हैदराबाद सत्याग्रह के वीर बलिदानी #सुनहरा_सिंह_जी_आर्य
(बुटाना, सोनीपत) 8 जून 1939
उसे तेज बुखार थी, शरीर में विष फैला हुआ था,जेल में उसे लाठियों से पीटा गया लेकिन वह अंतिम सांस तक भारत माता और सनातन धर्म के जयकारे लगाता रहा-----
सुनहरा #हरियाणा के सोनीपत जिले में बुटाना गांव का एक गाभरु नौजवान था। वह हंसमुख, स्वस्थ और सुंदर एवं बलिष्ठ शरीर का धनी था। वह मल्ल युद्ध(कुश्ती) का शौकीन अपने माता पिता का एकमात्र पुत्र था। वह बहुत धार्मिक एवं देशभक्त था।
सुनहरा सिंह जी का जन्म जिला #सोनीपत के गांव #बुटाना में एक कुलीन #जाट परिवार में चौधरी जगराम सिंह जी के घर हुआ था। पिता जी सम्पन्न थे। माता के बाल्याकाल में ही देहान्त हो जाने पर पिता ने अपना समस्त स्नेह इन पर उडेल दिया। लालन पालन बड़े प्रेम से होने के एवं घर के एकमात्र लाडले चिराग होने के कारण इन्हें पाठशाला में बैठाने की बजाय घर पर ही हिंदी भाषा की योग्यता प्राप्त की।
1938-39 में अंग्रेजों का अत्याचार चरम सीमा पर था। हैदराबाद के निजाम से सांठ गांठ करके हिंदुओं की पूजा अर्चना पर रोक लगा दी थी। तब आर्य समाज ने सरकार व निजाम के विरुद्ध सत्याग्रह छेड़ दिया था। इस घड़ी में धर्मभक्त सुनहरा कैसे पीछे रह सकते थे वे भी भारत माता और सनातन धर्म के जयकारे लगाते हुए आंदोलन में कूद पड़े। उस समय इनके गौने के दिन निश्चित हो चुके थे। ये उससे पहले ही सत्याग्रही जत्थे में भर्ती होकर हैदराबाद के लिए तैयार हो गये। कई सम्बन्धियो ने एकलौता पुत्र होने के कारण रोकना चाहा पर देशभक्ति से ओत प्रोत सुनहरा ने किसी की एक न सुनी। है हमेशा अपने विचारो पर दृढ़ रहते थे। जो निश्चय किया उस पर वह पूरा करके ही दम लेते थे।
श्री महाशय कृष्ण जी के साथ 5 जून को इन्होंने औरंगाबाद में सत्याग्रह किया और सत्याग्रह से डरकर सरकार ने इन्हें व इनके साथियों को गिरफ्तार कर लिया। जेल में इन्हें तेज बुखार हो गया और उस बुखार ने शीघ्र ही भयानक रुप धारण कर लिया था। उनकी बगल में एक फोड़ा भी निकल आया। ज्वर 105° डिग्री तक पहुंच चूका था। और उनकी इस स्तिथि में उन्हें खाना तक न दिया गया 30 घण्टे बाद मात्र ज्वार की आधी रोटी दी गयी और उनके शरीर पर लाठियों से अनेकों प्रहार किए गए अनेक यातनाएं दी गई लेकिन वे यह सब सहते हुए भी सनातन धर्म और भारत माता के जयकारे लगाते रहे। बाद में लोक दिखावे के लिए इन्हें सिविल अस्पताल भेजा गया। सरकार ने अपनी निर्दयता छिपाते हुए बताया कि फोड़े का विष शरीर में फैल गया और उनको सन्निपात हो गया और रोग दानवी गति से बढ़ गया। अस्पताल में 8 जून 1939 को सुबह 7 बजे सुनहरा सिंह जी देश व धर्म हेतु वीरगति को प्राप्त हो गए। महाशय कृष्ण जी तथा अन्य सत्याग्रहियों को उनकी मृत्यु की सूचना कई घण्टो बाद दी गई।
माननीय श्री अणे ने औरंगाबाद जेल में हुए लाठी चार्ज पर वक्तव्य देते हुए लिखा था कि - 5 जून को महाशय कृष्ण के साथ 700 सत्याग्रही गिरफ्तार हुए थे। इतने व्यक्तियों के एकाएक आ पहुंचने से जेल के अधिकारी घबरा गये और उनके लिए रहन सहन और भोजन की व्यवस्था का करना कठिन हो गया। गिरफ्तार हो जाने के 30 घण्टे के बाद उनको ज्वार कि सिर्फ आधी रोटी दी गई। इसके विरुद्ध असन्तोष होना स्वभाविक था। असन्तोष फैला तो जेलर ने मुंह बन्द करना चाहा। उसे सफलता नहीं मिली। इस पर वह झल्ला उठा। उसने पुलिस को लाठी चलाने की आज्ञा दी। पुलिस ने हाथ खोलकर लाठियां चलाई और बाद में घायलों को घसीट कर कोठरी में बन्द कर दिया।
इसके आगे लिखते हैं हैदराबाद सरकार को कुछ सलाह देते हुए लिखते हैं - कि मैने देखा के - श्री सुनहरा जी की मृत्यु बड़ी सन्दिग्ध अवस्था में हुई है। उनके शव पर गम्भीर चोटों के चिन्ह थे।
जिस समय नगर औरंगाबाद में सुनहरा की मृत्यु का पता लगा तब बहुत से प्रतिष्ठित पुरुष वहां पहुंच गए। उनकी इच्छा थी कि हम शव को शहर में से ले जाएगें। कर्मचारी इससे सहमत न थे। अन्त में यह समझोता हुआ कि जिस मार्ग से कर्मचारी चाहते हैं महाशय कृष्ण और सत्याग्रही उसी मार्ग से शव को श्मशान भूमि में ले जायें। नगर निवासी पुन: अन्तिम दर्शन के लिए श्मशान भूमि में आये। ऐसा ही किया गया। श्मशान भूमि के सहस्त्रों नगर निवासी उस वीरात्मा की अंत्येष्टि में उपस्थित हुए। सुनहरा के शव को विभावसु की शिखाओं को भेंट करके सत्याग्रही अपने साथी के भाग्य के साथ ईर्ष्या करते हुए जेल वापिस आ गये। हुतात्मा श्री सुनहरा को शत शत नमन।
आज इन्हें और कहीं तो छोड़िए इनके गांव तक में कोई न जानता। न ही इनका कोई स्मारक है। हमें शर्म आनी चाहिए बलिदानियों के कर्ज को खाते हुए उन्हें स्मरण भी न करते।
प्रस्तुतकर्ता- अमित सिवहा, चौधरी जयदीप सिंह नैन
Arya veer Sunehra Singh ji ka smark gaao Nuran Kheda Butana mei 1942 se bna hua hai. Butana mera apna gaao hai. Aap chahe to mujhse sampark Ker sakte hain
ReplyDeleteJasvir Singh Sangwan Aarya sabha Nuran kheda 7015108785