ब्राह्मणों द्वारा सिक्खों के लिए दिए गए बलिदान
आमतौर पर सिख समाज के लोग और उनमें भी अलगाववादी खालिस्तानी जट्ट सिक्ख ब्राह्मणों के प्रति अति निंदनीय घृणास्पद शब्दों का प्रयोग करते हैं । एक गंगू नाम के ब्राह्मण की एक भूल को लेकर पूरे ब्राह्मण समाज को दोषी, कायर एवं ग़द्दार करार दे देते है, लेकिन इन पाकिस्तान परस्त लोगों को ये नहीं पता कि इनके गुरुओं की सेनाओं में सबसे ज़्यादा सैनिक ब्राह्मण समाज से ही होते है । सिख गुरुओं के लिए शहादत देने वाले ब्रह्मणो की एक सूचि बनाई गई है जिसमें सिक्ख गुरुओं के लिये अपना बलिदान देने वाले ब्राह्मण वीरों का उल्लेख है :-
1. पंडित प्रागा दास जी -
पिता का नाम एवं जन्मस्थान - इनके पिता जी का नाम पंडित माई दास जी था , इनका जन्म करीयाला झेलम में हुआ था जोकि वर्तमान पाकिस्तान में है ।
भूमिका - पंडित प्रागा जी एक छिबर ब्राह्मण थे । ये पाँचवे गुरु श्री अर्जुन देव जी के मुख्य सहयोगी रहे । इन्होंने छटे गुरु को युद्ध कला सीखाने का श्रेय प्राप्त है । 1621 में अब्दुलाखान के साथ हो रहे युद्ध में इनको वीरगति प्राप्त हुई ।
2. पंडित पेड़ा जी -
पिता का नाम एवं जन्मस्थान - इनके पिता जी का नाम पंडित माई दास जी था , इनका जन्म करीयाला झेलम में हुआ था जोकि वर्तमान पाकिस्तान में है । ये पंडित प्रागा दास जी के छोटे भाई थे ।
भूमिका - पंडित पेड़ा दास जी भी गुरु अर्जुन देव जी के मुख्य सहयोगी थे और ये गुरु हरगोविंद सिंह जी की सेना के मुख्यसेनापति थे । इन्होंने सभी लड़ाईयों में हिस्सा लिया और अंत में अमृतसर की लड़ाई में शहीद हुए ।
3. पंडित मुकुंदा राम जी -
जन्मस्थान - कराची , वर्तमान पाकिस्तान
भूमिका - पंडित मुकुंदा राम जी गुरु अर्जुन देव जी के मुख्य सेवक थे और बाद में उनकी सेना के मुख्य सेनापति के तौर पर भी नियुक्त हुए । पंडित मुकुंदा राम जी चार वेदों के ज्ञाता एवं युद्ध कला में निपुण थे । इनको भी युद्ध में शहीद होना का श्रेय प्राप्त है ।
4. पंडित जट्टू दास जी -
जन्मस्थान - लाहौर, पाकिस्तान
भूमिका - पंडित जट्टू दास जी एक तिवारी ब्राह्मण थे पंडित जट्टू राम जी गुरु हरगोविंद सिंह जी की सेना में सेनानी थे और बाद में इन्होंने सेना का कार्य भार भी संभाला । 1630 में मुहम्मद खान के साथ इन्होंने बड़ी लड़ाई लड़ी और मुहम्मद खान का वध करने का श्रेय इन्हें ही प्राप्त है । मुहमद खान के साथ लड़ाई में इनको बहुत शारीरिक नुक़सान पहुँचा और युद्ध क्षेत्र में ही वीर गति को प्राप्त हो गये ।
5 .पंडित सिंघा पुरोहित जी -
भूमिका - पंडित सिंघा पुरोहित जी गुरु अर्जुन देव जी के मुख्य सेवक थे जो छटवें गुरु की सेना में सिपाही भी रहे । श्री सिंघा जी अमृतसर के नज़दीक लड़ाई में शहीद हुए
6. पण्डित मालिक जी पुरोहित
पिता का नाम - पंडित सिंघा जी पुरोहित
भूमिका - पण्डित मलिक जी पंडित सिंघा जी के सुपुत्र थे ( पढ़े नम्बर 5 ) मुखलसखान के विरुद्ध इन्होंने धुआँधार लड़ाई लड़ी और अंत में विजयी भी हुई । पंडित मलिक जी गुरु हरगोविंद का दाहिना हाथ माना जाता है । इनको भंगाणी के युद्ध में शहादत प्राप्त हुई।
7. पंडित लाल चंद जी -
जन्मस्थान - कुरुक्षेत्र, हरियाणा
पंडित लाल जी एक महान विद्वान एवं योद्धा थे । श्री लाल चंद जी चमकौर की लड़ाई में शहीद हुए थे ।
8. पंडित किरपा राम जी
पिता का नाम - पंडित अड़ू राम जी
भूमिका - पंडित कृपा राम जी गुरु तेग़ बहादूर जी के प्रमुख सहयोगी थे ,इन्होंने ही गोबिंद राय जी को सारी शस्त्र विद्या सिखाई थी । कहा जाता है कि इनके जैसा वीर योद्धा पंजाब के इतिहास में नहीं हुआ । इनको चमकौर की लड़ाई में शहादत मिली । ये समकालीन सेना के सेनापति भी थे ।
9. पंडित सनमुखी जी
पिता का नाम - पंडित अड़ू राम जी
सनमुखी जी पंडित कृपा जी के भाई थे , और ये इनको दसवे गुरु द्वारा खालसा फ़ौज का सेनापति भी मनोनीत किया गया था , पंडित सनमुखी जी चमकौर की लड़ाई में शहीद हुए थे ।
10. पंडित चोपड़ राय जी -
पिता का नाम एवं जन्मस्थान - श्री पेड़ा राम जी , जेहलम
भूमिका - श्री चोपड़ राय जी एक बहुभाषी विद्वान थे । इन्होंने रहतनामें एवं अन्य आध्यात्मिक कृतियों की रचना की । श्री चोपड राय जी ने खालसा फ़ौज का नेतृत्व किया और ये भंगाणी के युद्ध में शहीद हुए ।
11. पण्डित मथुरा जी
पिता का नाम एवं जन्मस्थान - श्री भीखा राम जी , लाड़वा हरियाणा
श्री मथुरा राम जी एक महान विद्वान एवं योद्धा थे । श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी में इनके चौदह अंक दर्ज है । इन्होंने मात्र अपने ४०० साथियों की सहायता से बैरम खान के साथ युद्ध किया एवं जीत भी हासिल की । इन्होंने बैरम खान को मौत की नींद सुला दिया था । श्री मथुरा जी 1634 में अमृतसर की लड़ाई में शहीद हुए ।
12. पण्डित किरत जी
जन्मस्थान एवं पिता का नाम - श्री भिखा राम जी , लाड़वा हरियाणा
पण्डित किरत जी एक महान विद्वान एवं योद्धा थे , इनके द्वारा रचित आठ अंक गुरु ग्रंथ साहिब में अंकित है । श्री किरत जी गुरु अमरदास के सहयोगी थे और 1634 ईसवी में गोविंदगढ़ की जंग में शहीद हुए ।
13. पण्डित बालू जी
पिता का नाम एवं जन्मस्थान - श्री मूलचंद जी , कश्मीर
पण्डित बालू जी भाई दयाल दास के पोते थे , पण्डित परागा दास के नेतृत्व में लड़ी गयी सिख इतिहास की पहली लड़ाई में शहीद हुए
14. पण्डित सती दास जी
15. पण्डित मति दास जी
( 14 & 15 के विषय में कुछ भी लिखना मेरे लिए सूरज को दीपक दिखाने के समान होगा ।
16. बाजीराव पेश्वा
पिता का नाम - बालाजी विश्वनाथ
स्थान - कोंकण महाराष्ट्र
बाजीराव पेश्वा ने अपने नेतृत्व में मराठी सेना को एकत्रित करके उत्तरी भारत तक कूच किया और विशाल मराठा साम्राज्य की स्थापना की । इनकी सेना गोरिल्ला युद्ध करने मे अत्यन्त निपुण थी जिसके कारण इन्होंने मुगल शासकों की रीढ़ तोड़ डाली थी । इन्होंने ही सिक्खों को लाहौर का किला जीतकर उपहार में दिया और दिल्ली के बादशाह फर्रुखसियर ने गोबिंद राय जी की पत्नियों ( साहिब कौर और सुंदरी ) को उस मुगल बादशाह की कैद से छुड़वाया था ।
ये मुख्य मुख्य उन ब्राह्मणों की सूचि है जिन्होंने सिक्ख आंदोलन में भाग लिया और मुसलमान बादशाहों का जो सपना भारत को इस्लामी देश खुरासान बनाना था उसके विरुद्ध सिक्ख सेनाओं को मजबूत किया ।
सिख गुरुओं द्वारा हवन- यज्ञ करने के अनेक प्रमाण गुरु ग्रन्थ साहिब में मिलते है।
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