Thursday, June 13, 2019

जो सिख कहते है कि हम हिन्दू नहीं है?



जो सिख कहते है कि हम हिन्दू नहीं है? 

उन्हें पलविंदर खेड़ा की पुस्तक अवश्य पढ़नी चाहिए।

 "सुरजन सफ़र 1947 शेखपुरा से करनाल

पुस्तक का एक अंश--

मेरी किताब
             बहुत भाई किताब के बारे में पूछ रहे है की ये क्या है ?  तो इसका फेसबुक पर पहले से डाला था , उसे यहा डाल रहा हु ताकि  आप इसको थोड़ा समंझ ले ।

सुरजन

                 सुरजन याद करता है पाकिस्तान बनने के एलान के बाद दो रात पहले ही सारा गाँव यू ही छोड़ बाहर गाँव से  एक मील दूर खाली पड़ी जमीन पर सारे गाँव के सिक्ख जिमीदार जो एक ही जट्ट बिरादरी के थे और गाँव के हिन्दू जिसमे ब्राह्मण और खत्री थे सब एक जगह इक्कठे बैठ गए फिर आसपास के सिक्ख और हिन्दू वहा आकर इक्कठे हो रहे थे पूरा एक कैम्प बन गया था

       सुरजन का बाप बापू हजारा सिंह गांव चक्क बहारा का तकडा जमीदार था परिवार उसकी पत्नी स्वर्णो और तीन बच्चे एक बड़ी बेटी सतवंत जो जवान हो चुकी थी बेटा सुरजन तकरीबन 16 साल का और सबसे छोटा बेटा 7 साल का था बापू हजारा के दूजे दो भाई भी इसी गाँव के अच्छे जमीदार थे

      घर छोड़ते वक़्त कुछ अनाज थोड़ा समान बैलगाड़ी पर लाद कर सुरजन कैम्प तक ले आया और बापू  हजारा सिंह अपनी घोड़ी भी साथ ले आया

  बापू हजारा सिंह ने सुरजन को आवाज लगाई

  "" ओये सुरजना चल डेरे चलिए वहा से अपनी भैंसों का दूध और कनक घोड़ी पर ले आते है यहा पता नही कितने दिन पड़ा रहना पड़े

 बात सुनकर पास ही खड़े बजुर्ग बोल पड़ा

  "" कुछ अक्ल कर हजारे इतने खराब माहौल में डेरे जाएगा चुप कर के बैठ जा

  बापू हजारा सिंह बात को काटते हुए बोला

   "" डेरा कौन सा दूर है चार मुरब्बे तो दूर है अभी गए और अभी आये फिर वहां अपने सिरी (नोकर ) भी तो है भैसों का दूध निकाल रखा होगा होगा अपने सिरी होते किस बात की चिंता

 बजुर्ग नसियत देते बोला

 ""  वो सिरी भी तो मुसलमान है जो हमको उजाड़ने पर तुले हुए है इस वक़्त उन पर भरोसा मत कर

 हजारा सिंह घोड़ी पर चढ़ते हुए बोला

 "" हमे यहा से कौन उजाड़ सकता है हमारी जड़े तो सात पतालो के अंदर है

 बापू हजारा सिंह की घोड़ी तकड़ी थी उस पर एक साथ दो सवार सवारी कर सकते तो सुरजन जो अभी किशोरावस्था में ही था और वजन भी कम था साथ घोड़ी पर चढ़ गया

 इतने सुरजन की माँ  स्वर्णो बोल पड़ी

 ""  मेरे पुत्तर नु किथे ले चले हो और आप भी मत जाओ

 हजारा सिंह तबक कर बोला

 ""अब चलते हुए को मत रोक हम बस गए और आये  तुम बच्चो का ख्याल रखना और सतवंत को अपने से दूर मत होने देने

 इतना कहते बापू हजारा सिंह ने घोड़ी को एड़ी मार दी घोड़ी ने रफ्तार पकड़ ली सुरजन पीछे  तलवार थामे कस कर पकड़े बैठा था

  बापू हजारा सिंह 10 मिंट बाद अपने खेतों में बने भैंसों के बाड़े की पिछले तरफ था इसी डेरे पर उसके दादा ने बार आबाद के वक़्त जब मुरब्बे जमीनों के मिले थे कुआ लगवाया था जमीन ज्यादा पानी नहर का लगता था डेरे पर ही नोकर रहते थे जिनके बाप को हजारा सिंह का दादा गुजरावाला से अपने पुशतैनी गाँव से बार आबाद के वक़्त साथ लाया था उनके बच्चे सदा उनके साथ पिछले 60 सालों से एक साथ भइयो के तरह काम करते थे पिछले साल ही तो अपने नोकर बूटे की सबसे छोटी बहन की शादी बापू हजारा सिंह ने खुद की तो सारा खर्च उठाया था और अपने गाँव वाले घर की चाबियां भी तो बूटे को ही देकर आया था

  डेरे की पीछे घोड़ी से उतर कर दोनों बाप बेटा जेओ ही आगे से डेरे के अंदर जाने को कुछ कदम बढ़ाए डेरे के अंदर से कुछ लोगो की आवाजें सुनाई दी हजारा सिंह और सुरजन डेरे की कच्ची दीवार जो मुश्किल से 4 फुट की होगी उसकी ओट में बैठ कर डेरे के अंदर देखने और अंदर बैठे लोगों की बाते सुनने की कोशिश करने लगे

    डेरे के आंगन में चारपाई पर बैठे कुछ 10 ,12 लोग दिखे जिन में उनके नोकर बूटा उसका भाई बख्तू उनका बाप रुलिया और दूसरे लोग जो पास के सरदारों के डेरो पर  रखने वाले मुस्लिम नोकर थे

  एक शख्स की आवाज आई

  ""ओये बुटे तेरे सरदार का जो मुरब्बा जमीन मेरे साथ लगती वो तू मुझे दे देना मैं तुम्हें अपने सरदार झागर की घोड़ी दे दूँगा

 बूटा सौदेबाज़ी करते हुए बोला

"" नही तुम्हें इतना सस्ता पूरा मुरब्बा जमीन का कैसे दे दु  अगर तू मुझे घोड़ी के साथ भूरी भैंस दे दो तो मैं सोच सकता हु

 फिर पहली आवाज गूंजी

  "" देख भाई  इतना लालच मत कर आज सुबह हु तो तेरा भाई बख्तू मैने तेरी सरदार के घर से पोटली बंधे निकलते देखा है वहा से भी तो माल उड़ाया है कितना माल था वो??

 बूटा गुस्से के लहजे में बोला

  "" खाक माल निकला ये थोड़े बहुत गहने है सोने के पता नही कंजर का सारा माल दबा के चला गया ये हमे खाली चाबी पकड़ा गया

  ये बाते सुन दीवार के पीछे बापू हजारा सिंह को गुस्सा चढ़ गया उसने सुरजन के हाथ से तलवार पकड़ ली  मगर अंदर काफी लोगों को देख और सुरजन का ख्याल कर फिर कच्ची दीवार के पीछे बैठ गया

    अब दूसरी आवाज गूंजी

 "" ओये सरदार अभी गए नही थोड़ी दूरी पर कैम्प बना कर बैठे है अगर वापिस आ गए और बूटे तेरी हरक़त का पता चला तो तुझे जिंदा नही छोड़ेंगे ओर हम सब का भी हाल बुरा होगा

बूटा गरजा

"""  कोई वापिस नही आना और अब इन जमीनों के हम ही है मालिक और आज रात पड़ोस के गाँव मे इक्क्ठा हुआ मुसलमानों का जत्था इस कैम्प पर हमला करेगे  और ये सभी यही मार दिए जाएंगे

 अब बूटा की आवाज में हवानीयत  का अहसास आ रहा था  और बोल रहा था

 """ जब मुस्लिम जत्था कैम्प के हिन्दू और सिक्ख को मार रहा होगा हम भी वहां जाएगे ओर उनकी लड़कियों को लूटेंगे मैं उस हजारे की बेटी सतवंत को लाऊगा कसम से बिल्कुल सुल्फे के लाट जैसी है उसको अपनी ओर बख्तू दोनो की बेगम बनाऊंगा बख्तू देखना तेरी ऐश भी होगी

 तभी बूटा के बाप रुलिया की गुस्से भरी आवाज आई

"" कजरा तेनु शर्म नहीं औंदी जिस घर का खाया उसी को हराम करने चला कुछ खुदा से डर उसके दरबार मे जा कर क्या मुह दिखयेगा सतवंत तेरी बहन है हरामखोर कुछ तो शर्म कर उन्होंने तेरे बहन की अपनी बेटी की तरह शादी की थी

 बूटा लड़ने के लहजे में बोला

 """ शादी की थी तो कोई अहसान नही किया था हम भी सारा दिन यही काम करते है  और तुम मुझे नसियत मत दो हम आज ही उनकी लड़कियों को उठाकर लाएंगे ओर मैं सतवंत को लेकर ही आऊँगा देखता हूँ मुझे कौन रोकता है

 कच्ची दीवार के पीछे बैठे सुरजन को अपनी बहन के बारे में सुनकर गुस्सा चढ़ गया जेहो ही सुरजन गुस्से में उठने लगा तो हजारा सिंह ने पकड़ कर नीचे बिठा और घोड़ी की तरफ चलने का इशारा किया

 दोनो घोड़ी के पास जाकर फुर्ती से चढ़ गए और हजारा सिंह घोड़ी का कैम्प की तरफ मुह कर के घोड़ी को एड़ी मार दी


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