Sunday, April 15, 2018

मनुष्य स्वाभाविक रूप से शाकाहारी हैं



मनुष्य स्वाभाविक रूप से शाकाहारी हैं
प्रसिद्द वैज्ञानिक डॉ स्वामी सत्यप्रकाश जी द्वारा एक परिक्षण मनुष्य को प्राकृतिक रूप से शाकाहारी सिद्ध करने के लिए किया था।
उन्होंने गौ माता से भरे हुए बाड़े में मानव शिशु को छोड़ दिया , सभी गौ आराम से चरती रही और किसी ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
उसी बड़े में उन्होंने शेर के एक छोटे शावक को छोड़ दिया , उसे देख कर सभी गौ ठिठक गई और चरना छोड़कर रक्षात्मक रूप से खड़ी होकर उसे एक तक घूरने लगी।
इस परिक्षण से यही सिद्ध हुआ की मनुष्य स्वाभाविक रूप से शाकाहारी हैं।
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शाकाहार और मांसाहार --
1. एथलीट्स को मजबूत होने के लिये मीट खाने की जरूरत होती है।”
सुशील कुमार ( ओलंपिक पदक विजेता शाकाहारी है। मांसाहारी देश जैसे पाकिस्तान, बांग्लादेश, सोमालिया, सऊदी अर्ब, ईरान, ईराक आदि ओलंपिक सूची मे कहाँ हैं?
अमेरिका चीन के खिलाड़ियों के गोल्ड मैडल जीतने के कारण अलग हैं।
2. “अकेले मेरे मांसाहार छोड़ने से कुछ नहीं बदलेगा।”
फ़र्क पड़ता है।1 परिवार कम से कम 30 पशुओं को हर साल बचा सकता हैं। सिर्फ़ अमेरिका में लोगों ने पाँच साल पहले के मुकाबले पिछले साल कोई 400 कम जानवर खाए। और ऐसा ही भारत में भी हो रहा है। समय बदल रहा है।
3. “हमें प्रोटीन के लिये मांस खाना चाहिये।”
नहीं, ऐसा जरूरी नहीं है। प्रोटीन वनस्पतीय भोजन में भी प्रचुरता से भरे होते हैं। बीन्स (सेमफ़ली), मेवा से टोफ़ू और गेहूँ.... आपको पर्याप्त प्रोटीन प्राप्त करने के लिये मांसाहार की जरूरत नहीं है। यह एक मिथक है। । यदि मांस और प्रोटीन से ही स्वास्थ्य होता तो -- अमेरिका मे 62% मोटे ना होते। पाकिस्तान मे दुनिया की सबसे अधिक जेनिटिक (अनुवानशींक) बीमारी नहीं होती।
4. “फ़ार्म में पशुओं के साथ मानवीय व्यवहार होता है।”
दूर-दूर तक नहीं। खाने के लिये पाले जाने वाले पशुओं में 95 प्रतिशत से अधिक फ़ैक्ट्री फ़ार्म में घोर कष्टमय जीवन जीते हैं। गंदे, तंग केज में खचाखच ठूँसे हुए, बिना दर्दनिबारक के अंग-भंग की पीड़ा सहने को मजबूर, और निर्दयतापूर्वक बध किये जाते हैं। यकीन नहीं होता ? तो youtyube पर टर्की पक्षी के पंख हटाने की प्रक्रिया देखिए। इतना ही नही फार्महाउस पर पशुओं और पक्षियों को बड़ी मात्रा मे अंटीबायोटिक व कृमिनाशक दवाई दी जाती है। यह दवाइया मांस के साथ अल्प मात्रा मे हमारे शरीर मे पहुँचती है। मानव शरीर मे जीवाणु इन दवाइयों के प्रति प्रतिरोध उत्पन्न कर लेते हैं। इससे हमारी बीमारी आदिक जटिल होती जा रही हैं।
5. “मुझे शाकाहारी आहार पसंद नहीं है।”
तो क्या आपको फ़्रेंच-फ़्राइज और पास्ता पसंद नहीं है? डोसा,-चटनी और ढोकला के बारे में क्या ख्याल है? मिठाइयाँ सभी पसंद करते हैं। आप अक्सर शाकाहारी भोजन खाते हैं और पसंद भी करते हैं लेकिन सिर्फ़ कहते नहीं है।
6. “शाकाहारी या वीगन होना अस्वास्थ्यकर है।”
यदि मांसाहारी स्वस्थ होते तो पाकिस्तान ब्ंग्लादेश मे 100 % स्वस्थ होते. शाकाहारी प्रदेश हरियाणा, राजस्थान के लोग मांसाहारी बंगाल या केरल से अधिक स्वस्थ हैं।
7. “लोग हमेशा से मांस खाते आए हैं और खाते रहेंगे।”
माफ़ कीजिए...! यह सत्य नहीं है। मानव इतिहास में कई संस्कृतियाँ मांसाहार से परहेज करती हैं। वैदिक मान्यता के अनुसार जीने वाले प्राचीन भारतीय मांस नहीं खाते थे। कुछ चीजें बीते समय में होती थी तो इसका मतलब यह नहीं कि हम उसे जारी रखें। कल तक TB जानलेवा थी। आज नहीं। तो क्या आज भी इसका इलाज ना करवाएँ?
8. “मेरे शरीर को मीट की जरूरत है।”
नहीं, कोई जरूरत नहीं है। नंबर 6 फिर से पढ़िये। आपका शरीर इसके बिना कहीं ज़्यादा अच्छा रहेगा।
9. “मांसाहार छोड़ दिया तो पूरे पृथ्वी पर मुर्गी और बकरी ही होंगी।”
अगर लोग मांस खाना छोड़ देंगे तो फ़ार्मर्स पशुओं की ब्रीडिंग करना छोड़ देंगे। 99% मांस और अंडा मीट फार्मिंग से ही आता है.
10. “पूरी दुनियाँ को खिलाने का एक मात्र उपाय फ़ैक्ट्री फ़ार्मिंग ही है।"
एक मिनट..! फ़ैक्ट्री फ़ार्मिंग न केवल जलवायु परिवर्तन का मुख्य कारण है बल्कि इससे भारी बर्बादी भी होती है। एक किलो मांस के उत्पादन के लिये 16 किलो अनाज लगता है। जरा सोचिये...! उन अनाज से कितने लोगों का पेट भर सकता है।
11- मांसाहारी बुद्धिमान होते हैं. जैसे अमेरिका, यूरोपीय देश या चीन.--
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55 मुस्लिम देश. 100% मांसाहारी. विश्व की मुख्य 500 युनिवर्सिटी में 1 भी इनमे नहीं. 100 बड़े चिकित्सालय में इनका नाम नहीं . जमीन तेल निकालने की योग्यता नहीं. अमेरिकन इंजिनियर निकालते हैं. बड़ी बिल्डिंग जैसे बुर्ज खलीफा के निर्माण योजनाकार अमेरिकी और यूरोपीय.
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12- . टीवी में भी कहते हैं. सन्डे हो या मंडे रोज खाओ अंडे.
यह विज्ञापन पैसे के कारण दिखाई देता है. अंडा उत्पादन करने वालों की यूनियन इसके लिए पैसा देती है.

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