Sunday, April 3, 2016

सीधे 33 करोड़पति बन जाओगे हास्यपद ।



नमस्ते मित्रो
.
बहुत दिनों से एक राग प्रलाप चल रहा है ( कुछ स्वार्थियों द्वारा ) की जब कोई आर्य भाई कोई पोस्ट डालता है तो कुछ भाई कहते है की आप हिन्दुओं को तोड़ रहे है , आज आप को और हमें चिंतन करना और करने की आवश्यकता है की आखिर हिन्दुओं(आर्यों) को तोड़ा किसने ?
.
1 - आर्य समाज ने हमें जातिवाद से मुक्ति दिला कर गुरुकुल शिक्षा के लिए प्रेरित किया ,जहाँ सब विधार्थी अपने कर्म और स्वभाव से ही वर्ण चुनते है

2- अब इससे उलट हमारे पोराणिक पंडो (ब्राह्मण नहीं ) ने जातिवाद और छुआ छूत को बढाबा दिया जैसे की एक कहाबत इनकी सभी को मशहुर है की - अगर कोई शुद्र वेद मन्त्र पढ़े य सुने तो उनके कान में पिघला हुआ सीशा डलवा दो

3 - आर्य समाज ने एक ईश् जो सबका मलिक है उसकी पूजा उपासना के लिए लोगों को प्रेरित किया ।

4 - इससे उलट उन लोगों ने तेतीस करोड़ देवी देवताओं में हमें बाँट दिया जिससे की हम अपने तेतीस करोड़ के चक्कर में ही लगे रहे और विधर्मी अपना काम कर जाए ।

5 - आर्य समाज ने हमें अंधविश्वास से दूर रहने और पाखंड को अपने नजदीक न आने की सलाह दी और पुरुसार्थ करने पर जोर देने के लिए कहा ।

6 - लेकिन पंडो ने इससे उलट हमें अंधविश्वास की गलियों में धकेला - उधारण के लिए "सोमनाथ मंदिर " जहाँ पंडो ने अपनी कायरता दिखा कर निर्दोष लोगों को मरवाया और मंदिर लुट्वाया ।

6- आर्य समाज ने जितने भी ये पाखंडी बाबा है उनका विरोध किया ।

7 - पंडों ने इससे उलट कुकरमुत्तो की तरह नए नए उगने बाले बाबाओं का समर्थन किया और उनके धंधे में शामिल भी हुए ( निर्मल बाबा , राधे माँ , रामपाल , लाल किताब बाले बाबा , )

8- आर्य समाज ने सभी को वर्ण उनके कर्म के हिसाब से दिया ।

9- इससे बिलकुल उलट पाखंडी पोपो ने जन्म से शराबियों और वेस्याव्रती करने वालों को भी "ब्राह्मण" कहने पर जोर दिया ।

9- आर्य समाज ने कभी भी साईं , गाजी ,पीर ,फ़कीर , का समर्थन नहीं किया और बल्कि सबसे पहले इसका विरोध किया ...

10- पंडों ने इससे उलट साईं ( मुल्ले ) को अपना धंदा बना लिया की अब राम और कृष्ण की उन्हें जरुरत नहीं ।
.......
..
..अब सोचिये हिन्दुओं को आर्य समाज ने तोडा य कुछ स्वार्थी लोगों की जमात ने ?

साभार- फेसबुक 

3 comments:

  1. आपने लिखा...
    कुछ लोगों ने ही पढ़ा...
    हम चाहते हैं कि इसे सभी पढ़ें...
    इस लिये आप की ये खूबसूरत रचना दिनांक 05/04/2016 को पांच लिंकों का आनंद के
    अंक 263 पर लिंक की गयी है.... आप भी आयेगा.... प्रस्तुति पर टिप्पणियों का इंतजार रहेगा।

    ReplyDelete
  2. आर्यसमाज ने रूढियों को हटाकर हमें हमारे धर्म की वास्तविकता ,पवित्रता, वैज्ञानिकता,से रूबरू कराया है । मैं भी आपसे सहमत हूँ ।

    ReplyDelete
  3. आर्यसमाज ने रूढियों को हटाकर हमें हमारे धर्म की वास्तविकता ,पवित्रता, वैज्ञानिकता,से रूबरू कराया है । मैं भी आपसे सहमत हूँ ।

    ReplyDelete