Monday, August 12, 2019

सिख गुरु और गौ


(सलंग्न चित्र-गुरु नानक देव जी युवावस्था में श्री कृष्ण जी के समान गौपालक थे।)

सिख गुरु और गौ

डॉ विवेक आर्य

पाकिस्तानी गोपाल सिंह चावला जैसे हमारे कुछ सिख पाकिस्तानी मुसलमानों के बहकावें में आकर अपने आपको हिन्दू धर्म से अलग दिखाने की होड़ में "हम हिन्दू नहीं हैं" , "सिख गौ को माता नहीं समझते", "सिख मुसलमानों के अधिक निकट हैं क्यूंकि दोनों एक ईश्वर को मानते है" जैसी बयानबाजी कर हिन्दुओं और सिखों के मध्य दरार डालने का कार्य कर रहे है। हमें यह कहते हुए खेद हो रहा हैं की अंग्रेजों की फुट डालों और राज करो की नीति का स्वार्थ एवं महत्वकांक्षाओं के चलते पहले के समान अनुसरण हो रहा है। हम यह क्यों भूल जाते हैं की एक काल में पंजाब में हर परिवार के ज्येष्ठ पुत्र को अमृत चखा कर सिख अर्थात गुरुओं का शिष्य बनाया जाता था जिससे की यह देश, धर्म और जाति की रक्षा का संकल्प ले। यह धर्म परिवर्तन नहीं अपितु कर्त्तव्य पालन का व्रत ग्रहण करना था। खेद हैं हम जानते हुए भी न केवल अपने इतिहास के प्रति अनजान बन जाते हैं अपितु अपने गुरुओं की सीख को भी भूल जाते है। गोपाल सिंह चावला के वीडियो को देखिये कर मुझे उसकी बुद्धि पर तरस आ गया क्यूंकि उसे न तो सिख इतिहास की जानकारी है और न ही गुरु ग्रन्थ साहिब की।
गुरु साहिबान मुसलमानों द्वारा की जाने वाले गौहत्या सके घोर विरोधी थे। श्री कृष्ण को गुरुग्रंथ साहिब में गोपालक के रूप में अनेक स्थानों पर स्मरण किया गया हैं। कुछ प्रमाण

ਬਿੰਦ੍ਰਾਬਨ ਮਨ ਹਰਨ ਮਨੋਹਰ ਕ੍ਰਿਸਨ ਚਰਾਵਤ ਗਾਊ ਰੇ ॥
बिंद्राबन मन हरन मनोहर क्रिसन चरावत गाऊ रे ॥ पृष्ठ ३३८


ਆਪੇ ਗੋਪੀ ਕਾਨੁ ਹੈ ਪਿਆਰਾ ਬਨਿ ਆਪੇ ਗਊ ਚਰਾਹਾ ॥
आपे गोपी कानु है पिआरा बनि आपे गऊ चराहा ॥पृष्ठ ६०६

गुरुग्रंथ साहिब में लिखा है कि गौ हत्या करने वाला कोढ़ी हो जाये। प्रमाण देखिये -

ब्रहमण कैली घातु कंञका अणचारी का धानु ॥ फिटक फिटका कोड़ु बदीआ सदा सदा अभिमानु ॥ पाहि एते जाहि वीसरि नानका इकु नामु ॥ सभ बुधी जालीअहि इकु रहै ततु गिआनु ॥४॥ पृष्ठ 1413
अगर कोई ब्राह्मण ,गौ, बछड़े, बेटी की हत्या करेतो वह कोढ़ी हो जाये। 

गुरुगोविंद सिंह दशम ग्रन्थ में गौ हत्या के विरोध में लिखा है-

यदि देहु आज्ञा तुर्क को सपाऊँ,गोघात का दुःख जगत से हटाऊँ।
यही आस पूरन करो तौं हमारी मिटे कष्ट गौऊन छूटे भेद भारी।।

गुरु नानक श्री कृष्ण के समान बचपन में गौ चराते थे। 1871 में मलेरकोटला में नामधारी सिखों ने अपने प्राण गौरक्षा के लिए दिए थे। महाराज रंजीत सिंह के काल में गौहत्या पर प्रतिबन्ध था। गौहत्या करने वालों के सर कलम कर दिए जाते थे। प्रसिद्द सिख योद्धा जस्सा सिंह आहुलवालियाँ ने अनेक बार गौहत्यारों को यमलोक भेजा था। (सन्दर्भ-तवारीख गुरु खालसा, ज्ञानी ज्ञान सिंह (1894),पृष्ठ 734)

सिख यह न भूले कि सिखों को उकसाने के लिए जहांगीर ने गुरु अर्जुनदेव का शरीर गौ की खाल में सिल कर भेजा था। 1762 में अहमद शाह दुरानी ने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर पर जब हमला किया तो हरमंदिर साहिब के सरोवर को अपवित्र करने के लिए गौहत्या की थी। बाबा दीप सिंह ने अहमद शाह दुरानी पर हमला कर उसका प्रतिशोध लिया था।

यहाँ तक  ही नहीं गुरुग्रंथ साहिब तो ईद पर हिंसा (क़ुरबानी) का हर प्रकार से खंडन करती हैं।

जउ सभ महि एकु खुदाइ कहत हउ तउ किउ मुरगी मारै ॥१॥
मुलां कहहु निआउ खुदाई ॥ तेरे मन का भरमु न जाई ॥१॥ रहाउ ॥
पकरि जीउ आनिआ देह बिनासी माटी कउ बिसमिलि कीआ ॥
जोति सरूप अनाहत लागी कहु हलालु किआ कीआ ॥२॥
किआ उजू पाकु कीआ मुहु धोइआ किआ मसीति सिरु लाइआ ॥
जउ दिल महि कपटु निवाज गुजारहु किआ हज काबै जाइआ ॥३॥

सन्दर्भ विलास प्रभाती कबीर पृष्ठ 1350

अर्थात कबीर जी कहते है ओ मुसलमानों। जब तुम सब में एक ही खुद बताते हो तो तुम मुर्गी को क्यों मारते हो। ओ मुल्ला! खुदा का न्याय विचार कर कह। तेरे मन का भ्रम नहीं गया है। पकड़ करके जीव ले आया, उसकी देह को नाश कर दिया, कहो मिटटी को ही तो बिस्मिल किया।  तेरा ऐसा करने से तेरा पाक उजू क्या, मुह धोना क्या, मस्जिद में सिजदा करने से क्या, अर्थात  हिंसा करने से तेरे सभी काम बेकार हैं।

कबीर भांग माछुली सुरा पानि जो जो प्रानी खांहि ॥
तीरथ बरत नेम कीए ते सभै रसातलि जांहि ॥२३३॥

सन्दर्भ विलास प्रभाती कबीर पृष्ठ 1377

अर्थात कबीर जी कहते हैं जो प्राणी भांग, मछली और शराब पीते हैं, उनके तीर्थ व्रत नेम करने पर भी सभी रसातल को जायेंगे।

 रोजा धरै मनावै अलहु सुआदति जीअ संघारै ॥
आपा देखि अवर नही देखै काहे कउ झख मारै ॥१॥
काजी साहिबु एकु तोही महि तेरा सोचि बिचारि न देखै ॥
खबरि न करहि दीन के बउरे ता ते जनमु अलेखै ॥१॥ रहाउ ॥

सन्दर्भ रास आगा कबीर पृष्ठ 483

अर्थात ओ काजी साहिब तू रोजा रखता हैं अल्लाह को याद करता है, स्वाद के कारण जीवों को मारता है। अपना देखता हैं दूसरों को नहीं देखता हैं। क्यों समय बर्बाद कर रहा हैं। तेरे ही अंदर तेरा एक खुदा हैं। सोच विचार के नहीं देखता हैं। ओ दिन के पागल खबर नहीं करता हैं इसलिए तेरा यह जन्म व्यर्थ है।

सिख इतिहास और गुरुग्रंथ साहिब में इतने स्पष्ट प्रमाण गौहत्या के विरोध में होने के बाद भी गोपाल चावला जैसे पाकिस्तानी अलगाववादी सिखों के केवल गुमराह कर रहे हैं। सिखों को उसका प्रतिकार करना चाहिए। 

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