आधार पर परमात्मा उसे धारण करता है, उसकी लिखी पुस्तक प्रमाणित कैसे मानी जा सकती है ? जिस पुस्तक में ऐसी बेसर पैर की बातें हों, उसे "गप्प पुस्तक" यदि माना जावे,तो क्यों कर गलत होगा ? 

प्रश्न 19. क्या शाऊल को राजा बनाकर बाद में पछताना ईसाई खुदा की नातजुर्बेकारी व सर्वज्ञता का खुला उपहास नहीं है?

प्रश्न 20. क्या ईसाई खुदा को खुले मैदान में पृथ्वी पर रहने में चोर डाकुओं का भय लगता था, जो वह बेचारा बिना मकान के इधर-उधर मारा-मारा फिरता रहा था ?

प्रश्न 21. जब ईसाई खुदा के बहुत से बेटे थे, तो उसकी बीबियाँ कितनी थीं ? वे सभी बेटे सदा कुँवारे रहे थे या उनके कभी विवाह भी हुए थे ? बतावें कि खुदा का परिवार कितना बड़ा था ?

प्रश्न 22. जब चर्बी खाते-खाते खुदा का पेट भर गया, तो उसके बाद भी जो लोग उसे चर्बी खिलाते रहते थे, उसको पचाने के लिए खुदा ने कोई चूर्ण या दवा खाई थी या कोई आसन लगाकर हाजमा ठीक किया था ?

 प्रश्न 23. जो खुदा अपने शुत्रओं से परेशान रहता हो, उनसे लड़कर बदले चुकाता हो, वह भी क्या खुदा माना जा सकता है ? ईर्ष्या, द्वेष रखना क्या खुदा का गुण या उसमें दोष है ?

प्रश्न 24. जब खुदा युद्ध करने को स्वर्ग से उतरता है, युद्ध के बाद फिर स्वर्ग चला जाता है, तो वह हाज़िर (सर्वव्यापक) नहीं रह सकता है । क्या खुदा में इतनी भी ताकत नहीं कि स्वर्ग में बैठे-बैठे अपनी फौज से जमीन के अपने दुश्मनों पर विजय प्राप्त कर सके ? वह भी क्या खुदा है, जिसे स्वयं पैदा किये लोगों से युद्ध करने को आना पडता है और उनसे भी हार जाता है?

प्रश्न 25. खुदा चर्बी व खून जैसी चीजें क्यों खाता है ? फल, मेवा, घी, दूध आदि उसे क्यों पसन्द नहीं हैं ? क्या इनको खाने से वह बीमार पड़ जाता है?

प्रश्न 26. खुदा ने इस्त्राइलियों को पाखाने से रोटी पकाकर खाने की गन्दी आज्ञा क्यों दी थी?

प्रश्न 27. खुदा फाटक बन्द मकान अर्थात् बहिश्त में क्यों रहता है ? क्या डर लगा रहता है कि जमीन के लोग वहाँ जाकर खुदा को कत्ल न कर दें ? पता लगाकर बतावें कि अमेरीकी और रूसी रॉकेटों ने कहीं खुदा का मकान ध्वस्त तो नहीं कर दिया है?

प्रश्न 28.  खुदा मुकद्दमा लोगों के खिलाफ लड़ता था, तो फैसला करने वाला जज तथा खुदा का वकील पैरवी करने के लिए कौन होता था?

प्रश्न 29. खुदा का गुस्सेबाज होना उसे दिमागी कमजोरी का बीमार साबित करता है । क्या कोई ऐसा तरीका भी है जिससे खुदा की इस बीमारी के दोष को दूर किया जा सके ?

प्रश्न 30. जब शराब (दाख मधु) पीने से बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है, तो खुदा और मसीह लोगों को शराब पिलाकर उनको बरबाद क्यों करते थे? तथा मसीह स्वयं शराब क्यों पीता था ? क्या लोगों को नुकसान पहुंचाने से वे गुनहगार नहीं थे?

प्रश्न 31. संसार में दूसरों को गाली देना पाप माना जाता है, तो ईसा ने अपने से पहिले पैदा हुए महापुरूषों (पैगम्बरों) को चोर डाकू बताकर गाली क्यों दी ? क्या इससे मसीह का गुनहगार होना प्रमाणित सिद्ध नहीं है ? 


प्रश्नों से सम्बन्धित बाइबिल के मूल स्थल व उनकी समीक्षा

किसी भी पुस्तक में बुद्धि विज्ञान तथा इतिहास के विपरीत गलत बातों का लिखा होना उस पुस्तक की सच्चाई तथा उस पुस्तक को धर्म ग्रन्थ के रूप में दी गई उसकी मान्यता को स्वतः ही समाप्त कर देता है। धर्म ग्रन्थ वही माना जा सकता है, जिसकी सभी बातें तार्किक रूप में सत्य हों तथा वे संसार को ठीक-ठीक उन्नति का मार्गदर्शन करती हों । जब हम इस कसौटी पर ईसाई धर्म ग्रन्थ " बाइबिल " की परीक्षा करते हैं, तो हम उसे सही नहीं पाते हैं ।

जब हम देखते हैं कि ईसाई मिशनरी अपनी पुस्तक बाइबिल का हिन्दू समाज में व्यापक प्रचार करते हैं, उसी के द्वारा हिन्दुओं को ईसाई बनाने का प्रयत्न करते हैं तो हम अपना कर्त्तव्य समझते हैं कि बाइबिल के वे स्थल हम हिन्दुओं को बतलायें, जिनके कारण बाइबिल धर्म ग्रन्थ नहीं माना जा सकता है और ना ही किसी को बाइबिल पर विश्वास करके उसके अनुसार आचरण करना चाहिए ।

ईसाई पादरियों को भी चाहिए कि वे अपनी बाइबिल में से इन आपत्तिजनक स्थलों को निकाल कर अपनी किताब का धर्मपूर्वक संशोधन कर डालें ताकि उसके अन्दर उपस्थित बेशुमार दोषों में से कुछ दोष दूर हो सकें। 

1.  खुदा अपने किये पर पछताया देखिये बाइबिल में लिखा है 

 “ और यहोवा (ईसाई खुदा) पृथ्वी पर मनुष्यों को बनाने से पछताया और वह मन में अति खेदित हुआ। -उत्पत्ति 6/6 

 'तब नूह ने यहोवा के लिए एक वेदी बनाई और सब शुद्ध पशुओं और सब शुद्ध पक्षियों में से कुछ लेकर वेदी पर होम बलि चढ़ाया ॥ इस पर यहोवा ने सुखदायक सुगन्ध पाकर सोचा कि मनुष्य के कारण मैं फिर कभी भूमि को

शाप न दूंगा.....जैसा मैंने सब जीवों को अब मारा है, वैसा उनको फिर कभी न मारुँगा" ॥-उत्पत्ति 8/20-21 

समीक्षा 

पहले गलती करके बाद को उन पर पछताने वाला, मन में अति दुःखी होने वाला, अपनी गलतियों को पुनः न करने की प्रतिज्ञा करने वाला, गोश्त व चर्बी के जलने की बदबू को सुगन्धि समझकर खुश होने वाला व्यक्ति भी क्या ईश्वर हो सकता है ?

गलती करना, सही बात को न समझना, पछताना, दुःखी होने वाला ईश्वर वास्तव में ईश्वर माना ही नहीं जा सकता है । गलत काम करना और पछताना यह कमअक्ल वालों की बातें है ।

2. खुदा अपने वायदे से मुकर गया

बाइबिल में लिखा है कि ईसाई खुदा ने फरमाया-

इसलिये इस्राएल के परमेश्वर यहोवा की यह वाणी है, कि मैं ने कहा तो था, कि तेरा घराना और तेरे मूलपुरूष का घराना मेरे साम्हने सदैव चला करेगा; परन्तु अब यहोवा की वाणी यह है, कि यह बात मुझ से दूर हो; क्योंकि जो मेरा आदर करें मैं उनका आदर करूंगा, और जो मुझे तुच्छ जानें वे छोटे समझे जाएंगे।

 सुन, वे दिन आते हैं, कि मैं तेरा भुजबल और तेरे मूलपुरूष के घराने का भुजबल ऐसा तोड़ डालूंगा, कि तेरे घराने में कोई बूढ़ा होने न पाएगा। - 1 शैमुएल 2/30-31 

समीक्षा

खुदा ने एक बार लोगों को दीर्घकाल तक जीवित रहने का आशीर्वाद दिया था, पर बाद में नाराज हो गया और इनको नष्ट कर डालने की प्रतिज्ञा कर डाली। ऐसे ज़ुबान के झूठे, गैर जिम्मेवार खुदा को कोई अक्ल रखने वाला खुदा मानकर उस पर कैसे भरोसा कर सकता है ? ईसाई खुदा जो जुबान का भी सच्चा नहीं है, वह " मुक्तिदाता " नहीं हो सकता है । 

3. ईसाई ईश्वर एक नही, बल्कि बहुत से हैं

बाइबिल में लिखा है-

परमेश्वर की सभा में परमेश्वर ही खड़ा है।- भजन संहिता 82/1 

बाइबिल में ईश्वर ने कहा है कि " - 'मनुष्य भले बुरे का ज्ञान पाकर हम में से एक के समान हो गया है। - उत्पत्ति 3/22 

समीक्षा 

इसमें बताया गया है कि ईसाइयों के सैकड़ों हजारों ईश्वर हैं, उनकी सभा भी होती है। यह नहीं बताया कि सभी ईश्वर एक जैसी शक्ल-सूरत, लम्बाई-चौड़ाई के होते हैं या उनमें कुछ फर्क भी होता है ? तथा ईश्वरों की कार्यवाही का क्या कोई रजिस्टर भी रखा जाता है ?

 मासिक चन्दा हर ईश्वर को क्या-क्या देना पड़ता है ? तथा क्या उस सभा का कोई भारतीय पादरी सदस्य बन सकता है या नहीं ? यह अफसोस है कि बेचारे ईसाइयों का ईश्वर भी एक नहीं है ।

" एक बात और भी पूछनी है कि ईसा मसीह, जिसे बाईबिल ने ईसाई ईश्वर का इकलौता बेटा " यूहन्ना 3/16  में बताया है। वह इन हजारों ईश्वरों में से कौन से ईश्वर का बेटा था ?

4.  ईश्वर का इकलौता बेटा " ईसा "

बाइबिल यूहन्ना 3/16 में लिखा है- 

" क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा कि उसने अपना इकलौता पुत्र ( ईसा मसीह ) दे दिया, ताकि जो कोई उस पर विश्वास रखे, वह नाश न हो बल्कि अनन्त जीवन पाये" ॥

समीक्षा

परमेश्वर की सारी प्रजा ही उसके पुत्र-पुत्री हैं । केवल एक मसीह को ही उसका इकलौता बेटा बताना परमेश्वर का अपमान करना है । यदि ईसाई ईश्वर के इकलौता बेटा पैदा हुआ था तो उस बेटे ईसा की माँ मरियम उस ईश्वर की खास पत्नी माननी होगी और मरियम का भाई ईश्वर का खास साला होगा, उसकी माँ खास सास व बाप खास श्वसुर मानने होंगे ।

तब तो ईसाई खुदा का कुनबा बहुत बड़ा हो जावेगा । जब खुदा के बीबी - बच्चे होंगे तो इसके बाप व मां भी शायद जरूर होंगे? पता नहीं इन ईसाई लोगों की बुद्धि को क्या हो गया है कि इन्होंने परमेश्वर को भी बदनाम कर डाला है?

प्रश्न - सम्पूर्ण बाईबिल में ईसा की माँ मरियम ने यह कहीं भी नहीं कहा है कि उसे जो मसीह का गर्भ रहा, वह

ईसाई खुदा के मिलने से रहा था, न किसी की साक्षी इस विषय में बाईबिल में दी गई है । देखिये बाइबिल मत्ती 1/17-19 में लिखा है कि " - फरिश्ता मरियम से कहकर चला गया कि तू तुझ पर पवित्रात्मा उतरेगा और तू गर्भवती होगी । किन्तु तुरन्त ही मरियम इलिशिवा, ( जकरियाह की पत्नी) के घर चली गई। तीन माह तक जकरिया के पास रही । उसके बाद मरियम की शादी हो गई और विवाह के बाद जब उसका पति यूसुफ उसके पास हमबिस्तर होने ( सुहागरात मनाने) गया तो उसने मरियम को गर्भवती पाया और उसे त्याग देने की बात सोची।

फरिश्ते से बातें होने और विवाह होने के बीच के तीन माह में कोई भी प्रमाण बाईबिल में ऐसा नहीं मिलता है कि जब खुदा अर्थात् पवित्रात्मा मरियम पर उतरा हो और उसे गर्भवती बना गया हो। मरियम भी अपने गर्भ को खुदा से हुआ नहीं बताती है, और न कोई प्रत्यक्षदर्शी साक्षी उपलब्ध है । हाँ !  वह जकरियाह के पास 3  माह उसी के घर में रही थी। सम्भव है कि गर्भ उसी के घर पर किसी प्रकार किसी पुरूष के संयोग से कुँवारी मरियम को रह गया हो, इस्लामी साहित्य में इस गर्भ के लिए जकरियाह को दोषी माना गया है ।

बाइबिल में देखिये, मत्ती 1/18-25  लिखता है कि

" स्वप्न में प्रभु का स्वर्गदूत मरियम के पति युसुफ को बताया गया था कि यह गर्भ परमेश्वर का है। "- 

 समीक्षा

यह बात स्वप्न की कहानी है, अतः किसी भी प्रकार मान्य नहीं हो सकती है ।स्वप्न की बातें गल्पें (गपोड़े) होती हैं । जिनका कोई सर पैर नहीं होता है । फरिश्ता जब मरियम से आकर आमने-सामने जगत में बातें कर सकता था तो मरियम के पति से भी बातें करने को और गर्भ की असलियत बताने को आ सकता था ।स्वप्न की गल्पों की बातों के आधार पर ईसा को खुदा का 'इकलौता बेटा साबित नहीं किया जा सकता है। मरियम के कुँवारेपन के गर्भ को अवैध गर्भ मानकर यूसुफ ने उससे कभी कोई सम्बन्ध पति-पत्नी का नहीं रखा था, इसीलिए मरियम के उस कुँवारेपन के गर्भ के बाद फिर कभी कोई सन्तान पैदा नहीं हो सकी थी, अतः मरियम के उस एक मात्र बेटे को खुदा का इकलौता बेटा बताना भी ईसाइयों की बाइबिल का मिथ्या कथन है । इससे उनका ईश्वर भी बदनाम होता है । 

5. ईसाई मत में बाप बेटी का विवाह जायज है

बाइबिल 1 कुरैन्थियो 7/37 में लिखा है -

" परन्तु जो मन में दृढ़ रहता है, और उस को प्रयोजन न हो, वरन अपनी इच्छा पूरी करने में अधिकार रखता हो, और अपने मन में यह बात ठान ली हो, कि मैं अपनी कुंवारी लड़की को बिन ब्याही रखूंगा, वह अच्छा करता है॥ " अंग्रेजी में Let them marry” । अर्थात् उन बाप बेटी का विवाह हो जाय या वे विवाह कर लें" ऐसा छपा हुआ I

समीक्षा

इस पर कुछ लिखने की आवश्यकता नहीं है । हर व्यक्ति स्वयं सोच सकेगा कि जिस मत में ऐसी बात जायज़ मानी जाती हो, वह कैसा मजहब हो सकता है ?

 बाइबिल में उत्पत्ति 19/31-38  में लिखा है  कि ईसाई पैगम्बर लूत को उसकी दो खास बेटियों ने उसे शराब पिलाकर, उसी से व्यभिचार करा कर, दो पुत्र पैदा किये, जिनसे दो वंश चालू हुए।

6. आसमान से तारे पृथ्वी पर गिर पड़े बाइबिल प्रकाशित वाक्य 6/13  में लिखा है -

और आकाश के तारे पृथ्वी पर ऐसे गिर पड़े, जैसे बड़ी आँधी से हिल कर अंजीर के पेड़ में से कच्चे फल झड़ते हैं ।

समीक्षा

ईसाई धर्म शास्त्र लिखने वाले कितने पढे लिखे थे ? I यह इससे प्रकट है । उनको इतना भी ज्ञान नहीं था कि तारे अंजीर के फल जैसे नहीं होते हैं, वरन वे इस पृथ्वी से भी बड़े-बड़े लोक हैं । वे न गिरते हैं और न हवा में उड़ते हैं । ऐसी बातें जिस पुस्तक में लिखी हों, उसे कोई भी समझदार व्यक्ति 'धर्म ग्रन्थ' कैसे मान सकता है ?

7. एक कुण्ड की शराब सौ कोस तक बह गई

बाइबिल प्रकाशित वाक्य 14/20 में लिखा है " - और नगर के बाहर उस रस के कुण्ड में दाख रोंदे गए और रस के कुण्ड में इतना लहू निकला कि घोड़ों के लगामों तक पहुंचा और सौ कोस तक बह गया |" 

 समीक्षा

दाख को पैरों से रौंदने पर शराब बनेगी, न कि खून बनेगा | और वह खून या शराब इतनी बढ़ गई कि जमीन से एक गज से भी ऊँची लहरें उसकी सौ कोस तक फैल गई, यह कोरा गपोड़ा नहीं तो और क्या है ? 

8. मां के गर्भ में दो लड़कों की कुश्ती

बाइबिल उत्पत्ति 25/21-22  में लिखा है - इसहाक की पत्नी रिक्का गर्भवती हुई ॥ और लड़के उसके गर्भ में आपस में लिपटे एक दूसरे को मारने लगे तब उसने कहा- मेरी अगर ऐसी ही दशा रहेगी तो मैं क्योंकर जीवित रहूंगी ?॥ 

समीक्षा

माता के गर्भाशय में दो जुड़वां लड़के आपस में एक दूसरे को मारने लगे। यह बात ईसाई डाक्टरों के लिए अन्वेषण का विषय है। क्या तङ्ग गर्भाशय में इतना लम्बा चौड़ा मैदान होता है कि उसमें मार-पीट व कुश्ती सम्भव हो सके और क्या गर्भ के अन्दर मूर्च्छित बच्चों के शरीरों में इतनी बुद्धि व ताकत भी होती है कि वे एक दूसरे से लड़ पड़ें ? इस तरह की ये निराधार बातें बाइबिल को गप्पों का भण्डार सिद्ध करती हैं ।

9. गर्भस्थ बालक ने हाथ में डोरा बंधवाया

बाइबिल उत्पत्ति 38/28-29  में लिखा है

" तामार ने अपने श्वसुर से व्यभिचार कराके गर्भ धारण किया था। उसके गर्भ में दो लड़के थे। जब वह जनने लगी तब एक बालक ने अपना हाथ बढ़ाया और दाई ने लाल डोरा, सूत का लेकर उसके हाथ में यह कहते हुए बाँध दिया कि पहले यही उत्पन्न हुआ" ॥

" जब उसने हाथ समेट लिया तब उसका भाई उत्पन्न हो गया । तब उस दाई ने कहा "तू क्यों बरबस (जबर्दस्ती) निकल आया है" ॥

 समीक्षा

गर्भ में से बालक हाथ बाहर निकाल कर डोरा बँधवा कर फिर हाथ अन्दर स्वयं खींच लेवे, यह एक ऐसी बेसिर पैर की गल्प है, जिस पर कोई भी समझदार व्यक्ति विश्वास नहीं कर सकता है, पर ईसाइयों की बात दूसरी है । यदि वे भी अक्ल से काम लेने लगें, तो उनका भी विश्वास बाइबिल पर से हट जायेगा, यह निश्चित है । 

10.  ईसाई खुदा युद्ध में हार गया

 बाइबिल न्यायियों 1/19  में लिखा है

 " और यहोवा (युद्ध में) यहूदा के साथ रहा इसलिए उसने पहाड़ी देश के निवासियों को निकाल दिया, परन्तु तराई के निवासियों के पास लोहे के रथ थे, इसलिए उन्हें न निकाल सका" । 

समीक्षा

खुदा की पूरी मदद साथ होने पर भी यहूदा तराई वालों से युद्ध में हार गया, तो इससे प्रकट है कि तराई के लोग खुदा से भी ज्यादा जबर्दस्त थे  उनके लोहे के रथों से खुदा भी हार मान गया । ईसाई खुदा कितना कमजोर आदमी है, यह इस कथन से स्पष्ट है ।

11. खुदा के पास 20 करोड़ घुड़सवार फौज है ।

बाइबिल प्रकाशित वाक्य पैरा 9/16-17  में लिखा है - ' ईसाई स्वर्ग में जहां उनका खुदा रहता है फौज के सवारों की गिनती बीस करोड़ थी । मैंने उनकी गिनती सुनी ॥

“और मुझे इस दर्शन में घोड़े और उन के ऐसे सवार दिखाई दिए, जिन की झिलमें आग, और धूम्रकान्त, और गन्धक की सी थीं, और उन घोड़ों के सिर सिंहों के सिरों के से थे: और उन के मुंह से आग, और धुआं, और गन्धक निकलती थी।"

12. खुदा के पास 12 से भी अधिक फौजी पल्टने हैं

बाइबिल मत्ती 26/53 में बताया है कि - " खुदा के पास स्वर्गदूतों की बारह से भी अधिक फौजी डिवीजन (पल्टने ) हैं। 

समीक्षा

हो सकता है कि खुदा के पास, हवाई सेना, टैंक सेना, ऊँट व हाथी की सेना आदि अनेक प्रकार की ' सेनायें स्वर्ग में होवें । पर प्रश्न यह है कि इनती बड़ी सेना खुदा रखता क्यों है ? क्या उसे किसी ? क्या उसे किसी दुश्मन का डर लगा रहता है या किसी पर चढ़ाई करनी पड़ती है ? खुदा भी फौजें रखता है तो वह बहुत मामूली आदमी जैसा है और डरपोक भी है । इस पर भी मनुष्यों से युद्ध मे हार जाता है। ये कैसा कमजोर ईसाई खुदा है ? 

13. खुदा कुश्ती में हार गया

 बाइबिल उत्पत्ति प्रकरण 322432  में लिखा है कि - खुदा रात भर याकूब से कुश्ती लड़ता ( मल्ल युद्ध करता रहा, पर याकूब को गिरा नहीं पाया, दोनों बराबर रहे" ॥

 समीक्षा

इससे प्रगट है कि ईसाई खुदा साधारण इन्सान से भी कमजोर है । वह याकूब से भी हार गया । ऐसे कमजोर खुदा की इबादत से क्या मिलेगा ?

14. पैगम्बर लूत का पुत्री गमन 

बाइबिल उत्पत्ति 19/30-38  में लिखा है -

" और लूत ने सोअर छोड़ दिया ओर पहाड़ पर रहने लगा, क्योंकि वह सोअर में रहने में डरता था, इसलिए वह और उसकी दोनों बेटियाँ एक गुफा में रहने लगे " ॥

" तब बड़ी बेटी ने छोटी से कहा, हमारा पिता बूढ़ा है और पृथ्वी भर में कोई ऐसा पुरुष नहीं जो संसार की रीति के अनुसार हमारे पास आए ॥

" सो अब हम अपने पिता को दाखमधु (शराब) पिलाकर उसके पास सोयें जिससे कि हम अपने पिता के वंश को बचाये रखें" ॥

सो उन्होंने उसी दिन रात के समय अपने पिता को दाखमधु अर्थात् शराब पिलायी । तब बड़ी बेटी जाकर पिता के पास लेट गई, पर उसने न जाना कि वह कब लेटी और कब उठ कर चली गई" ?॥

" और ऐसा हुआ कि दूसरे दिन बड़ी बेटी ने छोटी से कहा कि देख, कल मै अपने पिता के पास सोई, सो आज भी रात को हम उसे दाखमधु (शराब) पिलाएं, तब तू जाकर उसके साथ सोना कि हम अपने पिता के द्वारा औलाद पैदा कर उसके वंश की रक्षा करें " ॥

" “सो उन्होंने उस दिन भी रात के समय अपने पिता को दाखमधु पिलाया, और छोटी बेटी जाकर उसके पास लेट गई, पर उसको उसके भी सोने और उठने के समय का ज्ञान न था" ॥३५॥ " इस प्रकार से लूत की दोनों बेटियाँ अपने पिता से गर्भवती हुईं" ॥

 और बड़ी ने एक पुत्र जना और उसका नाम " मोआब " रखा, वह मोआब जाति का जो आज तक मूल पिता माना जाता है" ॥

 छोटी ने भी एक पुत्र जना और उसका नाम बेनम्मी" रखा वह अम्मोनी वंशियों का खेरख्वाह अर्थात् राष्ट्रपिता जो आज तक है, उनका मूल पिता हुआ ॥ 

समीक्षा

बाप अपनी बेटी के व्यभिचार की इस कथा को पढ़कर ईसाई लड़कियाँ मन में क्या सोचती होंगी ? सम्पूर्ण बाइबिल में लूत का अपने बेटियों से व्यभिचार करने को न तो कहीं बुरा कहा गया है और न लूत या उसकी बेटियों को धिक्कारा ही गया है। जो बात कानून के विरूद्ध न हो, उसे कानून के अनुकूल माना जाता है ।

इसी प्रकार जिस बात को धर्म में पाप न माना गया हो, वह ईसाई मत में उसके धर्म के अनुकूल माननी होगी ।

यही बात लूत के व्यभिचार के विषय में भी माननी पड़ेगी ! सम्पूर्ण बाइबिल में पिता पुत्री के विवाह या व्यभिचार का कहीं भी निषेध नहीं है, बल्कि समर्थन है । 

15- मेहनत से खुदा तक थक गया

बाइबिल निर्गमन 31/17  में लिखा है

'क्योंकि छः दिन में यहोवा (प्रभु) ने आकाश और पृथ्वी को बनाया और सातवें दिन विश्राम करके, अपना जी ठंडा किया" ॥

समीक्षा

छः दिन तक दुनियां बनाने में कड़ी मेहनत ईसाई खुदा को करनी पड़ी थी, उससे बेचारा खुदा थक गया था और उसे सातवें दिन आराम करके अपनी थकावट मिटानी पड़ी थी । मेहनत से सभी थक जाते हैं, तो बेचारा खुदा भी यदि थक गया हो, तो कोई बड़ी बात नहीं है । मजबूरी में उसे किसी आराम कुर्सी पर या पलंग पर लेटकर आराम करना पड़ा था ।सम्भव है उसने अपने हाथ पैरों की तेल मालिश भी कराई हो, बर्फ का ठण्डा पानी भी पिया हो या शराब का एक प्याला गले में उतारा हो । यह भी हो सकता है कि कोई इन्जैक्शन ताकत का थकावट मिटवाने के लिए लगवाया हो तथा शरीर की मसाज आदि भी कराई होगी । अपनी परेशानी दूर करने के लिए जो कुछ भी खुदा ने किया होगा, वह ठीक ही किया होगा ।

16. खुदा ने बाइबिल निर्गमन 32/31-33 में लिखा है -

तब मूसा यहोवा के पास जाकर कहने लगा कि हाय-हाय उन लोगों ने सोने का देवता बनवाकर बड़ा ही पाप किया है॥

तो भी तू उनका पाप क्षमा कर, नहीं तो अपनी तू लिखी हुई पुस्तक में से मेरे नाम को काट दे ॥

यहोवा ( ईसाई खुदा) ने मूसा से कहा, जिसने मेरे विरूद्ध पाप किया है उसी का नाम मैं अपनी पुस्तक में से काट दूंगा" ॥

समीक्षा

ईसाई खुदा पढ़ा-लिखा साहब बहादुर है । यह याद्दाश्त के लिए किताब भी लिखकर रखता है, उसी में लोगों के नाम लिखता रहता है, जिससे उनको सजा या इनाम किताब में देखकर दे सके। इससे पता चलता है कि उसकी याद्दाश्त बहुत कमजोर है ।

यदि किताब (डायरी) में लिखकर न रखे, तो भूल जाता है । ईसाइयों का खुदा कैसा है ? यह इस आयत से स्पष्ट है । यह मामूली आदमी जैसा ही कोई दूसरा आदमी प्रतीत होता है ।

17. बाइबिल में विचित्र पदार्थ विज्ञान

 बाइबिल के अय्यूब प्रकरण 28/2  में लिखा है " - लोहा मिट्टी से निकाला जाता है और पत्थर पिघला कर पीतल बनाया जाता है ॥

समीक्षा

बाइबिल लिखने वालों को धातु विज्ञान भी नहीं आता । पीतल पत्थर में से नहीं बनती है, वरन ताँबा और जस्ता मिलाने से पीतल बनती है । इससे सिद्ध है कि बाइबिल में गलत निराधार बातें भी लिखी हुई हैं । जो विश्वास योग्य नहीं है ।

18. पृथ्वी के खम्भों पर जगत धरा है 

बाइबिल 1 शैमुएल 2/8 में लिखा है - - क्योंकि पृथ्वी के खम्भे यहोवा (खुदा) के हैं और उसने उन पर जगत धरा है।

समीक्षा

पृथ्वी पर खम्भे बताना और उन पर अनन्त विश्व का धरा होना लिखना बाइबिल की खुली गल्प है। ऐसी गप्पें जिस किताब में हों उसे कौन पढ़ा लिखा व्यक्ति धर्म पुस्तक मान सकता है ?

19. खुदा भविष्य की बातें नहीं जानता था

 बाइबिल 1 शैमुएल 15/35 में लिखा है -

" और यहोवा (खुदा) शाऊल को इस्राइल का राजा बनाकर पछताया था ।"

समीक्षा

ईसाई खुदा में इतनी अक्ल कभी नहीं थी कि वह हर काम को सही ढङ्ग से कर सके । बार-बार वह गलत काम कर बैठता था । और बाद में मूर्ख आदमी की तरह I अपनी गलती पर पछताया करता था । ईसाई मजहब वालों ने सर्वज्ञ परमेश्वर को भी मूर्ख बना डाला । 

20. बिना मकान के खुदा परेशान रहता था। 

बाइबिल 1 इतिहास 17/4-5  में लिखा है - “यहोवा (ईसाई खुदा) यों कहता है कि मेरे निवास के लिए तू घर न बनवा पायेगा || क्योंकि जिस दिन से मैं इस्रालियों को मिश्र से ले आया, आज के दिन तक मैं कभी घर में नहीं रहा,

परन्तु एक तम्बू से दूसरे तम्बू को और एक निवास से दूसरे के निवास को आया-जाया करता हूँ" ॥

 समीक्षा

बेचारे खुदा की इस परेशानी पर सभी को तरस आवेगा । बेचारे को बिना मकान का होने से इधर-उधर आवारा फिरना पड़ता था। अब किसी धनी ईसाई ने खुदा को सर्दी गर्मी से बचाने के लिए कोई पक्का मकान बना दिया या नहीं, पता नहीं । यदि न बनवाया हो तो हमारी प्रार्थना है कि ईसाई लोग शीघ्र अपने गरीब खुदा की मदद करके उसकी परेशानी दूर कर देवें, तो उनका भला होगा। 

21. ईसाई खुदा के बहुत से बेटे थे

 बाइबिल अय्यूब 1/6 में लिखा है कि Z\

"एक दिन यहोवा परमेश्वर के पुत्र उसके सामने उपस्थित हुए और उनके बीच शैतान भी आया । "

समीक्षा

इससे प्रगट है कि ईसाई खुदा के बहुत से बेटे हैं । जब बेटे हैं, तो बीबी भी होगी ? तो ईसा को ही खुदा का इकलौता बेटा बताने वाली गप्पाष्टक जो यूहन्ना 2/16  में लिखी है, सर्वथा मिथ्या हो जाती है ।  ईसाई लोगों की मान्यतायें भी परस्पर विरोधी हैं । हमारा भी विचार है कि जब साधारण मनुष्यों के एक-एक दर्जन औलाद हो जाती है, तो क्या खुदा उनसे भी कमजोर था ? जो उसके केवल एक ही बेटा पैदा होता है । अय्यूब ने यूहन्ना को झूठा बताकर ईसाइयों की मिथ्या मान्यता की पोल खोल डाली है ।

22. खुदा चर्बी खाते-खाते अघा गया 

बाइबिल याशायाह 1/11 में लिखा है -

यहोवा (खुदा) कहता है- “ तुम्हारे बहुत से मेल बलि मेरे किस काम के है ? मैं तो मेढ़ों के होम बलियों से पाले हुए पशुओं की चर्बी खाते-खाते अघा गया हूँ । "

समीक्षा

खुदा खाते-खाते अघा जाता है, हो सकता है ज्यादा खाने से उसको कभी दस्त भी लग जाते हों । ईसाई खुदा भी अजीब था कि उसे सेव, सन्तरे, आम, अंगूर, लडडू, बालूशाही, इमरती तो पसन्द नहीं आती थी ? किन्तु जानवरों का सड़ा-गला गोश्त व बदबूदार चर्बी खाता रहता था । यह खुदा था या राक्षस ?

23. खुदा शत्रुओं से बदला लेता था

 बाइबिल याशायाह 1/24 में लिखा है -

" इस कारण प्रभु सेनाओं के यहोवा (खुदा) इस्त्राइल के शक्तिमान की यह बाजी है, सुनो ! मैं अपने शत्रुओं को दूर करके शान्ति पाऊँगा, और अपने बैरियों से पलटा अर्थात् पलट कर बदला लूँगा ।" 

समीक्षा

खुदा भी लोगों को अपना शत्रु मानता है और उनसे बदला लिये बिना बेचैन रहता है। बदला ले लेने पर ही उस बेचारे को शान्ति मिलती है, तो ईसाई खुदा से वे मनुष्य बहुत श्रेष्ठ होते हैं जो किसी को भी अपना शत्रु नहीं मानते हैं और जो उनके साथ बुराई करता है उसे क्षमा कर देते हैं । बदले की भावना रखना तो कमजोरी की निशानी है ।

24. खुदा युद्ध करने को उतरेगा

बाइबिल यशायाह 31/4 में लिखा है

" सेनाओं का यहोवा सिय्योन पर्वत और यरूशलम की पहाड़ी पर युद्ध करने को उतरेगा। "

समीक्षा

ईसाई खुदा को आदमियों से युद्ध करने को भी अपने मकान स्वर्ग से उतर कर आना पड़ता है । ऐसे व्यक्ति को कौन बुद्धिमान खुदा मानेगा ?

25. खुदा की खुराक

बाइबिल यहेजकेल 44/15  में लिखा है,

यहोवा (खुदा) ने कहा कि जब इस्राइली मेरे पास से भटक गये थे, वे मेरी सेवा टहल करने को मेरे समीप आया करें और मुझे चर्बी और लहू चढ़ाने को मेरे सम्मुख खड़ा हुआ करें, परमेश्वर यहोवा की यही वाणी है" ॥

 समीक्षा

गोश्त खाना और खून पीना तो खूँखार जानवरों का सा काम है । खुदा की खुराक तो बढ़िया घी, दूध से बने माल व फल और मेवा होना चाहिए थी । क्या मेवे खाने से उसकी भूख नहीं बुझती थी ? मजे की बात है कि ईसाइयों का खुदा भी खाता-पीता है और उसे भी भूख-प्यास सताती है ।

26. खुदा द्वारा गन्दी मजाक करने का आदेश 

बाइबिल यहेजकेल 4/12-13  में लिखा है कि यहोवा (खुदा) ने कहा-

" और अपना भोजन जौं की रोटियों की नाई ( तरह) बना कर खाया करना, और उसको मनुष्य कीविष्टा (टट्टी) से उनके देखते बनाया करना"॥

" फिर यहोवा ने कहा इसी प्रकार से इस्राइल उन जातियों के बीच अपनी-अपनी रोटी अशुद्धता से खाया करेंगे, जहां मैं उन्हें बरबस पहुँचाऊँगा" ॥

समीक्षा

हम समझते हैं कि कोई भी शरीफ आदमी ऐसा गन्दा हुक्म किसी को नहीं दे सकता है । तो फिर खुदा ने ऐसी गन्दी मजाक अथवा ऐसा आदेश लोगों को कैसे दे दिया ? यह समझ में नहीं आता है |

27. खुदा बन्द फाटक वाले मकान में रहता है

बाइबिल यहेजकेल 11/1 में लिखा है - तब आत्मा ने मुझे उठाकर यहोवा के भवन के पूर्वी फाटक के पास जिसका मुँह पूर्व दिशा की ओर है, पहुँचा दिया, और वहाँ मैने क्या देखा कि फाटक ही में पच्चीस पुरुष हैं ॥

समीक्षा

खुदा के मकान में पूर्वी - पश्चिमी, उत्तरी- दक्षिणी I न जाने किस-किस दिशा में कितने दरवाजे हैं । जिनकी रक्षा पहरेदार किया करते हैं । खुदा फाटक में इसलिए पहरेदार रखता है ताकि कोई दुश्मन घुस कर खुदा पर हमला न करदे, वरना यदि ऐसी बात भय की न होती तो खुदा के मकान में फाटक लगाने व चौकीदारों की क्या जरूरत थी ? ऐसा डरपोक व्यक्ति खुदा नहीं माना जा सकता है ।

28. खुदा मुकद्दमेबाज भी था ।

बाइबिल यहेजकेल 17/20 में खुदा ने कहा है कि-

" और मै अपना जाल उस पर फैलाऊँगा और वह मेरे फन्दे में फंसेगा और मैं उसको बाबुल में पहुँचाकर उस विश्वासघात का मुकद्दमा उससे लडूंगा, जो उसने मुझसे किया ॥

समीक्षा

इससे स्पष्ट है कि खुदा मुकद्दमेबाज भी था । पर फैसला करने वाला मजिस्ट्रेट तो ईसाई खुदा के अतिरिक्त दूसरा ही होगा अथवा कोई दूसरा बड़ा खुदा ही होगा । ईसाई खुदा का " मुकद्दमेबाज" होना भी मजे की बात है। 

29. खुदा गुस्सेबाज भी था

बाइबिल याशायाह 54/7-8  में लिखा है कि

" क्षण भर के लिए मैंने तुझे छोड़ दिया था, परन्तु अब बड़ी दया करके मैं फिर तुझे रख लूँगा ॥

क्रोध के झकोरे में आकर मैने पल भर के लिए तुझसे मुँह छिपाया था, परन्तु अब अनन्त करूणा से मैं तुझ पर दया करूँगा । तेरे छुड़ाने वाले यहोवा का यह वचन है ॥

 समीक्षा

जो खुदा क्रोध के वशीभूत होकर गलती कर बैठे, फिर उस पर पछतावे, वह खुदा नहीं हो सकता है । क्रोध एक कमजोरी है, जो खुदा पर भी हावी है । 

30. ईसा और यहोवा शराब पिलाकर लोगों को मूर्ख बनाते थे

बाइबिल याशायाह 25/6 में लिखा है कि

 सेनाओं का यहोवा इसी पर्वत पर सब देशों के लोगों के लिए ऐसी जेवनार करेगा, जिसमें भाँति-भाँति का चिकना भोजन और निथरा हुआ दाखमधु (शराब) होगा, उत्तम से उत्तम चिकना भोजन और बहुत ही निथरा हुआ दाखमधु होगा ॥

" बाइबिल यूहन्ना 2/7-9 में लिखा है कि यीशु ने उनसे कहा-

मटकों में पानी भर दो, सो उन्होंने उसे मुँहा - मुँह भर दिया ॥

तब उसने उनसे कहा - अब निकाल कर भोज के प्रधान के पास ले जाओ ॥

आगे बाइबिल में लिखा है कि- वे लोग उस पानी को भोज के प्रधान के पास ले गये तब भोज के प्रधान ने वह पानी चखा, जो दाखरस (शराब) बन गया था ॥

 जबकि बाइबिल होशे 4/11 में लिखा है कि - “वैश्यागमन और दाखमधु और ताजा दाखमधु (शराब) ये तीनों बुद्धि को भ्रष्ट करते हैं ॥

समीक्षा

इन प्रमाणों से स्पष्ट है कि ईसाई खुदा तथा मसीह लोगों को दावतों में शराब पिलाकर पागल बनाया करते थे तथा उनकी बुद्धि को भ्रष्ट किया करते थे । ऐसे गन्दे काम करने वाले को खुदा, या खुदा का बेटा या उद्धारक मानना भी कमअक्ल की बात है।

31. ईसा ने पैगम्बरों को चोर डाकू बताया था

- बाइबिल यूहन्ना 10/7-8  में लिखा है कितब यीशु ने उनसे फिर कहा- " मैं तुमसे सच-सच कहता हूँ कि भेड़ों का द्वार मैं हूँ ॥ जितने मुझसे पहले आये, वे सब चोर और डाकू हैं, परन्तु भेड़ों ने उनकी एक न सुनी ॥

 समीक्षा

अपने से पहले आये हुए जनता के माननीय महापुरूषों, पैगम्बरों को चोर डाकू बताकर गालियाँ देना खुदा का बेटा बनने वाले इस ईसा मसीह को कहाँ तक शोभा देता है ? यह भी एक सोचने की बात है । 


इति। 

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