आर्य समाज का प्रभाव
लगभग सत्तर वर्ष पुरानी घटना है। पंडित भूराराम जी (चिड़ी वाले) अपनी भजन मंडली के साथ प्रचार करने जा रहे थे। बीच रास्ते में दो पुलिसकर्मी आए। ओर उनकी भजन मंडली को परेशान करने लग गए। आरोप लगाते हुए बोले की आप नशे का सामान बेचते हो। पंडित श्री भूराराम जी ने उनको बहुत समझाया, की भाई हम तो आर्य समाज के प्रचारी हैं। भजन गाकर लोगों को सत्य मार्ग पर चलने की प्ररेणा देते हैं। वैदिक धर्म का प्रचार करते हैं। आर्य समाज के सिद्धांत लोगों को बताते हैं। हमारा ओर नशे का तो दूर तक कोई संबंध नहीं हैं।
पंडित जी ने पुलिस वालों को बहुत समझाया पर ना समझो ने पंडित जी एक न सुनी। उनको भजन मंडली सहीत थाने में ले गए। उन्होनें थानेदार को एक की दो बातें लगाकर सुनाई। थानेदार ने कहा चलो देखते हैं।
सज्जनों ये आर्य समाज की शिक्षा का प्रभाव ही कहो की जैसे ही थानेदार साहब ने पंडित भूराराम जी को देखा तो उनके पैरों में जा गीेरे। नमस्ते प्रणाम् दोनों की हुई। अब ये दृश्य देखकर वो दोनो सिपाही सन्न रह गए। ये क्या हो रहा है। सज्जनों ये थानेदार कोई ओर नहीं बल्कि पंडित भूराराम जी का विद्यार्थी था। पंडित जी की पाठशाला में पढ़ता था। गुरु ओर शिष्य दोनों ने एक दुसरे को पहचाना। थानेदार ने पंडित जी का अतिथि सत्कार किया।
इस घटिया हरकत के लिए थानेदार ने उन सिपाहियों को कड़ी फटकार लगाई। उनको नौकरी से बर्खास्त करने तक की बात कह दी। ऐसे में वो सिपाही थानेदार से माफी के लिए गिड़गिड़ाने लगे। थानेदार बोले तुम्हारी इस नीच हरकत के लिए मैं माफी का हकदार नहीं, अपितु गुरु जी से माफी मांगो। माफ करने का हक उन्हीं को है। सिपाहियों ने नम आंखो से पंडित जी के पैर पकड़ कर माफी मांगी। पंडित जी ने कहा एक शर्त पर तुम्हें माफ कर सकता हूं, सिपाहियों ने हामी कर दी।
पंडित जी ने उनको एक महिने तक गांवो में हमारी प्रचार की मुनियादी करने को कहा। सिपाहियों ने भी ऐसा ठीक समझा। लम्बी बात क्या है वो सिपाही घोड़ो पर जाते, पंडित जी उनको पहले की सूचित करते आज प्रचार इस गांव में होगा कल उसमें, गांव में भजन पार्टी के लिए रहने खाने की सारी व्यवस्था करके वे सिपाही वापिस पंडित जी को सूचित करते।
जब महिना पुरा होने वाला था तब पंडित भूराराम जी ने उनको कहा, तुम्हें ये दंड देने का मेरा कोई प्रायोजन नहीं था, बल्कि मैने ऐसा इस लिए किया ताकि ये हरकत तुम ओर तुम्हारे साथी आर्य समाज के किसी भजनोपदेशक के साथ न करो।
सज्जनों ऐसी ऐसी अनेकों घटनाएं हैं, जो प्रचार में हमारे भजनोपदेशकों के साथ घटित होती रहती थी। पंडित भूराराम जी जैसे उपदेशक विरले ही जन्म लेते हैं। यें भजनोपदेशक तूजर्बे वाले थे। जनता के मन को भांप कर उपदेश करते। 90 वर्ष की आयु तक आर्य समाज का प्रचार करके पुन्य कमाया।
।इन महान विभुतियों को श्रद्धा पूर्वक नमन।
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