रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित "संस्कृति के चार अध्याय" में स्वामी दयानंद और आर्यसमाज द्वारा हिन्दू समाज के जनजागरण में योगदान पर दिनकर जी ने अपने विचार प्रकट किये है। लेखक ने आर्यसमाज के कार्य को खुले दिल से सराहा है। एक-दो स्थानों पर हमारी लेखक से सहमति नहीं हैं मगर ऐतिहासिक लेख होने के कारण उसे यहाँ पर प्रकाशित किया जा रहा है।
डॉ विवेक आर्य
डॉ विवेक आर्य
आर्य समाज रुपी आग की ऊष्मा व् प्रकाश ने हर प्रतिभा शैली को आंदोलित किया हे। दिनकर तो 'दिनकर'ही हे अंततोगत्वा प्रकाश तो सुप्रीम का ही रहेगा जिसे ऋषि ने उद्घाटित किया।
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