धर्म (Magic or Logic)
इस विवरण में दी गई घटनाए वास्तविक हैं. नाम और समय इसलिए नहीं लिखा है क्योंकि नाम कोई भी हो स्थान कोई भी हो सकता है.
1- उत्तरप्रदेश मेरठ के निकट -
गुरु जी ने बहुत बड़ा हाल कमरा बनवाया. कमरे में कंक्रीट का लेंटर ( RCC Slab) लगाया. कंक्रीट डालने के 5 दिन बाद गुरु जी ने निर्माण करने वाले राज मिस्त्री को कहा कि शटरिंग हटा दें. उसने कहा कि कम से कम 15 दिन का समय लगता है. अभी शटरिंग हटाई तो चोट लग जाएगी और छत गिर जाएगी. गुरु ने कहा कि गुरु के वचन में बहुत शक्ति है. तुम्हे विश्वास नहीं है. तुम पीछे हट जाओ. अपने अनुयायियों को शटरिंग हटाने का आदेश दिया. शटरिंग हटाते समय छत्त टूट कर गिर गई. कई श्रद्धालु मर गए और बहुत से बुरी तरह घायल हो गए . मरे हुए श्रद्धालू स्वर्ग में गए यह गुरु जी ने बताया.
गुरु जी ने बहुत बड़ा हाल कमरा बनवाया. कमरे में कंक्रीट का लेंटर ( RCC Slab) लगाया. कंक्रीट डालने के 5 दिन बाद गुरु जी ने निर्माण करने वाले राज मिस्त्री को कहा कि शटरिंग हटा दें. उसने कहा कि कम से कम 15 दिन का समय लगता है. अभी शटरिंग हटाई तो चोट लग जाएगी और छत गिर जाएगी. गुरु ने कहा कि गुरु के वचन में बहुत शक्ति है. तुम्हे विश्वास नहीं है. तुम पीछे हट जाओ. अपने अनुयायियों को शटरिंग हटाने का आदेश दिया. शटरिंग हटाते समय छत्त टूट कर गिर गई. कई श्रद्धालु मर गए और बहुत से बुरी तरह घायल हो गए . मरे हुए श्रद्धालू स्वर्ग में गए यह गुरु जी ने बताया.
2-- उत्तर प्रदेश मथुरा के निकट -
करोड़ पति गुरु जी का जन्मदिन. गरीबों को मुफ्त सामान बांटने का लालच दिया. आश्रम के दरवाजे पर गरीबों की जबरदस्त भीड़. कई घण्टे तक इन्तजार के बाद गुरु जी आए. धोती, कटोरी, गिलास आदि इस तरह बंटवाया कि भगदड़ मच गई. कई गरीब मारे गए. गुरु जी ने यह कहकर पल्ला झाड लिया कि मेरे आश्रम के बाहर मरे हैं. मेरी कोई जिम्मेवारी नहीं. पुलिस चुप. इन गुरु जी ने भी मुगल बादशाहों की तरह केवल अपने पुत्रों का विवाह किया था. पुत्रियों का नहीं.
करोड़ पति गुरु जी का जन्मदिन. गरीबों को मुफ्त सामान बांटने का लालच दिया. आश्रम के दरवाजे पर गरीबों की जबरदस्त भीड़. कई घण्टे तक इन्तजार के बाद गुरु जी आए. धोती, कटोरी, गिलास आदि इस तरह बंटवाया कि भगदड़ मच गई. कई गरीब मारे गए. गुरु जी ने यह कहकर पल्ला झाड लिया कि मेरे आश्रम के बाहर मरे हैं. मेरी कोई जिम्मेवारी नहीं. पुलिस चुप. इन गुरु जी ने भी मुगल बादशाहों की तरह केवल अपने पुत्रों का विवाह किया था. पुत्रियों का नहीं.
3-- राजस्थान - मेहन्दीपुर-
एक नवविवाहित युवती मानसिक रोगी. घर वाले एक तान्त्रिक के कहने पर उस नव विवाहिता को बालाजी धाम लाए. साथ में वह तांत्रिक भी आया. 3 दिन के बाद तान्त्रिक ने कहा कि भूत इसलिए बाहर नहीं आ रहा है क्योंकि इसका पति साथ है. युवती की सास के कहने पर पति वापिस घर आ गया. सास, बहु और तांत्रिक वहीँ रह गए. अगले दिन तांत्रिक ने बहु को धर्मशाला में अपने कमरे में इलाज के बहाने बुला लिया और सास को दर्शन करने वालों की लाइन भेज दिया.
4--
रोमन कैथोलिक में किसी को सन्त घोषित करना हो तो उसकी पहली शर्तें होती है, उपरोक्त व्यक्ति के नाम के साथ कोई चमत्कार घटित होता दिखाया जाये। अगर चमत्कार का 'प्रमाण' पेश किया गया तो उपरोक्त व्यक्ति का 'बीटिफिकेशन' होता है अर्थात उसे ईसा के प्रिय पात्रों में शुमार किया जाता है, जिसका ऐलान वैटिकन में आयोजित एक बड़े धार्मिक जलसे में लाखों लोगों के किया जाता है तथा दूसरे चरण में उसे सन्त घोषित किया जाता है जिसे 'कननायजेशन' कहते हैं।
अभी कुछ साल पहले मदर टेरेसा के बीटिफिकेशन हुआ था , जिसके लिए राईगंज के पास की रहनेवाली किन्हीं मोनिका बेसरा से जुड़े 'चमत्कार' का विवरण पेश किया गया था। गौरतलब है कि 'चमत्कार' की घटना की प्रामाणिकता को लेकर सिस्टर्स आफ चैरिटी के लोगाें ने लम्बा चौड़ा 450 पेज का विवरण वैटिकन को भेजा था। यह प्रचारित किया गया था कि मोनिका के टयूमर पर जैसे ही मदर टेरेसा के लॉकेट का स्पर्श हुआ, वह फोड़ा छूमन्तर हुआ। दूसरी तरफ खुद मोनिका बेसरा के पति सैकिया मूर्म ने खुद 'चमत्कार' की घटना पर यकीन नहीं किया था और मीडियाकर्मियों को बताया था कि किस तरह मोनिका का लम्बा इलाज चला था। दूसरे राईगंज के सिविल अस्पताल के डाक्टरों ने भी बताया था कि किस तरह मोनिका बेसरा का लम्बा इलाज उन्होंने उसके टयूमर ठीक होने के लिए किया।
इसी कड़ी में कुछ हिन्दुओं की मूर्खता देखिये उन्होंने इंग्लैंड के वेम्ब्ली में 16 मिलियन पौंड खर्च करके आलीशान मंदिर का निर्माण किया उसमें हिन्दू देवी देवताओं के अतिरिक्त वीर शिवाजी, महाराणा प्रताप या बन्दा बैरागी नहीं अपितु मदर टेरेसा की मूर्ति लगा डाली।
5-
उत्तर प्रदेश - बहराइच--
यहाँ गाज़ी मियां की कब्र है। गाज़ी मियां का असली नाम सालार गाज़ी मियां था एवं उसका जन्म अजमेर में हुआ था। इस्लाम में गाज़ी की उपाधि किसी काफ़िर यानि गैर मुसलमान को क़त्ल करने पर मिलती थी। गाज़ी मियां के मामा मुहम्मद गजनी ने ही भारत पर आक्रमण करके गुजरात स्थित प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर का विध्वंश किया था। कालांतर में गाज़ी मियां अपने मामा के यहाँ पर रहने के लिए गजनी चला गया। कुछ काल के बाद अपने वज़ीर के कहने पर गाज़ी मियां को मुहम्मद गजनी ने नाराज होकर देश से निकला दे दिया। उसे इस्लामिक आक्रमण का नाम देकर गाज़ी मियां ने भारत पर हमला कर दिया। हिन्दू मंदिरों का विध्वंश करते हुए, हजारों हिन्दुओं का क़त्ल अथवा उन्हें गुलाम बनाते हुए, नारी जाति पर अमानवीय कहर बरपाते हुए गाज़ी मियां ने बाराबंकी में अपनी छावनी बनाई और चारों ओर अपनी फौजे भेजी। मानिकपुर,बहराइच आदि के 24 हिन्दू राजाओ ने राजा सोहेल देव के नेतृत्व में जून की भरी गर्मी में गाज़ी मियां की सेना का सामना किया और उसकी सेना का संहार कर दिया। राजा सोहेल देव ने गाज़ी मियां को खींच कर एक तीर मारा जिससे की वह परलोक पहुँच गया। उसकी लाश को उठाकर एक तालाब में फेंक दिया गया। हिन्दुओं ने इस विजय से न केवल सोमनाथ मंदिर के लूटने का बदला ले लिया था बल्कि अगले 200 सालों तक किसी भी मुस्लिम आक्रमणकारी का भारत पर हमला करने का दुस्साहस नहीं हुआ।
कालांतर में फ़िरोज़ शाह तुगलक ने अपनी माँ के कहने पर बहरीच स्थित सूर्य कुण्ड नामक तालाब को भरकर उस पर एक दरगाह और कब्र गाज़ी मियां के नाम से बनवा दी जिस पर हर जून के महीने में सालाना उर्स लगने लगा। मेले में एक कुण्ड में कुछ बेहरूपियें बैठ जाते है और कुछ समय के बाद लाइलाज बिमारिओं को ठीक होने का ढोंग रचते है। पूरे मेले में चारों तरफ गाज़ी मियां के चमत्कारों का शोर मच जाता है और उसकी जय-जयकार होने लग जाती है। हजारों की संख्या में मुर्ख हिन्दू औलाद की, दुरुस्ती की, नौकरी की, व्यापार में लाभ की दुआ गाज़ी मियां से मांगते है, शरबत बांटते है , चादर चदाते है और गाज़ी मियां की याद में कव्वाली गाते है। इसी के बारे में तुलसीदास जी दोहावली” में कहते हैं –लही आँखि कब आँधरे, बाँझ पूत कब ल्याइ ।कब कोढ़ी काया लही, जग बहराइच जाइ॥अर्थात “पता नहीं कब किस अंधे को आँख मिली, पता नहीं कब किसी बाँझ को पुत्र हुआ, पता नहीं कब किसी कोढ़ी की काया निखरी, लेकिन फ़िर भी लोग बहराइच क्यों जाते हैं
6- राजस्थान - अजमेर -
साल में एक बार उर्स (मेला) लगता है. यात्रा निकाली जाती है. मूर्ख हिन्दू बहुत बड़ी मात्रा में चढ़ावा चढ़ाता है और गीत गाता है -
ख्वाजा मेरे ख्वाजा. दिल में समा जा.
उसी कब्र पर जाकर मन्नत मांगी जाती हैं. सन्त दादू जी कहते हैं -
दादू दुनिया बावरी, कब्रे पूजें ऊत्त,
जिनको कीड़े खा गए उनसे मांगे पूत
ये वह आक्रान्ता है जिसने अन्तिम हिन्दू सम्राट पृथ्वीराज चौहान को नष्ट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. यह है अन्धभक्ति जिसमे बुद्धि के दरवाजे को बंद करके ताला लगा दिया जाता है. अजमेर में ख्वाजा की कब्र के आस पास बिकने वाले साहित्य में साफ़ साफ़ उसका सम्बन्ध मुहम्मद गौरी से बताया जाता है.
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इसलिए धर्म का सम्बन्ध तर्क से है, बुद्धि से अन्धानुकर्ण से नहीं.
एक नवविवाहित युवती मानसिक रोगी. घर वाले एक तान्त्रिक के कहने पर उस नव विवाहिता को बालाजी धाम लाए. साथ में वह तांत्रिक भी आया. 3 दिन के बाद तान्त्रिक ने कहा कि भूत इसलिए बाहर नहीं आ रहा है क्योंकि इसका पति साथ है. युवती की सास के कहने पर पति वापिस घर आ गया. सास, बहु और तांत्रिक वहीँ रह गए. अगले दिन तांत्रिक ने बहु को धर्मशाला में अपने कमरे में इलाज के बहाने बुला लिया और सास को दर्शन करने वालों की लाइन भेज दिया.
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रोमन कैथोलिक में किसी को सन्त घोषित करना हो तो उसकी पहली शर्तें होती है, उपरोक्त व्यक्ति के नाम के साथ कोई चमत्कार घटित होता दिखाया जाये। अगर चमत्कार का 'प्रमाण' पेश किया गया तो उपरोक्त व्यक्ति का 'बीटिफिकेशन' होता है अर्थात उसे ईसा के प्रिय पात्रों में शुमार किया जाता है, जिसका ऐलान वैटिकन में आयोजित एक बड़े धार्मिक जलसे में लाखों लोगों के किया जाता है तथा दूसरे चरण में उसे सन्त घोषित किया जाता है जिसे 'कननायजेशन' कहते हैं।
अभी कुछ साल पहले मदर टेरेसा के बीटिफिकेशन हुआ था , जिसके लिए राईगंज के पास की रहनेवाली किन्हीं मोनिका बेसरा से जुड़े 'चमत्कार' का विवरण पेश किया गया था। गौरतलब है कि 'चमत्कार' की घटना की प्रामाणिकता को लेकर सिस्टर्स आफ चैरिटी के लोगाें ने लम्बा चौड़ा 450 पेज का विवरण वैटिकन को भेजा था। यह प्रचारित किया गया था कि मोनिका के टयूमर पर जैसे ही मदर टेरेसा के लॉकेट का स्पर्श हुआ, वह फोड़ा छूमन्तर हुआ। दूसरी तरफ खुद मोनिका बेसरा के पति सैकिया मूर्म ने खुद 'चमत्कार' की घटना पर यकीन नहीं किया था और मीडियाकर्मियों को बताया था कि किस तरह मोनिका का लम्बा इलाज चला था। दूसरे राईगंज के सिविल अस्पताल के डाक्टरों ने भी बताया था कि किस तरह मोनिका बेसरा का लम्बा इलाज उन्होंने उसके टयूमर ठीक होने के लिए किया।
इसी कड़ी में कुछ हिन्दुओं की मूर्खता देखिये उन्होंने इंग्लैंड के वेम्ब्ली में 16 मिलियन पौंड खर्च करके आलीशान मंदिर का निर्माण किया उसमें हिन्दू देवी देवताओं के अतिरिक्त वीर शिवाजी, महाराणा प्रताप या बन्दा बैरागी नहीं अपितु मदर टेरेसा की मूर्ति लगा डाली।
5-
उत्तर प्रदेश - बहराइच--
यहाँ गाज़ी मियां की कब्र है। गाज़ी मियां का असली नाम सालार गाज़ी मियां था एवं उसका जन्म अजमेर में हुआ था। इस्लाम में गाज़ी की उपाधि किसी काफ़िर यानि गैर मुसलमान को क़त्ल करने पर मिलती थी। गाज़ी मियां के मामा मुहम्मद गजनी ने ही भारत पर आक्रमण करके गुजरात स्थित प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर का विध्वंश किया था। कालांतर में गाज़ी मियां अपने मामा के यहाँ पर रहने के लिए गजनी चला गया। कुछ काल के बाद अपने वज़ीर के कहने पर गाज़ी मियां को मुहम्मद गजनी ने नाराज होकर देश से निकला दे दिया। उसे इस्लामिक आक्रमण का नाम देकर गाज़ी मियां ने भारत पर हमला कर दिया। हिन्दू मंदिरों का विध्वंश करते हुए, हजारों हिन्दुओं का क़त्ल अथवा उन्हें गुलाम बनाते हुए, नारी जाति पर अमानवीय कहर बरपाते हुए गाज़ी मियां ने बाराबंकी में अपनी छावनी बनाई और चारों ओर अपनी फौजे भेजी। मानिकपुर,बहराइच आदि के 24 हिन्दू राजाओ ने राजा सोहेल देव के नेतृत्व में जून की भरी गर्मी में गाज़ी मियां की सेना का सामना किया और उसकी सेना का संहार कर दिया। राजा सोहेल देव ने गाज़ी मियां को खींच कर एक तीर मारा जिससे की वह परलोक पहुँच गया। उसकी लाश को उठाकर एक तालाब में फेंक दिया गया। हिन्दुओं ने इस विजय से न केवल सोमनाथ मंदिर के लूटने का बदला ले लिया था बल्कि अगले 200 सालों तक किसी भी मुस्लिम आक्रमणकारी का भारत पर हमला करने का दुस्साहस नहीं हुआ।
कालांतर में फ़िरोज़ शाह तुगलक ने अपनी माँ के कहने पर बहरीच स्थित सूर्य कुण्ड नामक तालाब को भरकर उस पर एक दरगाह और कब्र गाज़ी मियां के नाम से बनवा दी जिस पर हर जून के महीने में सालाना उर्स लगने लगा। मेले में एक कुण्ड में कुछ बेहरूपियें बैठ जाते है और कुछ समय के बाद लाइलाज बिमारिओं को ठीक होने का ढोंग रचते है। पूरे मेले में चारों तरफ गाज़ी मियां के चमत्कारों का शोर मच जाता है और उसकी जय-जयकार होने लग जाती है। हजारों की संख्या में मुर्ख हिन्दू औलाद की, दुरुस्ती की, नौकरी की, व्यापार में लाभ की दुआ गाज़ी मियां से मांगते है, शरबत बांटते है , चादर चदाते है और गाज़ी मियां की याद में कव्वाली गाते है। इसी के बारे में तुलसीदास जी दोहावली” में कहते हैं –लही आँखि कब आँधरे, बाँझ पूत कब ल्याइ ।कब कोढ़ी काया लही, जग बहराइच जाइ॥अर्थात “पता नहीं कब किस अंधे को आँख मिली, पता नहीं कब किसी बाँझ को पुत्र हुआ, पता नहीं कब किसी कोढ़ी की काया निखरी, लेकिन फ़िर भी लोग बहराइच क्यों जाते हैं
6- राजस्थान - अजमेर -
साल में एक बार उर्स (मेला) लगता है. यात्रा निकाली जाती है. मूर्ख हिन्दू बहुत बड़ी मात्रा में चढ़ावा चढ़ाता है और गीत गाता है -
ख्वाजा मेरे ख्वाजा. दिल में समा जा.
उसी कब्र पर जाकर मन्नत मांगी जाती हैं. सन्त दादू जी कहते हैं -
दादू दुनिया बावरी, कब्रे पूजें ऊत्त,
जिनको कीड़े खा गए उनसे मांगे पूत
ये वह आक्रान्ता है जिसने अन्तिम हिन्दू सम्राट पृथ्वीराज चौहान को नष्ट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. यह है अन्धभक्ति जिसमे बुद्धि के दरवाजे को बंद करके ताला लगा दिया जाता है. अजमेर में ख्वाजा की कब्र के आस पास बिकने वाले साहित्य में साफ़ साफ़ उसका सम्बन्ध मुहम्मद गौरी से बताया जाता है.
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इसलिए धर्म का सम्बन्ध तर्क से है, बुद्धि से अन्धानुकर्ण से नहीं.
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