Wednesday, July 17, 2019

कुरान में ग़ैरमुस्लिमो के प्रति अति कठोर वाक्यों का संग्रह



*◼️कुरान में ग़ैरमुस्लिमो के प्रति अति कठोर वाक्यों का संग्रह◼️*
(संग्रहीता- अरबी के सुप्रसिद्ध विद्वान् श्री पं० रामचन्द्र जी देहलवी)
*प्रस्तुति - 🌺 ‘अवत्सार’*

🔥 व इज़ा लकुल्लजीन आमनू कालू अमन्ना, व इज़ा ख़ली इला शयात्वीनिहिम् कालू इन्ना मअकुम् इन्नमा न:नु मुस्त:जिऊन।
सू० 2 रुकू 2 आ० 14
George Sale's Translation:-
"When they meet those who believe, they say we believe but when they retire privately, to their devils they say, we really hold with you and only mock at those people".
NOTE-The prophet making use of the liberty zealots of all religions have, by prescription of giving ill language, bestows this name on the Jewish rabbins and Christian priests; though he seems chiefly to mean the former against whom he had by much the greater spleen.
अर्थ:-और जब उन लोगों से मिलते हैं जो ईमान ला चुके तो कहते हैं हम ईमान ला चुके हैं, और जब एकान्त में अपने शैतानों से मिलते हैं तो कहते हैं हम तुम्हारे साथ हैं, हम तो सिर्फ (मुसलमानों को) बनाते हैं।

(इस आयत में ईसाई और यहूदी विद्वानों को शयातीन कहा गया है।)

🔥 But if ye do it not, nor shall ever be able to do it, justly fear the fire whose fuel is MAN and stones prepared for the unbelievers.
सू० 2 आ० 24
(इस आयत से दोजख की आग का ईंधन मूर्ति पूजकों और मूर्तियों को बताया गया है। यह आयत सत्यार्थ प्रकाश के 14 वें समुल्लास के खण्ड नं० 8 में आ चुकी है।)
सेल (Sale) साहब (False gods and idols) मुराद ली हुई फर्माते हैं देखो पृष्ठ 3 (Foot Note)

🔥 फ़ इम्मायातियन्नकुम् मिन्नी हुदन् फमन् तबिआ हुदाया फला खौफुन अलैहिम् वलाहुम् यःजनून्
वल्लज़ीन कफरू व कज्ज़बू विआयातिना उलाइक अस्तताबुन्नारि, हुम् फ़ीहा ख़ालिदून्।
सू० 2 रु० 4 आ० 39
अर्थ:-अगर हमारी तरफ से तुम लोगों के पास कोई हिदायत पहँचे (तो उस पर चलना क्योंकि) जो हमारी हिदायत की पैरबी करेंगे उन पर न तो (किसी किस्म का) खौफ होगा और न वह आज़र्दा खातिर (दु:खित) होंगे। और जो लोग ना फुर्मानी करेंगे और हमारी आयतों को झुठलाएँगे वही दोज़ख़ी (नरक वासी) होंगे, और वह हमेशा-हमेशा दोजख में रहेंगे।
"Hereafter shall there come unto you a direction from me and whoever shall follow my direction, on them no fear come neither shall they be grieved!
But they who shall be unbelievers, accuse our signs of falsehood, they shall be the companions of hell-fire, therein shall they remain for ever".
(इस आयत में  क़ुरान से इंकार करने वालों को और उनको झुठलाने वालों को) दोजख (नरक) में हमेशा के लिए रहने वाला बताया गया है।
🔥 सू० 2 रु० 6 आ० 54

"And when Moses said unto his people, O my people Verily ye have injured your own souls, by your taking the calf for your God; therefore be turned unto your Creator, and SLAY THOSE AMONG YOU WHO HAVE BEEN GUILTY OF THAT Crime this will be better for you in the sight of your Creator".
NOTE-In Sale's translation; The Commentators of the Koran make the number of the slain to amount to 70,000, and adds that God sent a dark cloud-which hindered them from seeing one another lest the sight should move those who executed the sentence to compassion. (Page (6)
अर्थ:-और जब मूसाने अपनी कौम से कहा कि भाइयो! तुमने बछड़े की पूजा के इख्तयार करने से अपने ऊपर बड़ा ही जुल्म किया तो (अब) अपने खालिक की जनाब में तोबा करो
और (वह यह कि अपने लोगों के हाथों से) अपने तई हलाक करो। जिसने तुमको पैदा किया है उसके नज़दीक तुम्हारे हक में यही बेहतर है।
(इस आयत में बछड़े या गाय वगैरा की पूजा करने वालों को) वाजिबुल कत्ल (मारने योग्य) करार दिया है, जो हमेशा के हिन्दू मुसलमानों में झगड़े का कारण है।
🔥 सू० 2 रु० 11 आ० 90
And the unbelievers SHALL SUFFER AN IGNOMINIOUS PUNISHMENT.
अर्थ:-और मुकिरों के लिये जिल्हात का आज़ाब है। ( इस्लाम को न मानने वालों को भयङ्कर तिरस्कार होगा)
🔥 सू० 2 रु० 12 आ० 98
Whosoever is an enemy to God, or his angels, or his apostles, or to Gabriel, or Michael, verily God is an enemy to the unbelievers!
यह आयत 14वें समुल्लास के 21वें खण्ड में आ चुकी है। इसका अर्थ यह है कि जो अल्लाह, फ़रिश्तों पैगम्बरों और जिंब्राइल का शत्रु है अल्लाह भी ऐसे काफ़िरों का शत्रु है।

🔥 "Surely they who BELIEVE NOT AND DIE, IN their unbelief, upon them shall be the CURSE of GOD, AND OF the angles and of all men, they shall REMAIN UNDER IT FOR EVER, THEIR punishment SHALL NOT BE ALLEVIATED, neither shall they be regarded".
Note.:-(b) Or as Jallaloddin expounds it, God will not wait for their repentance.

सू० 2 रु० 19 आ० 161-162

अर्थ:-जो लोग (जीते-जी) दीन हक से वा सच्चे धर्म (इस्लाम) से इंकार करते रहे, और इंकार ही की हालत में मर गए यही हैं जिन पर खुदा की लानत और फ़रिश्तों की और आदमियों की सब की, हमेशा-हमेशा इसी (फिटकारों) में रहेंगे, न तो उन (पर) से अज़ाब (दु:ख) ही हलका किया जावेगा और न उनको (अजाब के बीच-बीच में) मुहलत ही मिलेगी ।
🔥 सू० 2 रु० 21 आ० 171
“और जो लोग काफिर हैं (बुतपरस्ती वा मूर्ति पूजा में) उनकी मिसाल उस शख्स की सी है जो एक चीज़ के पीछे पड़ा चिल्ला रहा है (और) वह सुनती सुनाती खाक नहीं (तो उसका चिल्लाना) महज (बेसूद) बुलाना और पुकारना है (जिसका कुछ नतीजा नहीं बुतों पर क्या मुंहसर है यह लोग खुद भी)बहरे गूंगे, अंधे हैं तो यह समझते (बूझते) कुछ भी नहीं।
"The unbelievers are like unto one who crieth aloud to that which heareth not, so much as his calling or the sound of his voice. They are deaf dumb and blind, therefore they do not understand".

इस आयत में मूर्ति पूजकों की और उनकी मूर्तियों की हँसी उड़ाई गई है और दोनों को बहरे, गूगे और अन्धे कहा गया है।
🔥 सू० 2 रु० 27 आ० 217
और जो तुममें अपने दीन से बरगश्ता (विमुख) होगा और कुफ्र ही की हालत में मर जायेगा तो ऐसे लोगों का किया कराया क्या दुनिया और (क्या) आखिरत (परलोक) (दोनों) में अकारत और यही हैं दोज़खी (और) वह हमेशा (हमेशा) दोज़ख (नरक) ही में रहेंगे।

"But whoever-among you shall turn back from his religion and die an infidel, their works shall be vain in this world and the next; they shall be the COMPANIONS OF HELL FIRE. THEY shall REMAIN THEREIN FOREVER."
🔥 सू० 2 रु० 38 आ० 275
और जो (मनाही हुए पीछे) फिर (सूद) ले तो ऐसे ही लोग दोज़खी हैं और वह हमेशा दोज़ख ही में रहेंगे।
"But whoever returneth to usury, they shall be the companions of hell fire, they shall continue there in for ever."
🔥 सू० 3 रु० आ० 9 ( Saheeh International वाले अंग्रेजी संस्करण में आयत की संख्या 10 दी गई है।)
जो लोग (दीन इस्लाम से) मुंकिर हैं। अल्लाह के यहाँ न तो के माल ही उनके कुछ काम आएँगे और न उनकी औलाद (उनके कुछ काम आएगी) और यही हैं जो दोजख के ईंध न होंगे।
"As for the infidels their Wealth shall not profit them anything nor their children against God; they SHALL BE THE FUEL OF HELL FIRE".
🔥 सू० 3 रु० 3 आ० 27 ( इस आयत की संख्या 28 दी है।)
मुसलमानों को चाहिये कि मुसलमानों को छोड़कर काफिरों को अपना दोस्त न बनाएँ, और जो ऐसा करेगा तो उससे और अल्लाह से कुछ सरोकार नहीं, मगर (इस तदबीर से) किसी तरह पर उन (की शरारत) से बचना चाहो (तो खैर)
Let not the faithful take the infidels for their protectors rather than the faithful; he who doth this shall not be protected of God at all; unless ye fear any danger from them.
(यहाँ मौलवी मुहम्मद अली आदि अन्य सब अनुवादकों ने Protectors की जगह Friends यही अनुवाद किया है)
🔥 सू० 3 रु० 6 आ० 55 (इसकी संख्या 56 दी है।)

तो जिन्होंने (तुम्हारी पैगम्बरी नबुव्वत से) इंकार किया उनको तो दुनिया और आखिरत (दोनों में बड़ी सख्ते मार देंगे और कोई उनका हामी या मददगार न होगा (कि उनको हमसे बचाए)
"Moreover, as for the infidels, I will punish them with a grievous punishment in this world, and in that which is to come and there shall be none to help them".
🔥 सू० 3 रु० 9 आ० 84, 85
और जो शख्स इस्लाम के सिवा किसी और दीन को करे तो खुदा के यहाँ उसको वह दीन मक्बूल (स्वीकृत) नहीं और वह आख़िरत में जियांकारों (टोटे वालों) में होगा, खटा लोगों को क्यों हिदायत देने लगा जो (तौरात की पेशीनगर ( भविष्य वाणियों) से पैगम्बर-आखिरुज्जमाँ पर) ईमान पीछे लगे कुफ्र करने।
"Whoever followeth any other religion than Islam it shall not be accepted of him: and in the next life he shall be of those who perish. How shall God direct men who have become infidels after they had believed?
( Saheeh International वाले संस्करण में यह सू० 3-आयत 85-86 का है।)
▪️आ० 86, 87
इनकी सजा यह है कि इन पर खुदा की और फ़रिश्तों की और (दुनिया जहान के) लोगों की सब की फटकार, कि उसी फटकार में हमेशा (हमेशा) रहेंगे, न तो (आख़िरत में) इनसे अज़ाब (कष्ट) ही हलका किया जावेगा और न उनको मुहलत ही दी जावेगी।
Their reward shall be, that on them shall fall the curse of god, and of angels, and of all mankind: they shall remain under the same for ever; their tormeut shall not be mitigated neither shall they be regarded.
( Saheeh International वाले संस्करण में यह सू० 3-आयत 87-88 का है। )
▪️आ० 90
इस्लाम में मुंकिर हुए और इंकार ही की हालत में मर गए ये का कोई शख्स (कुर्रए) ज़मीन (की गोल) भर कर भी - आवजे में देना चाहे तो हर्गिज़ कुबूल नहीं किया जावेगा, यही लोग हैं जिनको दर्दनाक अज़ाब होगा और (उस वक्त) उनका कोई भी मददगार न होगा।
Verily they who believe not, and die in their unbelief, the world full of gold shall in no wise be accepted from any of them, even though he should give it for his ransom, they shall suffer a grievous punishment, and they shall have none to help them.
🔥 सू० 3 रु० 18 आ० 177
(यह भाव उपरोक्त संस्करण में आयत संख्या 178 का है।)

और जो लोग (दीन इस्लाम से) इंकार कर रहे हैं, इस खयाल में न रहें कि हम जो उनको ढील दे रहे हैं यह कुछ उनके हक में बिहतर है, हम तो उनको सिर्फ इसलिए ढील दे रहे हैं ताकि और गुनाह (पाप) समेट लें और (आखिरकार) उनको जिल्लत (तिरस्कार) की मार है।
"And let not the unbelievers think because we grant them lives long and prosperous that it is better for their souls; we grant them long and prosperous lives only that their inequity may be increased; and they shall suffer an ignominous punishment".
🔥 सू० 4 रु 8 आ० 56
जिन लोगों ने हमारी आयतों से इंकार किया हम इनको (कयामत के दिन) दोज़ख (नरक) में (लेजा) दाखिल करेंगे, जब उनकी खालें गल जायेंगी तो हम इस गर्ज से कि अज़ाब (का मजा अच्छी तरह) चखो, गली हुई खालों की जगह दुसरी (नई) खालें पैदा कर देंगे बेशक अल्लाह (बडा) जब साहब तदबीर है
Verily those who disbelieve our signs or communications we will SURELY CAST TO BE BROILED IN HELL FIRE; so often as their skins shall be well burned, we will give them other skins in exchange that they may last the sharper torment; for God is mighty and wise.

🔥 सू० 7 रु० 5 आ० 40, 41
बेशक जिन लोगों ने हमारी आयतों को झुठलाया और उनसे अकड़ बैठे न तो उनके लिए आसमान के ‘दर्वाजे' खोले जायेंगे और न बहिश्त ही में दाखिल होने पाएँगे यहाँ तक कि ऊँट सुई के नाके में से (होकर न) गुजर जाए, और मुज्रिमों (अपराधियों) को हम ऐसी ही सजा दिया करते हैं।
कि उनके लिए आग का बिछौना होगा और उनके ऊपर से आग ही का ओढ़ना, और सरकश लोगों को हम ऐसी ही सजा दिया करते हैं।
Verily they who shall charge our signs or communications with falsehood, and shall proudly reject them the gates of heaven shall not be opened unto them, neither shall they enter into paradise until a camel pass through the eye of a needle and thus will we reward the wicked doers.
Their couch shall be in hell and over them shall be coverings of fire, and thus we reward the unjust.
🔥 सू० 5 रु० 3 आ० 17 ।
जो लोग कहते हैं कि मर्यम के बेटे मसीह वही खुदा हैं, कुछ शक नहीं कि यह काफ़िर हो गए।
They are infidels, who say Verily God is Christ the son of Mary.

🔥 याऐयुहल्लज़ीन आमनू लातत्तखिजुल्यहूद वन्नस्वारा औलियाः व ज्वुहुम् औलियाउ वज्विन्, वमंय्यतवल्लहुम् कम। फइन्नहुम् मिन्हुम्, इन्नल्लाह लाय:दिल् कौमज्ज्वालिमीन्।
सू० 5 रु० 8। आ० 5
डिपुटी नजीर अहमद का अनुवाद:-
मुसलमानों यहूद व नसारा को दोस्त न बनाओ यह (लोग तुम्हारी मुखालिफ़त में बाहम) एक दूसरे के दोस्त हैं और तुम में से कोई उनको दोस्त बनायेगा तो बेशक वह (भी) उन ही में का (एक) है क्योंकि खुदा (ऐसे) ज़ालिम लोगों को राह (रास्ता) नहीं दिखाया करता है।
Sale's Translation:-
O true believers, take not the Jews or Christians for your friends; they are friends the one to the other; but whose among you taketh them for his friends, he is surely one of them, Verily God directeth not unjust people.

🔥 व मंय्यशार्काकर्र मिम् वदि मातवैयन लहुल हुदा व यत्तबिअ गैरसबीलिल् मोमिनीन नुवल्लिही मातवल्ला वनुस्वलिही जहन्नम्। वसाअत् मस्वीरा। सू० 4 रु० 17 आ० 115
और जो शख्स राहे रास्त के जाहिर हुए पीछे पैगम्बर से किनारा कशे रहे और मुसलमानों के रस्ते के सिवा (दूसरे रस्ते) होले तो जो (रस्ता) उसने इख्तयार कर लिया है हम उसको जहन्नम (नरक) में (लेजा) दाखिल करेंगे और वह (बहुत ही) बुरी जगह है।
But whoso separateth himself from the apostle, after true direction hath been manifested unto him, and followeth any other way than that of the true believers, We will cause him to obtain that to which he is inclined,* and will cast him to be burned in hell; and an unhappy Journey shall it be thither.
(* Viz, Error, and false notions of religion)

🔥 याऐयुहल्लज़ीन आमनू लातत्तखिजू आबाअक इख्वानाकुम् औलियाअ इनिस्तह.ब्बुल् कुफ्रा अलल् ईमानित मैंयतवल्लहुम् मिन्कुम् फउलाइक हुमुज् ज्वालिमून्।
सू० 9 रु० 3 आ० 23
अगर तुम्हारे बाप और तुम्हारे भाई ईमान के मुकाबले में कुफ्र को अज़ीज रखें तो उनको (अपना) रफीक (मित्र) न बनाओ, और जो तुम में से ऐसे बाप भाईयों के साथ दोस्ती रखेगा तो यही लोग (हैं जो खुदा के नजदीक) ना फर्मान हैं।
O true believers, take not your fathers or your brothers for friends, if they love infidelity above faith; whosoever among you shall take them for his friends they will be unjust doers.

🔥 फ़इज़न् सलख़ल् अश्हुरुल् हुर्मु फक्तुलुल् मुश्रिकीन है. सु बजत्तुमूहुम् वखुजूहुम् व:सूरूहुम् वकू उदूलहुम् कुल्ल मर्ध्वद्, फ़इन् ताबू व अकामुस्स्वलात व आतुज्ज़कात फखुल्लू सबीलहुम् इन्नल्लाह गफूर्रहीम्।
सू० 9 रु० 1 आ० 5
फिर जब अदब के महीने निकल जाएँ तो मुश्रिकीन (मूर्तिपूजकों या ईश्वरेतर पदार्थ के पूजकों) को जहाँ पावो कत्ल करो और उनको गिरफ्तार करो और उनका मुहासरा करो और हर घात की जगह ताक में बैठो फिर अगर वह लोग तौबा करें और नमाज़ पढ़े और जकात (धार्मिक कर) दें तो उनका रस्ता छोड़ दो
क्योंकि अल्लाह बख्शने वाला मिहरबान है।
And when the months wherein ye are not allowed to attack them shall be past, kill the idolaters wheresoever ye shall find them** and take them prisoners, and besiege them, and lay wait for them in every convenient place. But if they shall repent and observe the appointed times of prayer, and pay the legal alms, dismiss them (freely) for God is gracious and merciful.
(**Either within or without the sacred territory)

🔥 याऐयुहल्लजीन आमनू इन्नमल् मुश्रिकून नज्सुन् फला व मस्जिदल्ह, राम वअ्द आमिहिम् हाज़ा, वइखिफू तुम् अैलतन। फसौफ युग्नीकुमुल्लाहु मिन् फज्वलिही इन्शाअ, इन्नल्लाह अलीमुन हकीम्।
सू० 9 रु० 4 आ० 28

कातिलुल्लज़ीन लायोमिनून बिल्लाहि वलाबिल यौमिल् आखिरि वला युह रिमून माहर्रमल्लाहु वरसूलुहू, वला यदीनून दीनल् हक्कि मिनल्लज़ीन ऊतुल् किताब ह.त्ता युअ् त्वुल् जिज्यत अंय्यदिव्वहुम् स्वागिरून्। आ० 29

मुसलमानो मुश्रिक तो निरे गंदे हैं तो इस बरस के बाद (अदब) व हुर्मत वाली मस्जिद (यानी खाने काबा) के पास भी न फटकने पावें। और (उनके साथ लेन देन बंद हो जाने से) तुम को मुफलिसी (गरीबी) का अंदेशा हो तो खुदा (पर भरोसा रखो वह चाहेगा तो तुमको अपने फ़ज़ल (अनुग्रह) से गनी (समृद्ध) कर देगा, बेशक खुदा (सबकी नीयतों को) जानता (और) हिकमत वाला है।
O true believers, Verily the idolators are unclean; let them not therefore come near unto the holy temple after this year.* And if ye fear want by the cutting of trade and communications with them, God will enrich you of his abundance, if he pleaseth; for God is knowing and wise.

अहले किताब जो न खुदा को मानते हैं (जैसा कि मानने का हक है) और न रोज आखिरत को और न अल्लाह और उसके रसूल की हराम की हुई चीजों को हराम समझते हैं और न दीन हक को तस्लीम करते हैं (मुश्रिकों के अलावा) इन (लोगों से भी लड़ो) यहाँ तक ज़लील होकर अपने हाथों से जज़िया दें।
Fight against them who believe not in God nor in the last day, and forbid not that which God and his aposti have forbidden, and profess not the true religion, of those whom the scriptures have been delivered, until they tribute by right of subjection, and they be reduced low
F. N. *which was the ninth month of the Hijra. In consequence of this prohibition neither Jews nor Christians nor those of any other religion are suffered to come near Macca to this day.
🔥 याऐयुहल्लज़ीन आमनू कातिलुल्लज़ीन यलूनकूम् मिनल् कुफ्फारि वल् यजिदू फ़ीकुम् गिल्वा। (सू० 9 रु० 16 आ
123)
मुसलमानों! अपने आस-पास के काफिरों से लड़ो, और चाहिये कि वह तुम में करारापन मालूम करें। और जाने रहो कि अल्लाह उन लोगों का साथी है जो उससे डरते हैं।
O true believers, wage war against such of the infidels as are near you** and let them find severity* in you and know that God is with those who fear Him.

F. N. **Either of your kindred or neighbours; for these claim your pity and care in the first place, and their conversion ought first to be endeavoured. The persons particularly meant in this passage are supposed to have been the Jews of the tribes of Koreidha and Nadhir, and those of Khaibar; or else the Greeks of Syria.

*Or flerceness in war.

🔥 उलाइकल्लज़ीन कफरू बिआयाति रब्बिहिम् वलिकाइही फ़ह.बित्वत् अअमालुहुम् फुलानुकीमु लहुम् यौमल कियामति वज़्ना। जालिक जजाउहुम् जहन्नमु बिमा कफरू वत्तखजू आयाती व रुसुली हुज्वन्।
सु० 18 रु० 12 आ० 105, 106
यही वह लोग हैं जिन्होंने अपने पर्वर्दिगार की आयतों को और उसके हुजूर में हाजिर होने को न माना तो उनके अमल
अकारत हो गए, तो कयामत के दिन हम उनके (आमाल नेक) का (रत्ती बराबर) वजन ( भी हिसाब में) कायम नहीं रखेंगे।
यह जहन्नम इनकी उस बदकिरदारी का बदला है कि इन्होंने कफ्र किया और हमारी आयतों और हमारे पैगम्बर की हँसी उड़ाई।
These are they who believe not in the signs (communications) of their Lord, or that they shall be assembled before him; wherefore their works are Vain, and we will not allow them any weight on the day of resurrection.
This shall be their reward, namely, hell; for that they have disbelieved, and have held my signs and my apostles in derision.

🔥 वजअल्लल्अरलाल फी अअ्नाकिल्लज़ीन कफरू।
सू० 34 रु० 4 आ० 33 |
और जो लोग (दुनिया में) कुफ्र करते रहे हम उनकी गर्दनों में तौक डाल देंगे।
And we will put shakles on the necks of those who disbelieved.

साभार - पं० रामचन्द्र जी देहलवी
*प्रस्तुति - 🌺 ‘अवत्सार’*
॥ ओ३म् ॥

No comments:

Post a Comment