Thursday, May 16, 2019

गोडसे और गाँधी





(गोडसे पर साध्वी प्रज्ञा के बयान से उपजे विवाद के पश्चात् वर्षों पूर्व लिखा लेख आज पुन: प्रासंगिक हो गया है। गोडसे ने गांधी वध किया जो असंवैधानिक कृत्य था जिसके लिये उन्हें फांसी हुयी। लेकिन क्यों वध किया यह जानने का प्रयास गोडसे को आतंकवादी बताने वाला गैंग कभी नहीं करता है। गांधी ने यदि पूना पैक्ट पर प्रशंसनीय किरदार निभाया तो विभाजन पर उनका किरदार निंदनीय था जिसके चलते लाखों निरपराध हिंदू और सिखों का कत्ल अल्लाह हू अकबर का दीनी घोष करते हुये किया गया। गोडसे को हत्यारा बता कर यह गैंग गांधी के विभाजन के समय के किरदार पर पाखंडी चुप्पी साध लेता है। हमें समस्या इस बात को लेकर भी है। निम्न पंक्तियों में पूर्व के लेख को पुन: पढ़ें।)

पाकिस्तान का विष- वृक्ष !

इस वृक्ष को बोया , सींचा और बड़ा किसने किया ? निसंदेह मोहनदास करमचंद गांधी और कांग्रेस ने ! और ऐसा खुलासा करने वाले कांग्रेसी विचारधारा के राजर्षि श्याम जी पाराशर थे जिन्होंने अपनी आंखों से विभाजन की पीड़ा देखी। लाखों हिंदू-सिखों का कत्ले आम , उनकी दुर्दशा और उनकी बहू-बेटियों से बलात्कार की घटनाओं से खिन्न होकर इन सारे पापों का जिम्मेदार कांग्रेस और इसके पुरोहित गांधी को माना । जिस व्यक्ति ने कभी गांधी की तारीफ में किताब लिखी उसकी चेतना ने विद्रोह किया और अपनी वाणी को 'पाकिस्तान का विष-वृक्ष' पुस्तक में उतारा। आजादी पूर्व गांधी को देवता मानकर उनकी तारीफ में ' जवाहर-दिग्विजय' लिखने वाले पाराशर ने अपनी अंतरात्मा की आवाज पर लिखा -

" कांग्रेस ने पाकिस्तानी पिशाच के सामने नतमस्तक होकर राष्ट्र के मार्ग को कण्टकाकीर्ण बना दिया है।कांग्रेस का कहना है कि उसने झगड़ा समाप्त करने के लिये ही सब कुछ किया , वास्तव में इसने पाकिस्तान को स्वीकार कर नित्य का झगड़ा खड़ा कर दिया। प्रजातंत्र के गीत गाते हुये भी कांग्रेस के सामने ' जनता की भावना ' की कोई कदर नहीं।सच तो है यह है कि इंडियन नेशनल कांग्रेस ने ग्रैंड इंडियन फासिस्ट का रूप धारण कर लिया है।कांग्रेस को अब हुकूमत करनी है , देशसेवा का कोई प्रश्न नहीं है।कांग्रेस मुसलमानों को पाकिस्तान नहीं जाने देती-अंबाला प्रांत के मुसलमानों को भी पाकिस्तान नहीं जाने देती क्योंकि उसे भय है कि यदि हिंदुस्तान में केवल हिंदू ही रह गये तो निश्चित ही यहां हिंदू सभा और संघ का प्राबल्य हो जायेगा।अत: केवल हिंदुओं के मुकाबले पर एक जबरदस्त मुसलमानों की जमात सरकार के सामने रहना जरूरी है।कांग्रेसी हुकूमत को दृढ़ करने के लिये इसके पुरोहित गांधी ने रास्ता सुझाया कि हिंदू मुसलमानों के शाश्वत बैर को अधिक से अधिक बढ़ाकर मुसलमानों के सहयोग से कांग्रेस हिंदुओं पर हुकूमत करती रहे।कांग्रेस के सामने देश की आजादी का प्रश्न न कभी था और न कभी रहेगा।यह तो उन स्वार्थी आदमियों का गुट है जो अग्रेजों के स्थान पर खुद हाकिम बनना चाहता था । इसीलिए पंजाब के शरणार्थियों को दुत्कारा गया और संघ के खिलाफ कानून लाया गया ।"

पाराशर गांधी का सही चरित्र उजागर करते हुये साबित करते हैं कि वह आत्मरक्षा में मुसलमानों के आक्रमण से बचने की हिंदुओं की चेष्टा को सांप्रदायिक दंगा कह देता था। गांधी ने दिल्ली के हिंदुओं को गिरफ्तार करवाया , शीतकाल में पंजाब के अभागे शरणार्थियों को मुसलमानों के परितक्त मकानों से निकाला , उनके स्थान पर उन्हीं पाकिस्तान परस्त मुसलमानों को ला लाकर बसाया।पाकिस्तान के हिंदू सिखों के मकानों पर मुसलमानों के कब्जे पर चुप रहा।उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा बहुमत से पारित हिंदी के प्रस्ताव का खुली सभा में विरोध किया।सभी जगह हिंदुओं से दंगों के बाद जुर्माना वसूलने में उनकी खाटें तक नीलाम करवा दीं। किसलिये ? ताकि मुसलमानों को खुशकर कांग्रेस शासन कर सके। लेखक के शब्दों में-

" अब तो वह खुल्लमखुल्ला छाती ठोककर मुसलमानों का पक्ष लेता है।सभ्य संसार की दृष्टि में हिंदुओं को जलील करने का एक भी मौका हाथ से नही जानें देता है।जो काम मौलाना जफर अली , गुजनफर अली , जिन्ना को करना चाहिए था वह काम आज गांधी कर रहा है।उनकी प्रार्थना सभा तो आप देखते ही होंगे । प्रार्थना सभा क्या है एक प्रकार से मुसलमानों का हाईकोर्ट है जिसमें गांधी बाबा इस्लाम के तथा आचरण भ्रष्ट यवनों के ऐडवोकेट बन उनकी वकालत करते हैं।दिल्ली के मुसलमानों के लिये तो आपने जान की बाजी लगा दी।दिल्ली में आये हिंदू शरणार्थियों के खिलाफ आपने जी भर जहर उगला ।उन्हें आचार भ्रष्ट , शराबी , कबाबी , लुच्चे और लफंगे तक कहा । हिंदुओं का गला काटने के लिये आप अपनी बात मनवा कर छोड़ते हैं।पाकिस्तानी पजाब की लाखों विधवाओं के बारे में आपने एक शब्द नहीं कहा । दिल्ली की मुसलमान विधवा के नाम आपने भरी सभा में आंसू बहाये।पहाड़गंज के हिंदुओं पर आपने दस हजार रुपया जुर्माना लगवाया। हिंदू हितैशी अखबार संग्राम और हिंदू आउट लुक को आपने बंद करवा दिया। किदवई का भाई मसूरी में कैसे मरा आप प्रार्थना सभा में उसका किस्सा ले बैठे।आपने प्रार्थना सभा को जनरल मर्चेंट की दुकान बना रखा है।आपने प्रार्थना के शब्द को कलंकित कर दिया है।जब आप बोलते हैं तो हम स्वयं ईश्वर से प्रार्थना करते हैं दीनानाथ , इस पथ भ्रांत महात्मा को संमार्ग दिखा। जबतक आप बोलते रहते हैं हमारा मन बेचैन रहता है।अनेक बार तो हमें ऐसा प्रतीत होता है कि मानों गांधी के रूप में नादिर , तैमूर , चंगेज , और औरंगजेब की आत्मा बोल रही है।

आप अपनी सायं प्रार्थना में कुरान का पाठ करते हैं।आपको हजार बार रोका , हजार बार मना किया , सत्याग्रह भी किया , अनुनय विनय भी की , आप नहीं माने । हिंदू के घर में , हिदू मंदिर में शत प्रतिशत हिंदू जनता के सामने आपका कुरान पढ़ना कहांतक उचित है ? आपकी दृष्टि में औज विल्ला वाली आयत का अर्थ बहुत अच्छा है! परंतु क्या इन्हीं अर्थों वाला हमारे पास वेद मंत्र नहीं ? वेद माता की गोद का परित्याग कर इस्लामी डायन की गोद में बैठने में आपको कौन सा सुख मिलता है ? मस्जिद में बैठकर आपने एक बार भी हिंदुओं के गीत नहीं गाये।इससे बड़ी कायरता और क्या हो सकती है ? आप बुजदिल भी हैं।"

पाराशर ने अपनी आंखों से गांधी का आचरण लगातार देखा। कभी अपनी किताब में गांधी को देव बताने वाला उसकी हकीकत देख लिखने पर मजबूर हो गया :

" सेवा में ,

महात्मा गांधी : एडवोकेट जनरल औफ इस्लाम ऐंड दी सेवियर , दी प्रोटेक्टर औफ दी कौलम्निस्ट पाकिस्तानिस्टस इन इंडिया हालमुकीम - बिरला भवन,
नई दिल्ली ।

महोदय ,

मनुष्य ऊंचे से ऊंचे उठकर नीचे कहां तक गिर सकता है यही एक शिक्षा हमें आपके जीवन से मिलती है ।"

लेखक ने विभाजन के समय पाकिस्तान में हुये दंगों के अनेक उदाहरण देकर बताया है कि सभी जगह मुठ्ठी भर हिंदू सिखों ने मुसलमानों की भारी भीड़ को बहादुरी से लड़कर वापस जाने पर मजबूर किया। लेकिन वहाँ की सेना की मदद से बाद में इनका सभी जगह नरसंहार कर दिया गया।हजारों औरतों ने जौहर कर लिया।

पुरोहित मौन ही रहा ?

- अरुण लवानिया


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