स्वतन्त्रता सेनानी कर्मठ समाज सेविका
बहिन लक्ष्मी आर्या रोहणा सोनीपत
महर्षि दयानन्द सरस्वती की प्रेरणा एवं परम पिता परमेश्वर की विशेष अनुकम्पा से पूज्या बहन लक्ष्मी देवी जी का समस्त जीवन वैदिक धर्म , आर्यसमाज , राष्ट्रीय स्वतन्त्रता प्रान्दोलन एवं गरीबों की सेवा में बीता। आपका जन्म ग्राम रोहणा जिला रोहतक ( अब सोनीपत ) में चौ० भानाराम के घर सन् १९०३ ई० में हुआ। बचपन में ही माता - पिता का स्वर्गवास होने से बहन जी का पालन - पोषण इनके ताऊ एवं बड़े भाई ने किया। ११ वर्ष की आयु में ही इनका विवाह हो गया था।
दुर्भाग्य से १६ वर्ष की आयु में ही आप विधवा हो गई। पर आप बहुत साहसी थीं। अमर हुतात्मा भक्त फूलसिंह जो से सम्पर्क करके आप कन्या महाविद्यालय जालन्धर में प्रविष्ट हो गई। अध्ययन करने के बाद कुछ दिन कन्या गुरुकुल खानपुर में अध्यापन कार्य प्रारम्भ किया ही था कि राष्ट्रीय आन्दोलन जोरों पर चल पड़ा। आप भी पूरी तरह से इस कार्य में जुट गई।
महात्मा गाँधी से आपको विशेष प्रेरणा मिली। आप साबरमती आश्रम में भी रहीं तथा पाकिस्तान बनने पर आपने हिन्दू महिलाओं को भारत लाने के लिए बड़े संघर्ष में अपने आप को झोंक दिया। लाहौर जेल में तथा अन्य जेलों में भी आपने काफी समय व्यतीत किया था। आर्य समाज के नेतृत्व में चलाए गये हर आन्दोलन में आपने बढ़ - चढ़ कर भाग लिया था। आपकी समस्त जिन्दगी कठोर संघर्ष में से गुजरी। आपका स्वभाव एवं कर्म साहसी पुरुषों जैसा था। सबसे महान कार्य बहन जी का यह था कि आपने अपने लिए कुछ नहीं रखा। लाखों रुपए की सम्पत्ति ' सैकड़ों आर्य संस्थानों , सामाजिक कार्यों एवं राष्ट्रहित में दान कर दी । भूदान आन्दोलन में आपने २५ बीघा भूमि दान दी। सर्वोदय में भी आपने काफी रुचि से कार्य किया । - पूज्या बहन जी एक जीवित शहीद के रूप में थी । दिन - रात सामाजिक कार्य में व्यस्त रहती थी। आपकी दिनचर्या बड़ी नियमित थी।
बहन लक्ष्मी आर्या का फोटो नहीं मिला, लेकिन कन्या गुरुकुल खानपुर का दुर्लभ फोटो है जहां वो कन्याओं को पढ़ाया करती थी।
No comments:
Post a Comment