Saturday, September 8, 2018

संतों के राम और कृष्ण बनाम अम्बेडकरवादियों के राम और कृष्ण




संतों के राम और कृष्ण बनाम अम्बेडकरवादियों के राम और कृष्ण

डॉ विवेक आर्य

रविदास, कबीरदास, सिख गुरु, वाल्मीकि ऋषि आदि संतों ने जीवन भर हिन्दू समाज के पिछड़े वर्ग और शोषित वर्ग में कार्य किया। उन्होंने समाज को न केवल सामाजिक कुरीतियां जैसे छुआछूत, धार्मिक अन्धविश्वास आदि को दूर करने का सन्देश दिया अपितु धर्म के प्रति अनुराग, वेद, गौ, यज्ञ, श्री राम और श्री कृष्ण आदि के प्रति सम्मान देने का सन्देश दिया। सभी संतों के कार्यकाल को भक्ति काल के नाम से भी जाना जाता हैं। उस समय हिन्दू समाज में न केवल अपनी आंतरिक कुरीतियों के विरुद्ध सुधार आंदोलन चल रहा था अपितु इस्लाम की मतान्ध विचारधारा के विरुद्ध भी आत्मरक्षा का आध्यात्मिक सन्देश का प्रचार हो रहा था। सबसे अधिक विचारणीय तथ्य यह है कि इस सभी समाज सुधारकों का वेद, श्री राम, श्री कृष्ण, गौरक्षा, यज्ञ आदि के प्रति श्रद्धा एवं अनुराग उनके संदेशों में स्पष्ट प्रदर्शित होता हैं। वर्तमान काल में डॉ अम्बेडकर को जातिवाद के विरुद्ध आंदोलन करने वालों में अग्रणी माना जाता हैं। उनके समर्थक डॉ अम्बेडकर का नाम लेकर कहने को दलितोद्धार की बात करते हैं। पर हमारी प्राचीन धार्मिक मान्यताओं जिनका जातिवाद से कुछ भी सम्बन्ध नहीं है का पुरजोर विरोध करते हैं। ऐसा ही एक उदहारण सलंग्न चित्र में देखिये। कन्नड़ भाषा में अनुवादित डॉ आंबेडकर लिखित Riddle of Hinduism का मुख्य पृष्ठ देखिये। इसमें डॉ अम्बेडकर को एक हाथ में डिग्री और दूसरे में चाबुक लेकर श्री राम और श्री कृष्ण को चाबुक से मारते हुए प्रदर्शित किया गया हैं। यह कार्य कोई हिन्दू कभी नहीं कर सकता। यह कार्य कोई विधर्मी ही कर सकता हैं। क्यूंकि उसे नहीं मालूम कि महर्षि वाल्मीकि के श्री राम, रविदास के श्री राम, कबीर के श्री राम-कृष्ण, सिख गुरुओं के श्री राम और श्री कृष्ण कौन थे। इस लेख के माध्यम से हम समाज सुधारक संतों के चिंतन से पाठकों को परीचित करवाएंगे।

संत रविदास के चिंतन में श्री राम

1. हरि हरि हरि हरि हरि हरि हरि
हरि सिमरत जन गए निस्तरि तरे।१। रहाउ।।
हरि के नाम कबीर उजागर ।। जनम जनम के काटे कागर ।।१।।
निमत नामदेउ दूधु पिआइआ।। तउ जग जनम संकट नहीं आइआ ।।२।।
जन रविदास राम रंगि राता ।। इउ गुर परसादी नरक नहीं जाता ।।३।।

- आसा बाणी स्त्री रविदास जिउ की, पृष्ठ 487

सन्देश- इस चौपाई में संत रविदास जी कह रहे है कि जो राम के रंग में (भक्ति में) रंग जायेगा वह कभी नरक नहीं जायेगा।

2. जल की भीति पवन का थंभा रकत बुंद का गारा।
हाड मारा नाड़ी को पिंजरु पंखी बसै बिचारा ।।१।।
प्रानी किआ मेरा किआ तेरा।। जेसे तरवर पंखि बसेरा ।।१।। रहाउ।।
राखउ कंध उसारहु नीवां ।। साढे तीनि हाथ तेरी सीवां ।।२।।
बंके वाल पाग सिरि डेरी ।।इहु तनु होइगो भसम की ढेरी ।।३।।
ऊचे मंदर सुंदर नारी ।। राम नाम बिनु बाजी हारी ।।४।।
मेरी जाति कमीनी पांति कमीनी ओछा जनमु हमारा ।।
तुम सरनागति राजा राम चंद कहि रविदास चमारा ।।५।।

- सोरठी बाणी रविदास जी की, पृष्ठ 659

सन्देश- रविदास जी कह रहे है कि राम नाम बिना सब व्यर्थ है।

संत कबीर के चिंतन में श्री राम और श्री कृष्ण

कबीर कूता राम का, मुतिया मेरा नाऊँ।गले राम की जेवडी ज़ित खैंचे तित जाऊँ।।”
कबीर निरभै राम जपि, जब लग दीवै बाती।तेल घटया बाती बुझी, सोवेगा दिन राति।।”
” जाति पांति पूछै नहिं कोई। हरि को भजै सो हरि का होई।।”
साधो देखो जग बौराना,सांची कहौं तो मारन धावै,झूठे जग पतियाना।


अब मोहि राम भरोसा तेरा,
जाके राम सरीखा साहिब भाई, सों क्यूँ अनत पुकारन जाई॥
जा सिरि तीनि लोक कौ भारा, सो क्यूँ न करै जन को प्रतिपारा॥
कहै कबीर सेवौ बनवारी, सींची पेड़ पीवै सब डारी॥114॥

कस्तूरी कुंडल बसे, मृग ढूँढत बन माहि !!
!! ज्यो घट घट राम है, दुनिया देखे नाही !!

हमारा धन माधव गोबिंद धरनधर इहै सार धन कहियै।जो सुख प्रभु गोबिंद की सेवा सो सुख राज न लहियै॥
इसु धन कारण सिव सनकादिक खोजत भये उदासी।मन मुकुंद जिह्ना नारायण परै न जम की फाँसी॥
निज धन ज्ञान भगति गुरु दीनी तासु सुमति मन लागी।जलत अंग थंभि मन धावत भरम बंधन भौ भागी॥
कहै कबीर मदन के माते हिरदै देखु बिचारी।तुम घर लाख कोटि अस्व हस्ती हम घर एक मुरारी॥3॥

यहाँ श्री कृष्ण जी को माधव और गोविन्द के रूप में कबीर साहिब द्वारा स्मरण किया गया है।

3. श्री गुरु ग्रन्थ साहिब में श्री राम और श्री कृष्ण


श्री गुरुग्रंथ साहिब में श्री राम और श्री कृष्ण जी के नाम का वर्णन सैकड़ों बार आया हैं। गुरु ग्रन्थ साहिब में अनेक सिख गुरुओं और संतों के उपदेश समाहित हैं। अनेक स्थानों पर श्री राम का नाम ईश्वर के लिए और अनेक स्थान पर अयोध्या के राजा दशरथ पुत्र श्री राम के रूप में हुआ हैं। ऐसा ही श्री कृष्ण जी के विषय में भी ईश्वर एवं गोकुल निवासी के रूप में हुआ है।

सा रसना धनु धंनु है मेरी जिंदुड़ीए गुण गावै हरि प्रभ केरे राम ॥ ते स्रवन भले सोभनीक हहि मेरी जिंदुड़ीए हरि कीरतनु सुणहि हरि तेरे राम ॥ सो सीसु भला पवित्र पावनु है मेरी जिंदुड़ीए जो जाइ लगै गुर पैरे राम ॥ गुर विटहु नानकु वारिआ मेरी जिंदुड़ीए जिनि हरि हरि नामु चितेरे राम ॥२॥ {पन्ना 540}

अर्थ: हे मेरी सोहणी जीवात्मा! वह जीभ भाग्यशाली है, मुबारक है, जो (सदा) परमात्मा के गुण गाती रहती है। हे मेरी सोहणी जीवात्मा! वे कान सुंदर हैं अच्छे हैं जो तेरा कीर्तन सुनते रहते हैं। हे मेरी सुंदर जीवात्मा! वह सिर भाग्यशाली है पवित्र है, जो गुरू के चरनों में आ लगता है। हे मेरी सोहणी जीवात्मा! नानक (उस) गुरू से कुर्बान जाता है जिस ने (नानक को) परमात्मा (राम )का नाम याद कराया है।2।

कबीर रामे राम कहु कहिबे माहि बिबेक। एकु अनेकहि मिलि गइया ऐक समाना एक। 191 पृष्ठ 1374

अर्थात हे कबीर! सदा राम के नाम का जाप कर। पर जपने के वक्त ये बात याद रखनी कि एक राम तो अनेक जीवों में व्यापक हैं। और दूसरा एक शरीर में अयोध्या में हुआ था।


श्री गुरुग्रंथ साहिब में श्री कृष्ण जी महाराज का वर्णन अत्यंत मनोहर रूप में मिलता है।श्री गुरु ग्रन्थ साहिब, अंग 1082)

मारू महला ५ ॥

अचुत पारब्रहम परमेसुर अंतरजामी ॥मधुसूदन दामोदर सुआमी ॥रिखीकेस गोवरधन धारी मुरली मनोहर हरि रंगा ॥ मोहन माधव क्रिस्न मुरारे ॥
जगदीसुर हरि जीउ असुर संघारे ॥जगजीवन अबिनासी ठाकुर घट घट वासी है संगा ॥धरणीधर ईस नरसिंघ नाराइण ॥
दाड़ा अग्रे प्रिथमि धराइण ॥बावन रूपु कीआ तुधु करते सभ ही सेती है चंगा ॥स्री रामचंद जिसु रूपु न रेखिआ ॥बनवाली चक्रपाणि दरसि अनूपिआ ॥
सहस नेत्र मूरति है सहसा इकु दाता सभ है मंगा ॥

यहाँ पर गोकुल के श्री कृष्ण की लीलाओं के वर्णन के साथ साथ उन्हें परमेश्वर के रूप में स्मरण किया गया है।

वाल्मीकि ऋषि तो स्वयं ही मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम जी के जीवन चरित के लेखक है। वाल्मीकि समाज में ऋषि वाल्मीकि को श्री राम के गुरु और जीवनी लेखक होने के रूप में सम्मान प्राप्त हैं।

संतों की बनियों में इतने प्रमाण होने के पश्चात भी दलित समाज में घुसपैठ कर चुकें कुछ लोग एक सुनियोजित षड़यंत्र के तहत श्री राम और श्री कृष्ण जी के प्रति वैमनस्य की भावना को बढ़ाने का असफल प्रयास कर रहे हैं। इस षड़यंत्र को हमें असफल करना हैं। श्री राम और श्री कृष्ण केवल सवर्णों के नहीं अपितु सभी के हैं। उनके जीवन से प्रेरणा हम सदियों से लेते आये है और लेते रहेंगे।


सलंग्न चित्र--कन्नड़ भाषा में अनुवादित डॉ आंबेडकर लिखित Riddle of Hinduism का मुख्य पृष्ठ देखिये। इसमें डॉ अम्बेडकर को एक हाथ में डिग्री और दूसरे में चाबुक लेकर श्री राम और श्री कृष्ण को चाबुक से मारते हुए प्रदर्शित किया गया हैं।

5 comments:

  1. School ki kitabo mein ramayan aur mahabharat hona chaiye, humein Shree Ram chaiye, rakhshas abhi bhi hai aur paida ho raha hai. Students vedic Ramayan, Mahabharat, Bhagwatgeeta school mein parne lag gaye toh Rakhshas nast ho jayga

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  2. Galat baat in sabhi Sant k Ram koi or h yanha galat jankari h dost Wo to aadi ram Hai jinki bhakti ye sabhi mahan sant kiya krte the jinki jankari geeta geeta m bhi hai

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    1. Rampal exposed 👇👇👇
      रामपाल का पर्दाफाश 👇👇👇
      https://youtu.be/ZVmNye6sfUk

      https://youtu.be/6WZtpSYZy-g

      https://youtu.be/xCIOR-f6XYA

      https://youtu.be/Nr2mKfaR4FY

      https://youtu.be/mPQRl892E94

      https://youtu.be/IZNFdN8LDd8

      https://youtu.be/U_ONTlJqK44

      https://youtu.be/L6Dk8S9bJG0

      https://youtu.be/BQS5PCsOkss

      https://youtu.be/784pMBwrrHo

      https://youtu.be/sezTs9vteqc

      https://youtu.be/jrm3ke2LKg0

      https://youtu.be/k6mwAtyCSiE

      https://youtu.be/0QR1C0rQ4Bk

      https://youtu.be/lMMRR5JXyw8

      https://youtu.be/mQIGf1e7Aeg

      https://youtu.be/Sj9iZs1BwCA

      https://youtu.be/hxQETsvSNdM

      https://youtu.be/fdctAep5E0M

      https://youtu.be/WaXoKe5ImvU

      https://youtu.be/EWIbwIQcUng

      https://youtu.be/jSKeI4WChqo

      https://youtu.be/NaRLOq7rkI8

      https://youtu.be/PH05ThQHoCs

      https://youtu.be/Hy_SMnsIOaE

      https://youtu.be/FPvB0YtQHZY

      https://youtu.be/yLc7Ja08MC8

      https://youtu.be/lMMRR5JXyw8


      https://youtu.be/Xk3VKZsK3_4


      https://youtu.be/yh8uqhQXtco

      https://youtu.be/RjDIjOephTc


      https://youtu.be/TGQKUQ-b0tU

      https://youtu.be/BDiG0iJdxOA


      https://youtu.be/fyuPY0vWE94





      https://m.facebook.com/Reality.of.Sant.Rampal.Das/posts/563147587113680?comment_id=1421970594564704&reply_comment_id=4017521295009608&notif_ref=m_beeper

      https://m.facebook.com/groups/183842476023905/?tsid=0.5537218308780001&source=result

      https://m.facebook.com/islamikaran/


      https://m.facebook.com/Rampal.Expose/


      http://bitly.com/rampalexpose

      https://m.facebook.com/TruthOfRampal/


      https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=1456555537772876&id=428930193868754&ref=m_notif&notif_t=feed_comment_reply&__tn__=%2As%2AsR

      रामपाल कहता है कि मेने कबीर बनके द्रोपदी की लाज बचायी थी ....लेकिन रामपाल उर्फ कबीर अपनी पुत्री दुर्गा की लाज नही बचा पाया.....दुर्गा को काल निरंजन के पास निर्वस्त्र भेज देता है कबीर....
      और चश्मे वाला कबीर उर्फ रामपाल कह रहा है की द्रोपदी का चीर ( साड़ी) मेने बढाया... द्रोपदी को निर्वस्त्र नही होने दिया...... दुर्गा का बलात्कार हो रहा था तब दुर्गा की रक्षा क्यो नही करी रामपाल उर्फ कबीर ने...... कबीर अपने साथ वापस क्यों नही ले गये दुर्गा को उसने पुकारा भी था, दुर्गा ने सुमिरन किया था कबीर का

      एक प्रश्न ये भी उठता है कि सतलोक मे भी दुखदर्द है, कामवृत्ति , भोग विलास है, निरंजन के मन मे कामवासना सतलोक मे ही प्रकट हुई थी, इस हिसाब से सतलोक मे कामवृत्ति, कामवासना उत्पन्न होती है , वंहा भी क्रोध है ...हिंसा है ...निरंजन अपने भाई कुर्म पर हिंसा करता है ...उसके शीष काट देता है......और ये सब चेले सतलोक को सुखदायक बताते है ...निरंजन के अंदर विकार आते है सतलोक जेसी जगह मे वह जगह जिसे रामपाल पवित्र मानते है और कहते है सतलोक मे कोई विकार नही है .....क्या गप्प है रामपाल की....ऐसी गप्प मे पढे लिखे नोजवान सटक गये


      एक और गप्प सुनिए ;👇

      👿
      श्रीमदभगवदगीता मे धृतराष्ट्र, संजय, अर्जुन ने भी श्लोक बोले है तो क्या इन सभी के अंदर काल बोल रहा है।

      अर्जुन और श्रीकृष्ण का संवाद है गीता और रामपाल कहता है पुरी गीता कबीर पूत्र काल निरंजन ने बोली ....अर्जुन के अंदर भी काल घुसके छुपके श्लोक बोल रहा था क्या 😂 रामपालीयो बताओ पाखंडियों....रामपाल की चोरी पकड़ी गयी...

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  3. श्रीमद्भगवद गीता अध्याय 8 का श्लोक 3 में गीता ज्ञान दाता ब्रह्म भगवान ने कहा है कि वह परम अक्षर ' ब्रह्म ' है जो जीवात्मा के साथ सदा रहने वाला है । वह परम अक्षर ब्रह्म गीता ज्ञान दाता से अन्य है , वह कबीर परमात्मा हैं ।

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    1. भगवद् गीता अध्याय 8 श्लोक 3
      श्री भगवानुवाच
      अक्षरं ब्रह्म परमं स्वभावोऽध्यात्ममुच्यते।
      भूतभावोद्भवकरो विसर्गः कर्मसंज्ञितः।।8.3।।
      हिंदी अनुवाद - स्वामी रामसुख दास जी ( भगवद् गीता 8.3)
      ।।8.3।।श्रीभगवान् बोले -- परम अक्षर ब्रह्म है और जीवका अपना जो होनापन है उसको अध्यात्म कहते हैं। प्राणियोंका उद्भव करनेवाला जो त्याग है उसकी कर्म संज्ञा है।

      हिंदी अनुवाद - स्वामी तेजोमयानंद
      ।।8.3।। श्रीभगवान् ने कहा -- परम अक्षर (अविनाशी) तत्त्व ब्रह्म है स्वभाव (अपना स्वरूप) अध्यात्म कहा जाता है भूतों के भावों को उत्पन्न करने वाला विसर्ग (यज्ञ प्रेरक बल) कर्म नाम से जाना जाता है।।

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