Friday, March 1, 2019

छदम अहिंसावाद और वेद



छदम अहिंसावाद और वेद

डॉ विवेक आर्य

भारत पाकिस्तान के मध्य पुलवामा हमले के पश्चात युद्ध की स्थिति उत्पन्न होते देख कुछ गिरगिट रंग बदलते दिखे। अभी कुछ दिनों तक यह जमात चिल्ला रही थी कि जब युद्ध भी नहीं हैं तो भी हमारे जवान सीमा पर शहीद क्यों हो रहे है। पुलवामा हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक 2 के होते ही युद्ध की स्थिति उत्पन्न होने पर ये लोग को प्रचारित करने लगे कि युद्ध नहीं बुद्ध चाहिए। पूर्व में यह जमात 14 अगस्त को वाघा बॉर्डर पर जाकर मोमबत्तियां जलाती थी और अमन की आशा की बात करती थी। ये वही लोग है जो राष्ट्र के लिए हथियार खरीदने पर कुतर्क करते है कि इतने धन में तो देश के हज़ारों ग्रामों में पानी की व्यवस्था हो जाती। ट्विटर पर यह जमात #SayNoToWar और #IStandAgainstHatred लिखते दिखे। दिलचस्प बात यह है कि भगत सिंह को आदर्श बताने वाले, नक्सलियों की हिंसा को जायज़ ठहराने वाले, वीर सावरकर के आह्वान की सदा अनदेखी करने वाले गाँधी के अहिंसावाद का आहवान करते दिखे। मतलब इनके आदर्श व्यक्तित्व भी राजनीतिक स्थिति के अनुसार बदलते रहते हैं। ये वही लोग है जो हमारी इतिहास पुस्तकों में विदेशी आक्रांताओं के अत्याचारों को कभी वर्णित नहीं करते। कुल मिलाकर ये लोग देशवासियों को प्रखर राष्ट्रवाद और आक्रामक रूप से देशरक्षा के मुद्दे से भ्रमित करना चाहते हैं। ये नहीं चाहते कि भारतीय क्षत्रियत्व धर्म का पालन करने वाले बने। ये नहीं चाहते की भारतीय धनुषधारी राम और चक्रधारी कृष्ण से शत्रुओं का प्रहार करने की प्रेरणा ले। ये भूल जाते है कि श्री कृष्ण ने अर्जुन को धर्मरक्षा हेतु हथियार उठाने का सन्देश दिया था। ये नहीं चाहते कि देशवासी चाणक्य के शिष्य बन चन्द्रगुप्त के समान राष्ट्र को महान साम्राज्य बनाने के लिए दृढ़संकल्प ले। छदम सेक्युलरवाद के नाम पर सदा पराजित मानसिकता को पोषित करना इनका प्रयोजन रहता है। मगर इस जमात की मानसिक बीमारी का उपचार हमारे वेदों में बहुत प्रेरणादायक रूप में दिया गया हैं।

वेद में आंतरिक और बाह्य दोनों शत्रुओं पर अंकुश लगाने का कर्त्तव्य राजा का बताया गया हैं। वेदों में शत्रु से न केवल राष्ट्ररक्षा करने का सन्देश हैं अपितु राजा को साम, दाम, दंड और भेद की नीति से शत्रु देश को कमजोर करने का भी सन्देश हैं।

शत्रु को दस्यु नाम से सम्बोधित करते हुए वेद उसे राजा द्वारा दण्डित करने और कभी सुखी न रहने देने का सन्देश देते हैं। - ऋग्वेद 8/70/11

हे राजा तुम राष्ट्र उन्नति में बाधक लोगों को मारने वाला और दस्युओं को कँपा देने वाला हैं। -ऋग्वेद 1/78/4

हे इंद्र (सम्राट) आप दस्युओं को माकर अपने प्रजाजनों की रक्षा करने वाले है। - ऋग्वेद 2/20/8

यह सम्राट दस्युओं को मारकर आर्य वर्ण मर्यादा की रक्षा करता है। - ऋग्वेद 3/34/9

बल के साथ उठते हुए दस्युओं को हे राजा तो नष्ट कर- ऋग्वेद 6/23/2

हे राजा तू दस्युओं को अपने स्थान से बाहर निकाल देता है - ऋग्वेद 7/5/6

वेदों में ऐसे अनेक मंत्र राजा के कर्त्तव्य का निर्देश देते हैं। वेदों की सन्देश की अवहेलना कर छदम अहिंसावाद से आज तक कोई सभ्यता प्रगति नहीं कार पाई हैं। अगर राष्ट्र शक्तिशाली नहीं होगा। तो शत्रु उसका दमन कर देंगे। अगर शासक भी शक्तिशाली नहीं होगा तो देश की सुरक्षा कमजोर हो जाएगी। इसलिए वेद विदित धर्मानुसार देश के नेतृत्व को आतंकवाद फैलाने वालों के विरुद्ध कठोर कदम उठाने में हम सभी को सहयोगी बनना चाहिए। अवरोधक नहीं।

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