Thursday, October 18, 2018

सुग्रीव बाली युद्ध संशय निवारण



सुग्रीव बाली युद्ध संशय निवारण
प्रश्न: रामजी ने बाली को छुपकर मारा। क्या ये उचित है?
बाली से सुग्रीव का समझौता करा देते हनुमान जी??
उत्तर:- बाली ने अपने भाई सुग्रीव की पत्नी रूमा को छीनकर उसे बंधक बना लिया था।
और सुग्रीव को अपमानित कर उसके हक से वंचित कर दिया था। इसलिए उसको छुपकर मारना गुनाह नहीं था। क्या समझौता सुग्रीव पत्नि रूमा को देकर सम्भव व उचित था ।
सुग्रीव , श्री राम के परम मित्र थे ।
मित्र के लक्षण शास्त्रो में इस प्रकार कहे गए है ,
शास्त्रो मे लिखा है कि सच्चा दोस्त वह होता है-
“पापानिवारयति योजते हिताय, गुय्हम निगुय्हति गुणान प्रकटि करोति,
आपदगन्तम च न जहाति ददाति काले, सन्मित्रम लक्षणमिदम प्रवदंति विज्ञा"
अर्थात- जो अपने मित्र को पाप के मार्गपर जाने से रोकता है,सन्मार्ग की ओर प्रेरित करता है, दोस्त की गुप्त बातो को छिपाता है और गुणो का बखान करता है,आपत्ति के समय नही छोडता है अर्थात आपत्ति मे साथ देता है अच्छे मित्र की यह पहचान विद्वानो ने बताई है ।
अतः एक सच्चे मित्र की भांति न्यायप्रिय पुरुषोत्तम श्री राम ने मित्र सुग्रीव का साथ दिया ।
2: दरअसल बाली रावण का मित्र था। और यदि सीधे युद्ध करते तो वाली के समर्थक वानर और राक्षस एक हो जाते। युद्ध खत्म होने में बहुत समय लगता।
सीताजी को शायद जिंदा नहीं देख पाते।
भरत भी 14 साल की अवधि होने पर अग्निसमाधि ले लेते इसलिए जल्द से जल्द सुग्रीव की वानर सेना की आवश्यकता थी। इसलिए बाली से सीधी टक्कर लेना नीति नहीं थी।
3: रामजी इक्वाकु वंश के शासक थे , और उनके भाई भरत राजा थे। आर्यवर्त में धर्म की स्थापना उनका धर्म था।
मनु जी ने अपने धर्मशास्त्र में लिखा है कि जो भाई की पत्नी, बेटी और बहू से छल करता है वह आततायी है। उसे देखते ही मार देना धर्म है। अतः राम जी बाली को दंड देने के अधिकारी थे।
4: बाली विरोधी पक्ष के रावण से मिला था। रावण पापी दुष्ट , कई स्त्रियों , देवो का अपहरणकर्ता और देशधिघातक अधर्मी राजा था। देशविरोधी का मित्र होने से बाली अवश्य ही वध का अधिकारी था।
5: आज भी गुरिल्ला युद्ध जैसी युद्ध पद्धतियों में शत्रु को छिपकर मारा जाता है । शिवाजी महाराज की मावली सेना भी इसी पद्धति से युद्ध लड़ती थी और छुपकर मुगलों को मारती थी। तो क्या शिवाजी महाराज कायर हो गये या उनकी वीरता कम हो गई ?
तो फिर युद्ध नीति से युद्ध करके श्रीराम ने कौन सा पाप कर दिया ?
6: अपने मित्र सुग्रीव को उसकी पत्नी और राज्य दिलाना रामजी की प्रतिज्ञा और मित्र धर्म और वेदादि शास्त्र सम्मत भी था।
7: तारा को हनुमान जी ने राज्य की अधिकारिणी कह अंगद को राजा बनाने के लिये लिये कहा था पर तारा ने ही सुग्रीव को राजा बनाने के लिये कहा और तारा को पत्नि सुग्रीव ने जबरन नही बनाया बल्की वह तो बलि के साथ चिता मे जल कर प्राण त्यागना चाहती थी ।
(बाल्मीकि रामायण, किष्किन्धा कान्ड , एकाविंशः सर्ग श्लोक11, 14, 16)
8: जब श्रीराम जी ने तीर मार दिया, और फिर श्रीराम जी सामने आ गये, तो बाली ने पूछा कि - श्रीराम जी आपने मुझको छुपकर के मारा , यह तो आपने ठीक नहीं किया। यह तो नियम का उल्लंघन किया। आपने मुझे किस अधिकार से मारा? आपको लड़ना था तो मेरे सामने आकर लड़ते, तो पता चलता कि कितने क्षत्रिय हो। छुपकर के मारा, यह तो आपने नियम तोड़ दिया। उस समय श्रीरामचंद्र जी ने क्या उत्तर दिया। श्रीराम ने कहा, कि हम जिस परिवार से आये हैं, जिस वंश के हैं, उस वंश का इस धरती पर चक्रवर्ती शासन है। इस समय महाराजा भरत चक्रवर्ती राजा हैं। तुम महाराजा भरत के अंतर्गत उनके अधीन हो। महाराजा भरत के अंतर्गत रहते हुए तुमने अपने भाई पर अन्याय किया है, अत्याचार किया है। पहले गलती तुमने की है। और हम महाराजा भरत की ओर से तुमको दंड देने आये हैं। हमने दंड देकर के न्याय किया है। हमने कोई छल-कपट नहीं किया, कोई धोखा नहीं दिया। यह श्रीराम ने ऐसा न्यायपूर्ण उत्तर दिया।
निष्कर्ष: श्री राम द्वारा बाली को छुपकर मारना कूटनीति व एक पापी और धर्म द्रोही समर्थक का पराभव करना व मित्र धर्म निभाना था।
अतः यह कृत्य अनुचित नहीं कहा जा सकता।

No comments:

Post a Comment