Tuesday, April 11, 2017

पंजाब नेशनल बैंक (PNB) एवं लाला लाजपत राय जी का संकल्प



पंजाब नेशनल बैंक (PNB) एवं लाला लाजपत राय जी का संकल्प

डॉ विवेक आर्य

पंजाब नेशनल बैंक का आज 123 वां स्थापना दिवस है। PNB की स्थापना प्रसिद्द आर्यसमाजी नेता एवं शेरे-पंजाब लाला लाजपत राय द्वारा 12 अप्रैल1895 को लाहौर के प्रसिद्द अनारकली बाजार में हुई थी। इस बैंक की स्थापना करने वालों में लाला हरकिशन लाल (पंजाब के प्रथम उद्योगपति), दयाल सिंह मजीठिया (ट्रिब्यून अख़बार के संस्थापक), लाला लालचंद (DAV कॉलेज के संस्थापककर्ता )राय मूल राज (लाहौर आर्यसमाज के प्रधान), पारसी महोदय जेस्सावाला (प्रसिद्द व्यापारी), बाबू काली प्रसन्न रोय (प्रसिद्द वकील एवं कांग्रेस नेता)आदि थे। स्वामी दयानन्द के समाज सुधार आंदोलन का एक पृष्ठ PNB बैंक की स्थापना को कहा जाये तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। इसकी स्थापना करने वाले लोग अधिकतर आर्यसमाजी थे अथवा राष्ट्रवादी थे। इसलिए PNB ने अंग्रेज सरकार से किसी भी प्रकार का सहयोग नहीं लिया। उस समय 2 लाख रुपये की धनराशि से बैंक का आरम्भ किया गया था। PNB देश का ऐसा एकमात्र स्वदेशी बैंक है जो आज भी कार्यरत है। तत्कालीन सभी स्वदेशी बैंक या तो बंद हो चुके है अथवा अधिकृत हो चुके है।

PNB की स्थापना लाला लाजपत राय ने सामाजिक उत्थान एवं राष्ट्रप्रेम की भावना के चलते किया था। उस काल में निर्धन भारतीय साहूकारों से ऋण लिया करते थे। अशिक्षित किसानों से मनचाही बहियों पर अंगूठा लगवाकर साहूकार मनमाना ब्याज वसूलते थे। अकाल, बाढ़ आदि आ जाते तो किसान पूरा जीवन न उस ऋण से कभी मुक्त होता। न ही अंग्रेजों की कोर्ट कचहरी से न्याय प्राप्त कर पाता। अधिकतर साहूकार अंग्रेजों के पिटठू थे। इसलिए उनका कुछ नहीं बिगड़ता था। अंग्रेजों द्वारा स्थापित बैंक केवल प्रभावशाली लोगों को ऋण देते थे। गरीब भारतियों की वहां तक कोई पहुँच नहीं थी , लाला जी ने जब इस शोषण और अत्याचार को देखा तो इसका व्यावहारिक समाधान निकालने का निर्णय लिया। उन्होंने अपने राष्ट्रवादी मित्रों के साथ मिलकर PNB की स्थापना की। इसका उद्देश्य गरीबों को साहूकार और अंग्रेज दोनों के अत्याचारों से मुक्त करवाना था। लाला जी का प्रयोग अत्यंत सफल रहा। शीघ्र ही पूरे पंजाब में PNB की शाखाएं फैल गई। इससे गरीबों को कर्ज के जाल से मुक्ति मिली। लाला जी का संकल्प पूरा हुआ। समाज सुधार के इस सफल उदहारण को न किसी इतिहास की पुस्तक में पढ़ाया जाता, न ही किसी अर्थशास्त्र की पुस्तक में पढ़ाया जाता। इसके दो कारण है। पहला तो वोट बैंक की राजनीति। इस सुधारवादी कदम का बखान करने से वोट नहीं मिलते। दूसरा कम्युनिस्ट मानसिकता वाले साम्यवादी लेखक है।  वे गरीबों के हक, शोषण की बात तो करते है परन्तु उसका समाधान कभी नहीं करते। वे केवल अपने राजनितिक हितों को साधने में लगे रहते है। आज तक साम्यवादियों ने ऐसा कोई सामाजिक सुधार किया हो तो बताये।

इतिहास में PNB की स्थापना सामाजिक उत्थान कि एक प्रेरणादायक घटना है।  लाला लाजपत राय को उनके इस महान पुरुषार्थ के लिए नमन।


सलंग्न चित्र

1. लाला लाजपत राय- PNB के संस्थापक
2. लाहौर में PNB की स्थापना के समय गणपत राय मार्ग पर खुले पहले कार्यालय का चित्र



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