सनातन वैदिक धर्म और इस्लाम में शराब
शराब से सर्वनाश
यह तो प्रायः सभी लोग जानते हैं कि शराब पीने से बुद्धि नष्ट हो जाती है | ‘शराब अन्दर और बुद्धि बहार’ “बुद्धिं लुम्पति यद् द्रव्यं मदकारि तदुच्यते” इसमें अधिकाँश पंथ एक मत हैं |
ह्रदय, मस्तिष्क और मन शराब से ये सभी दुर्बल हो जाते हैं |शराब मनुष्य को कामी , क्रोधी , लोभी , लम्पटी क्या नहीं बनता ,
इसलिए भारत के अनेक धर्माचार्यों ने इसका सेवन सभी द्रष्टि से वर्जित ठहराया है
महर्षि मनु कहते हैं – सुरा वै मलमन्न्नाम् पाप्मा मलमुच्यते |
तस्माद्ब्राह्मणराजन्यौ वैश्यश्च न सुरां पिबेत् ||
अर्थात - सुरा (शराब) अन्न का मल है | मल को पाप कहते हैं | मल मूत्र अभक्ष्य पदार्थ हैं, खाने पीने की वास्तु नहीं हैं | इसलिए ब्राह्मण , क्षत्रिय , वैश्य और शुद्र कभी भी किसी भी अवस्था में इनका सेवन न करें |
सुरापान निषेध पर आर्याव्रत के धर्माचार्य महापुरषों के आदेश भरे पड़े हैं –
वर्जयेन्मधु मांसं च – || महर्षि मनु ||
यथैवैका तथा सर्वा न पातव्या द्विजोत्तमैः - || महर्षि मनु ||
यो ब्रह्मणोsद्य प्रभृतीह कश्चित् , मोहात्सुरां पास्यति मन्दबुद्धिः ।
अपेतधर्मा ब्रह्महा चैव स स्यात् , अस्मिल्लोके गर्हितः स्यात् परे च ।। महाभारत ||
पतिलोकं न सा याति या ब्रह्मणी सुरां पिबेत् - || महर्षि याज्ञवल्क्य ||
मद्यप्रयोगं कुर्वन्ति ------- यद्यप्युज्जीवयेन्मृतम् ।। राजनिघण्टूः मद्यप्रकरणम् ||
भगवती श्रुति मदपान का निषेध करते हुए कहती हैं – “हृत्सु पीतासो युध्यन् दुर्मदासो न सुरायाम् |”
पापी लोग खूब जी भरकर सुरापान करके नशे के कारण उन्मत्त होकर परस्पर कलह करते हैं , ऐसा नहीं करना चाहिए |
शराब मनुष्य के अमूल्य जीवन को मिटटी में मिलकर उसका लोक और परलोक दोनों बिगाड़ती है |
दुनियां का कौन सा पाप है जो शराब पीनेवाले या पीना के अभिलाषी से नहीं करवाती –
एक तरफ जहाँ सनातन वैदिक धर्म में शराब को मल (मलमन्न्नाम्) बोल हर परिस्तिथि में वर्जित बताया गया है (मद्यं नित्यं विवर्जयेत्) – चाहे वह मरते हुए को जिलाने वाला ही क्यूँ न हो (यद्यप्युज्जीवयेन्मृतम्)
वहीँ इस्लाम में जन्नतियों को शराब पीने का बड़े गौरव से विधान किया गया है –
कुरआन सुरह वाकिया में आया है - .......... अछूती हूरें और छलकते हुए प्याले ||३४||
आगे कुरआन सुरह साफफात में आया है - ........... सफ़ेद रंग (शराब) पिने वालों को मजा देगी ||४६||
............ न उससे सर घूमते हैं और न उससे कुछ बकते हैं ||४७||
कुरआन सुरह साद में आया है - ............ वहां जन्नत में नौकरों से बहुत से मेवे और शराब मंगाएंगे ||५१||
कुरआन सुरह दहर (७६) में आया है - ............ उन पर चांदी के गिलास और शराब का दौर चलता होगा की वह शीशे की तरह होंगे ||१५||
............. और वहां उनको (शराब के) प्याले पिलाये जायेंगे जिनमें सोंठ मिली होगी ||१७||
.......... उनमे (शराब में) कपूर की मिलावट होगी ||५||
.............. उनका (मोमिनो का) परवरदिगार (अल्लाह) उन्हें पाक शराब पिलावेगा ||२१||
कुरआन सुरह ततफीफ में आया है - .............उन्हें खालिस शराब मुहर की हुई पिलाई जावेगी ||२४||
................ जिस बोतल की मुहर कस्तूरी की होगी ||२६||
विप्रजानो शराब पीने से मनुष्य नपुंसक (हिजड़ा) भीरू , कायर और निर्बल हो जाता है – ये सभी परिस्तिथियों में सर्वथा त्याज्य है –
मित्रों मैंने सनातन वैदिक धर्म और इस्लाम का मदपान पर सैद्धांतिक विवेचन आप सभी पाठकगणों के समक्ष प्रस्तुत कर दिया है – सभी लोग पढ़ें और सत्यासत्य को जाने
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