Sunday, April 2, 2017

पुराणों के कृष्ण बनाम महाभारत के कृष्ण


(योगिराज श्री कृष्ण ध्यानावस्था में)


पुराणों के कृष्ण बनाम महाभारत के कृष्ण

डॉ विवेक आर्य

प्रशांत भूषण ने उत्तर प्रदेश में योगी सरकार द्वारा चलाये जा रहे रोमियो अभियान के विरोध में श्री कृष्ण जी महाराज पर आपत्तिजनक टिप्पणी करते हुए श्री कृष्ण जी को छेड़छाड़ करने वाला बताया है। इसे हम विडम्बना ही कहेंगे कि श्री कृष्ण जी पर जूठे आरोप लगाकर प्रशांत भूषण अपने राजनीतिक हितों को साधना चाहते हैं। वैसे श्री कृष्ण जी ऐसे मिथ्या आरोप पहले भी लगते रहे है।

फिल्म रेडी में सलमान खान पर फिल्माया गया गाना “कुड़ियों का नशा प्यारे,नशा सबसे नशीला है,जिसे देखों यहाँ वो,हुसन की बारिश में गीला है,इश्क के नाम पे करते सभी अब रासलीला है,मैं करूँ तो साला,Character ढीला है,मैं करूँ तो साला,Character ढीला है। ”

सन 2005 में उत्तर प्रदेश में पुलिस अफसर डी के पांडा राधा के रूप में सिंगार करके दफ्तर में आने लगे और कहने लगे की मुझे कृष्ण से प्यार हो गया है और में अब उनकी राधा हूँ।  अमरीका से उनकी एक भगत लड़की आकर साथ रहने लग गई। उनकी पत्नी वीणा पांडा का कथन था की यह सब ढोंग है।

इस्कोन के संस्थापक प्रभुपाद जी एवं अमरीका में धर्म गुरु दीपक चोपरा के अनुसार ” कृष्ण को सही प्रकार से जानने के बाद ही हम वैलंटाइन डे (प्रेमिओं का दिन) के सही अर्थ को जान सकते है। इस्लाम को मानने वाले जो बहुपत्नीवाद में विश्वास करते है सदा कृष्ण जी महाराज पर 16000 रानी रखने का आरोप लगा कर उनका माखोल करते है।

इस लेख के माध्यम से हम श्री कृष्ण जी के विषय में फैलाई जा रही भ्रांतियों का निराकरण करेंगे।

प्रसिद्द समाज सुधारक एवं वेदों के प्रकांड पंडित स्वामी दयानंद जी ने अपने अमर ग्रन्थ सत्यार्थ प्रकाश में श्री कृष्ण जी महाराज के बारे में लिखते है कि पूरे महाभारत में श्री कृष्ण के चरित्र में कोई दोष नहीं मिलता एवं उन्हें आप्त (श्रेष्ठ) पुरुष कहाँ है। स्वामी दयानंद श्री कृष्ण जी को महान विद्वान सदाचारी, कुशल राजनीतीज्ञ एवं सर्वथा निष्कलंक मानते है फिर श्री कृष्ण जी के विषय में चोर, गोपिओं का जार (रमण करने वाला), कुब्जा से सम्भोग करने वाला, रणछोड़ आदि प्रसिद्द करना उनका अपमान नहीं तो क्या है?श्री कृष्ण जी के चरित्र के विषय में ऐसे मिथ्या आरोप का आधार क्या है? इन गंदे आरोपों का आधार है पुराण।  आइये हम सप्रमाण अपने पक्ष को सिद्ध करते है।

पुराण में गोपियों से कृष्ण का रमण करने का मिथ्या वर्णन

विष्णु पुराण अंश 5 अध्याय 13 श्लोक 59-60  में लिखा है-

वे गोपियाँ अपने पति, पिता और भाइयों के रोकने पर भी नहीं रूकती थी रोज रात्रि को वे रति “विषय भोग” की इच्छा रखने वाली कृष्ण के साथ रमण “भोग” किया करती थी।  कृष्ण भी अपनी किशोर अवस्था का मान करते हुए रात्रि के समय उनके साथ रमण किया करते थे।

कृष्ण उनके साथ किस प्रकार रमण करते थे पुराणों के रचियता ने श्री कृष्ण को कलंकित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।
 भागवत पुराण स्कन्द 10 अध्याय 33 शलोक 17 में लिखा है -

कृष्ण कभी उनका शरीर अपने हाथों से स्पर्श करते थे, कभी प्रेम भरी तिरछी चितवन से उनकी और देखते थे, कभी मस्त हो उनसे खुलकर हास विलास ‘मजाक’ करते थे। जिस प्रकार बालक तन्मय होकर अपनी परछाई से खेलता है वैसे ही मस्त होकर कृष्ण ने उन ब्रज सुंदरियों के साथ रमण, काम क्रीड़ा ‘विषय भोग’ किया।

भागवत पुराण स्कन्द 10 अध्याय 29 शलोक 45-46  में लिखा है -

कृष्णा ने जमुना के कपूर के सामान चमकीले बालू के तट पर गोपिओं के साथ प्रवेश किया।  वह स्थान जलतरंगों से शीतल व कुमुदिनी की सुगंध से सुवासित था। वहां कृष्ण ने गोपियों के साथ रमण बाहें फैलाना, आलिंगन करना, गोपियों के हाथ दबाना , उनकी छोटी पकरना, जांघो पर हाथ फेरना, लहंगे का नारा खींचना, स्तन पकड़ना, मजाक करना नाखूनों से उनके अंगों को नोच नोच कर जख्मी करना, विनोदपूर्ण चितवन से देखना और मुस्कराना तथा इन क्रियाओं के द्वारा नवयोवना गोपिओं को खूब जागृत करके उनके साथ कृष्णा ने रात में रमण (विषय भोग) किया।

ऐसे अभद्र विचार कृष्णा जी महाराज को कलंकित करने के लिए भागवत के रचियता नें स्कन्द 10 के अध्याय 29,33 में वर्णित किये है जिसका सामाजिक मर्यादा का पालन करते हुए मैं वर्णन नहीं कर रहा हूँ।

राधा और कृष्ण का पुराणों में वर्णन

राधा का नाम कृष्ण के साथ में लिया जाता है।  महाभारत में राधा का वर्णन तक नहीं मिलता।  राधा का वर्णन ब्रह्मवैवर्त पुराण में अत्यंत अशोभनिय वृतांत का वर्णन करते हुए मिलता है।

ब्रह्मवैवर्त पुराण कृष्ण जन्म खंड अध्याय 3 श्लोक 59-62 में लिखा है कि गोलोक में कृष्ण की पत्नी राधा ने कृष्ण को पराई औरत के साथ पकड़ लिया तो शाप देकर कहाँ – हे कृष्ण ब्रज के प्यारे , तू मेरे सामने से चला जा तू मुझे क्यों दुःख देता है – हे चंचल , हे अति लम्पट कामचोर मैंने तुझे जान लिया है। तू मेरे घर से चला जा।  तू मनुष्यों की भांति मैथुन करने में लम्पट है, तुझे मनुष्यों की योनी मिले, तू गौलोक से भारत में चला जा।  हे सुशीले, हे शाशिकले, हे पद्मावती, हे माधवों! यह कृष्ण धूर्त है इसे निकल कर बहार करो, इसका यहाँ कोई काम नहीं।

ब्रह्मवैवर्त पुराण कृष्ण जन्म खंड अध्याय 15 में राधा का कृष्ण से रमण का अत्यंत अश्लील वर्णन लिखा है जिसका सामाजिक मर्यादा का पालन करते हुए मैं यहाँ विस्तार से वर्णन नहीं कर रहा हूँ।

ब्रह्मवैवर्त पुराण कृष्ण जन्म खंड अध्याय 72 में कुब्जा का कृष्ण के साथ सम्भोग भी अत्यंत अश्लील रूप में वर्णित है।

राधा का कृष्ण के साथ सम्बन्ध भी भ्रामक है।  राधा कृष्ण के बामांग से पैदा होने के कारण कृष्ण की पुत्री थी अथवा रायण से विवाह होने से कृष्ण की पुत्रवधु थी चूँकि गोलोक में रायण कृष्ण के अंश से पैदा हुआ था इसलिए कृष्ण का पुत्र हुआ जबकि पृथ्वी पर रायण कृष्ण की माता यसोधा का भाई था इसलिए कृष्ण का मामा हुआ जिससे राधा कृष्ण की मामी हुई।

कृष्ण की गोपिओं कौन थी?

पदम् पुराण उत्तर खंड अध्याय 245 कलकत्ता से प्रकाशित में लिखा है कि रामचंद्र जी दंडक -अरण्य वन में जब पहुचें तो उनके सुंदर स्वरुप को देखकर वहां के निवासी सारे ऋषि मुनि उनसे भोग करने की इच्छा करने लगे।  उन सारे ऋषिओं ने द्वापर के अंत में गोपियों के रूप में जन्म लिया और रामचंद्र जी कृष्ण बने तब उन गोपियों के साथ कृष्ण ने भोग किया।  इससे उन गोपियों की मोक्ष हो गई। वर्ना अन्य प्रकार से उनकी संसार रुपी भवसागर से मुक्ति कभी न होती।

क्या गोपियों की उत्पत्ति का दृष्टान्त बुद्धि से स्वीकार किया जा सकता है?

श्री कृष्ण जी महाराज का वास्तविक रूप

अभी तक हम पुराणों में वर्णित गोपियों के दुलारे, राधा के पति, रासलीला रचाने वाले कृष्ण के विषय में पढ़ रहे थे जो निश्चित रूप से असत्य है।

अब हम योगिराज, नीतिनिपुण , महान कूटनीतिज्ञ श्री कृष्ण जी महाराज के विषय में उनके सत्य रूप को जानेगे।

आनंदमठ एवं वन्दे मातरम के रचियता बंकिम चन्द्र चटर्जी जिन्होंने 36  वर्ष तक महाभारत पर अनुसन्धान कर श्री कृष्ण जी महाराज पर उत्तम ग्रन्थ लिखा ने कहाँ हैं कि महाभारत के अनुसार श्री कृष्ण जी की केवल एक ही पत्नी थी जो की रुक्मणी थी।  उनकी 2 या 3 या 16000  पत्नियाँ होने का सवाल ही पैदा नहीं होता।  रुक्मणी से विवाह के पश्चात श्री कृष्ण रुक्मणी के साथ बदरिक आश्रम चले गए और 12  वर्ष तक तप एवं ब्रहमचर्य का पालन करने के पश्चात उनका एक पुत्र हुआ जिसका नाम प्रदुमन था. यह श्री कृष्ण के चरित्र के साथ अन्याय हैं की उनका नाम 16000 गोपियों के साथ जोड़ा जाता है।  महाभारत के श्री कृष्ण जैसा अलौकिक पुरुष , जिसे कोई पाप नहीं किया और जिस जैसा इस पूरी पृथ्वी पर कभी-कभी जन्म लेता है।  स्वामी दयानद जी सत्यार्थ प्रकाश में वहीँ कथन लिखते है जैसा बंकिम चन्द्र चटर्जी ने कहा है।  पांडवों द्वारा जब राजसूय यज्ञ किया गया तो श्री कृष्ण जी महाराज को यज्ञ का सर्वप्रथम अर्घ प्रदान करने के लिए सबसे ज्यादा उपर्युक्त समझा गया जबकि वहां पर अनेक ऋषि मुनि , साधू महात्मा आदि उपस्थित थे। वहीँ श्री कृष्ण जी महाराज की श्रेष्ठता समझे की उन्होंने सभी आगंतुक अतिथियो के धुल भरे पैर धोने का कार्य भार लिया।  श्री कृष्ण जी महाराज को सबसे बड़ा कूटनितिज्ञ भी इसीलिए कहा जाता है क्यूंकि उन्होंने बिना हथियार उठाये न केवल दुष्ट कौरव सेना का नाश कर दिया बल्कि धर्म की राह पर चल रहे पांडवो को विजय भी दिलवाई।

ऐसे महान व्यक्तित्व पर चोर, लम्पट, रणछोर, व्यभिचारी, चरित्रहीन , कुब्जा से समागम करने वाला आदि कहना अन्याय नहीं तो और क्या है और इस सभी मिथ्या बातों का श्रेय पुराणों को जाता है।

इसलिए महान कृष्ण जी महाराज पर कोई व्यर्थ का आक्षेप न लगाये एवं साधारण जनों को श्री कृष्ण जी महाराज के असली व्यक्तित्व को प्रस्तुत करने के लिए पुराणों का बहिष्कार आवश्यक है और वेदों का प्रचार अति आवश्यक है।

और फिर भी अगर कोई न माने तो उन पर यह लोकोक्ति लागु होती हैं-

जब उल्लू को दिन में न दिखे तो उसमें सूर्य का क्या दोष है?

प्रोफैसर उत्तम चन्द शरर जन्माष्टमि पर सुनाया करते थे

: तुम और हम हम कहते हैं आदर्श था इन्सान था मोहन |

…तुम कहते हो अवतार था, भगवान था मोहन ||

हम कहते हैं कि कृष्ण था पैगम्बरो हादी |

तुम कहते हो कपड़ों के चुराने का था आदि ||

हम कहते हैं जां योग पे शैदाई थी उसकी |

तुम कहते हो कुब्जा से शनासाई थी उसकी ||

हम कहते है सत्यधर्मी था गीता का रचैया |

तुम साफ सुनाते हो कि चोर था कन्हैया ||

हम रास रचाने में खुदायी ही न समझे |

तुम रास रचाने में बुराई ही न समझे ||

इन्साफ से कहना कि वह इन्सान है अच्छा |

या पाप में डूबा हुआ भगवान है अच्छा ||

कृपया इस लेख को इतना शेयर कीजिये कि प्रशांत भूषण सरीखे लोगों को सत्य-असत्य का बोध अवश्य हो जाये।


4 comments:

  1. बिल्कुल सही श्री कृष्ण को उनकी अनमोल धरोहर गीता और महाभारत से जाना जा सकता है पाखंडियों की लिखी पुरद से नहीं !

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  2. Esi gandagi Purano men kisne daali or kab? Kya uddeshya tha uska ? or iski marketing kisne ki ? Hum hindu kyun bevkoof ban gye ? Kya muslimon or christians ne daali gandgi puron mne ?

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