इलाहाबाद (प्रयाग )पुस्तक मेले में मिशन इस्लाम वालों से वार्तालाप।
इलाहाबाद (प्रयाग) पुस्तक मेले में हमारे कुछ आर्यमित्र आर्यसमाज का वैदिक साहित्य खरीदने गए थे। घूमते घूमते वे इस्लामिक बुक्स स्टाल पर पहुंच गए। कुछ गोल टोपी लगाए, बड़े भाई का कुर्ता और छोटे भाई का पायजामा पहने कुछ मुसलमान बड़े जोश से इस्लाम की खूबियों का बखान कर रहे थे।
स्वामी दयानन्द के चेलों से रहा न गया। उन्होंने अपनी शंकाएं पूछनी आरम्भ कर दी। शंकाएं क्या थी तोप के गोले थे। उन बेचारों के मनोबल कुछ ही गोलों के वार में धराशायी हो गई। आप जानना चाहते है। उन्होंने क्या क्या शंकाएं की थी।
इनमें से कुछ प्रश्न यहाँ पर लिखकर आपसे शेयर कर रहा हूँ।
1. अगर एक नमाज़ पढ़ते हुए शिया को आत्मघाती हमले में एक सुन्नी को बम्ब से मार डाले तो दोनों में से कौन जन्नत में जायेगा और किसे दोज़ख में किसे प्रवेश मिलेगा? उत्तर सप्रमाण दीजिये।
(इस शंका पर शिया कुछ उत्तर देता है, सुन्नी कुछ देता है, वहाबी कुछ बोलता है, देवबंदी कुछ, अहमदी कुछ, गुजरती बोहरा कुछ। एक प्रश्न हर फिरके के अलग अलग उत्तर। कमाल है न। आप भी पूछ कर देखना। )
2. अल्लाह का एक नाम रहीम हैं अर्थात रहमत करने वाला। यह बताओ की अल्लाह को क्यूँ रहम नहीं आता की जो ईद के दिन अपनी खुशामद के लिए लाखों निरपराध प्राणियों की गर्दन पर तलवार चलवा देता हैं?
(इस प्रश्न पर हमारे मुस्लिम मित्र ज़ाकिर नाइक के समान रटे रटाये कुतर्क देने लगे। जब हमने उन्हें वैज्ञानिक प्रमाण शाकाहार के पक्ष में दिए। तो क़ुरान का विज्ञान धरा का धरा रह गया। मुसलिम समाज को ऐसा लगता है कि मांसाहार ग्रहण करना उनका धार्मिक कर्त्तव्य है। )
3. अगर कुरान के अनुसार अल्लाह ने सभी जानवरों को भोजन के लिए बनाया हैं तो फिर क्यूँ गर्दन काटते समय सभी जानवर चिल्लाते हैं, रोते हैं और उन्हें दर्द होता हैं, क्यूँ अपनी प्राण रक्षा करने के लिए प्रयास करते हैं। अल्लाह की बनाई हुई सृष्टी में कोई दोष नहीं हैं फिर यह दोष क्यूँ?
(इस प्रश्न पर उनका एक ही उत्तर था। अल्लाह की मर्जी। अल्लाह की रचना में कोई दोष नहीं है। हमने कहा दोष आपकी समझ का है। आपने अपनी जीभ को संतुष्ट करने के लिए निरपराध पशुओं को मारना हिंसा है। हिंसा करने वाला व्यक्ति कभी सुखी नहीं रह सकता।)
4. विकासवाद को आधार बनाकर मुस्लिम लोग कहते हैं की वेद पुराने समय के लिए थे, आज के लिए कुरान हैं। चलो एक बार विकासवाद को भी मान लेते है, फिर यह बताओ की कुरान के आने के बाद मनुष्य का विकास क्यूँ रुक गया और आप उसे Last and Final किस आधार पर मानते हैं?
(इस प्रश्न को सुनते ही पहले तो मोमिन बगले झाँकने लगे। फिर बोले की क़ुरान विज्ञान के अनुकूल है। वेदों में अनेक बातें रह गई थी। जिन्हें क़ुरान ने पूरा कर दिया। हमनें यही पूछा कि क्या अल्लाह सर्वज्ञ नहीं है? जो उसने पहली पुस्तक वेद में कमी की। अगर सर्वज्ञ है तो कमी क्यों की। इस तर्क पर भी वे निरुत्तर हो गए। )
5 . माँस खाने के पीछे कुतर्क देते है कि अगर जानवरों को नहीं खायेगे तो वे इतने बढ़ जायेगे की धरती पर स्थान नहीं बचेगा।
(हमने कहा कि कल को मनुष्य की जनसँख्या भी इतनी बढ़ जाये तो क्या उसका भी यही समाधान आप लोगो ने ढूंढा हैं? इसीलिए विश्व में इस्लाम आतंकवाद का प्राय: बन गया है।)
मोमिनों का मानना तो भला क्या ही था। परन्तु इस मानसिक कुश्ती से न केवल हमारा उत्साह बढ़ गया। अपितु वैदिक धर्म की श्रेष्ठता भी स्थापित हो गई।
आर्य वीरों का इस वार्तालाप को हमें भेजने के लिए आभार।- एडमिन
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