Tuesday, February 6, 2024

हरयाणा में आर्य समाज के प्रकाश स्तम्भ


 



हरयाणा में आर्य समाज के प्रकाश स्तम्भ

लेखक = स्वामी इन्द्रवेश जी महाराज
प्रस्तुति = अमित सिवाहा
हरियाणा प्रदेश आर्य समाज की विचार धारा के सर्वाधिक समीप है जिन मान्यताओं को आर्य समाज ने प्रचारित किया है वे मान्यताएं यहाँ पहले से ही भारत के अन्य प्रान्तों की अपेक्षा बद्धमूल थी। राजनैतिक दृष्टि से यह प्रदेश पहले सयुक्त पंजाब में सम्मिलित था। तब लाहौर में होने वाली आर्य समाज की प्रत्येक गतिविधि से प्रेरणा लेता था। इस प्रदेश में आर्य समाज की विचार धारा फैलाने का सर्वप्रथम स्वामी श्रद्धानन्द जी ने बीड़ा उठाया। गुडकुल मटिण्डू, गुरुकुल झज्जर, गुरुकुल भैंसवाल, गुरुकुल इन्द्रप्रस्थ गुरुकुल कुरुक्षेत्र आदि संस्थाएं उनके द्वारा या उनकी प्रेरणा पर ही खोली गई। इस प्रदेश में आर्य समाज का कार्य इतना सफल हुआ कि सारा प्रदेश ही अपने को आर्य मानने लगा। प्रदेश में सेकड़ों युवक उपदेशक भजनोपदेशक तथा संन्यासी पैदा हुए जिन्होंने घोर तप करके बड़ी निष्ठा और तत्परता से आर्य समाज का प्रचार किया, जिनमें प्रमुख संन्यासी निम्न है ।
आर्य संन्यासी
स्वामी श्रद्धानन्द
आपका जन्म पंजाब प्रान्त के जालन्धर जिले में हुआ। प्रारम्भ में वकालत पास करके प्रैक्टिस शुरू की। महर्षि दयानन्द के व्याख्यानों से जीवन में क्रान्तिकारी परिवर्तन हुआ। आापने महर्षि दयानन्द के बाद आर्य समाज के श्रान्दोलन का नेतृ व पूरी योग्यता से सम्भाला । गुरुकुल झान्दोलन, शुद्धि आन्दोलन, स्वतन्त्रता आन्दोलन व जाति-पांतिक तोड़ अभियान आदि सभी प्रकार की प्रवृत्तियों के प्रेरणा स्रोत धाप थे। हरयाणा प्रान्त पर आपकी विशेष स्नेह दृष्टि थीं। आप एक मदान्ध यवन की गोली से शहीद हो गए ।
स्वामी स्वतन्त्रानन्द
आपका जन्म भी पंजाब में हुआ। प्रारम्भ में आप उदासीन सम्प्रदाय के संन्यासी थे। आर्य समाज के आन्दोलन से आप पूर्णतः बदल गए। आार्य समाज के क्षेत्र में आपने फील्ड मार्शल के रूप में जनता का नेतृत्व किया। लाहौर में आप उपदेशक विद्यालय के आचार्य रहे। हरयाणा के गांव गाँव तक में आपके अनन्य भक्त आज भी पाए जाते हैं। आप विशाल हृदय, महाबली एवं अनथक योद्धा थे। लोहारू सत्याग्रह में आपको भारी चोटें आई थीं। गौरक्षा आन्दोलन के अभियान में आप शहीद हुए ।
स्वामी आत्मानन्द
आपका जन्म मेरठ जिले में हुआ।। बाल्यकाल में वैराग्यवश विद्या प्राप्ति के लिए काशी चले गये। वहीं पर आप आर्य समाज के आन्दोलन से प्रभावित हुए। वेद और दर्शनों के प्रकाण्ड विद्वान् थे। पूर्व पाकिस्तान पौठोहार में गुरुकुल का निर्माण किया । देश के विभाजन के बाद आर यमुनानगर आ गये पौर उपदेशक विद्यालय का संवत्लन किया। आप आर्य प्रतिनिधि सभा पंजाब के यशस्वी प्रधान तथा हिन्दी भाग्दोलन के नेता थे।
स्वामी समर्पणानन्द
एक अद्भुत प्रतिभाशन्, ओजस्वी वक्ता वैदिक और लौकिक समस्त संस्कृत वाड्मय के महान् विद्वान थे। गुरुकुल कांगड़ी ऐसे स्नातक को जन्म देकर धन्य हो गया। वे संस्कृत में गद्य और पद्य दानों पर पूर्ण अधिकार रखते थे तथा अंग्रेजी में भी धारा प्रवाह बोलते थे । आपने कायावस्त्र, शतपथ ब्राह्मण भाष्य आदि अनेक ग्रंथों की रचना की। आप युवक आन्दोलन के परम समर्थक थे । हरयाणा से आपका विशेष स्नेह था। स्वामी अग्निवेश जी आपके प्रमुख शिष्यों में से हैं।
स्वामी ब्रह्ममुनि
आप आर्य परिवार के वयोवृद्ध एवं ज्ञानदृड संन्यासी हैं। आपने बह्मचर्य से सीधा संन्यास लेकर सम्पूर्ण जीवन आर्यसमाज की सेवा एवं वैदिक साहित्य की साधना में लगाया है। आपने सभी शास्त्रों उपनिषदों एवं वेदों का भाष्य किया है। सैकड़ों हिन्दी एवं संस्कृत के ग्रन्थों की रचना की है। आप बड़े शांत व गम्भीर है एवं योगाभ्यासरत रहते हैं। स्वामी अग्निवेश आदि युवा संन्यासियों के दीक्षा गुरु हैं।
स्वामी भीष्म जी
स्वामी भीष्म जी पुरानी पीढ़ी के ऐसे विलक्षण महारथी हैं जो ११५ वर्ष की आयु में भी निरन्तर प्रचार कार्य में संलग्न हैं। आप पिछले ८० वर्ष से आर्य समाज की सेवा कर रहे हैं। आपके सैकड़ों शिष्य भजनों के द्वारा आर्य समाज की सेवा कर रहे हैं। इतनी बड़ी बायु में भी आप पूर्ण स्वस्थ बलिष्ठ एवं युवकों के समान हृदय रखते हैं। पुरानी पीढ़ी में से युवा आन्दोलन के सर्वाधिक समर्थक हैं। आप घरोण्डा करनाल में रह रहे हैं और सम्पूर्ण देश में प्रचार कार्य हेतु भ्रमण करते रहते हैं।
स्वामी वेदानन्द जी
आप बाल ब्रह्मचारी हैं। कालेज से बी. एस. सी. और आयुवेद की बी. आई. एम. एस. करके आार्य समाज में पदार्पण किया। बचपन से हो आप में वैराग्य के संस्कार थे और इसलिए धनधान्य से सम्पन्न परिवार को छोड़कर आर्ष विद्या की साधना में जुट गये। व्याकरण महाभाष्य निरुक्त अदि का अध्ययन करके आपने प्राणायाम और योगाभ्यास की साधना की तथा रोपड़ में दयानन्द वैदिक साधु आश्रम की स्थापना की। आप पंजाब के युवकों के एक मात्र नेता हैं। आर्य प्रतिनिधि सभा पंजाब के उप प्रधान हैं। पंजाब में आपके नेतृत्व में आार्य समाज का भविष्य उज्जवल है।
स्वामी अग्निवेश जी
युवा जगत् की आशाओं के केन्द्र क्रांति के अग्रदूत स्वामी अग्निवेश जी का जन्म मध्य प्रदेश के शक्ति ग्राम में हुआ । आपके माता पिता मूल रूप से आन्ध्र प्रदेश में विशाखा पट्टनम के निवासी हैं। आपकी शिक्षा दीक्षा कलकत्ता में हुई। कार्य समाज के सुप्रसिद्ध विद्वान आचार्य रमाकान्त शास्त्री ने आपको सत्रह वर्ष की आयु में आर्थ समाज में दीक्षित किया। कलकत्ता विश्व विद्यालय से एम. कॉम एल. एल. बी. करने के बाद आपने हाईकोर्ट में प्रेक्टिस शुरू कर दी तथा सैण्ट जैवियर्स कालेज में अध्यापन कार्य प्रारम्भ किया। स्वामी समपर्णानन्द जी की प्रेरणा से सर्वस्व त्याग करके कार्य क्षेत्र में अवतरित हुए। पिछले ७ साल से आपने आर्य जगत् में तथा देश में एक नई चेतना का संचार किया। आपको वाणी तथा लेखनी में अद्भुत जादू है। झार्य जगत में आप युवा आन्दोलन का नेतृत्व कर रहे हैं।
स्वामी आदित्य वेश जी
आप आर्य समाज के साहसी महारथी है। इलाहाबाद विश्व विद्यालय में अर्थ शास्त्र में एम, ए. करने के बाद कुछ समय तक एम्प्लॉयमेन्ट प्रॉफिसर रहे । स्वामी समर्पणानन्द की प्रेरणा से आर्य समाज में पदार्पण किया। राजेन्द्र नगर आर्य समाज में रह कर आपने संस्कृत का गहन अध्ययन किया और फिर आर्य समाज के युवा आन्दोलन में कूद पड़े। पिछले १ वर्ष से आप मुख्य रूप से गुड़गाँव, हरियाणा और सम्पूर्ण देश में कार्य कर रहे हैं। स्वामी आदित्यवेश सहनशीलता की मूर्ति तथा दृढ़ आस्थावान एवं अथक कर्मवीर है।
स्वामी शक्तिवेश
रोहतक जिले की झज्जर तहसील के किलोई ग्राम में आपका जन्म हुथा। प्रारम्भ से ही सामाजिक कार्यों में आपकी विशेष रुचि थी। स्कूल के अध्यापन कार्य को छोड़ कर आर्य समाज के आन्दोलन में आपने प्रवेश किया। झज्जर तहसील में आर्य युवक परिषद् हरियाणा के कार्य भार को संभाला । पिछले प्रारम्भ में अपने दो वर्ष से आपने राजस्थान को अपना कार्य क्षेत्र बनाया है। आपके नेतृत्व में सम्पूर्ण राजस्थान का आर्य समाज अंगड़ाई लेकर बड़ा हो गया है। आप राजस्थान आर्य प्रतिनिधि सभा के प्रधान है। आप कुशल संयोजक एवं और परिश्रमी है। आप में बड़ी से बड़ी विषम परिस्थितियों से संघर्ष करने की क्षमता भगवान ने दी है। वास्तव में आपका शक्तिवेश नाम सार्थक है।
स्वामी चन्द्रवेश
रोहतक जिले के मकड़ौली ग्राम में आपका जन्म हुआा। आप बाल्यकाल से ही शरीर से पुष्ट, विचारों से शांत एवं वैराग्य मुक्त है। आपने १२ वर्ष तक आर्ष विद्या एवं योगाभ्यास की साधना के लिये अनेक संस्थाओ और आश्रम में घोर तप किया। व्याकरण महाभाष्य, निरुक्त और वेद आदि विषयों से आचार्य करके गुरुकुल कालवा, गुरुकुल सिंहपुरा , आदि संस्थाओं का सफल संचालन किया। आप आजकल आर्य प्रतिनिधि सभा पंजाब के वेद प्रचार अधिष्ठाता हैं। आपके ओजस्वी व्याख्यानों से आर्य जनता विशेष प्रभाव ग्रहण करती है।

स्वामी सुधानन्द

आपका जन्म राजस्थान के अलवर जिले में हुआ। बाल्यकाल से ही वैराग्य एवं वेदप्रचार में रुचि होने के कारण उपदेशक विद्यालय से स्नातक बनने के बाद योगाभ्यास में रुचि बढ़ी। और एकान्त में साधना करते रहे। आप कई वर्षों तक अफगानिस्तान शादि १२ देशों में वैदिक धर्म का सफल प्रचार कर चुके हैं। स्वामी जी ने अपनी तपस्या और कुशल संचालन से गुड़गांव जिले में में सिद्धरावली आदि स्थानों पर कई कालिजों और विद्यालयों का संचालन किया। दयानन्द मठ दीनानगर में भी दो वर्ष रह कर आर्य समाज का पंजाब क्षेत्र में संगठन कार्य किया। आजकल आप गुरुकुल इन्द्रप्रस्थ के आचार्य हैं। आपका व्यक्तित्व बड़ा सुलझा हुआ, जागरूक एवं प्रगतिशील है। स्वामी जी त्याग और तपस्या की मूति हैं।

स्वामी रुद्रवेश

आपका जन्म करनाल जिले के रामपुर गांव में हुआ। बाल्यकाल से ही आप संघर्षशील एवं साहसी थे। आर्य समाज के आप शुरू से ही समर्थक और पाखण्ड के विरोधी थे। हिन्दी आन्दोलन के समय आप विशेष कार्यकर्ता के रूप में उभर कर आये और जेल यात्रा करके नैष्टिक ब्रह्मचर्य को दीक्षाली। आप स्वामी भीष्म जी के शिष्य है। पिछले १५ वर्ष से प्रचार कार्य में जुटे हुए हैं। आपके क्रांतिकारी भजन लोगों को मंत्रमुग्ध बना देते हैं। आप आर्य समाज के दीवाने एवं परवाने है। आपने रोहतक शताब्दी समारोह पर संन्यास की दीक्षा लेकर अपने जीवन को और तपोमय बना लिया है। आप आर्य समाज के युवा आन्दोलन के तेजस्वी पुरोधा हैं।

स्वामी रत्नदेव 

आपका जन्म जींद जिले के निडाना गाँव में हुआ। आपको प्रारम्भ से ही समाज सेवा की धुन है। गौरक्षा आन्दोलन में आपका व्यक्तित्व विशेष रूप से निखर कर आया। गुरुकुल कुम्भखेड़ा (हिसार) एवं कन्या गुरुकुल खरला (जींद) की स्थापना की है। जिसका संचालन आप पूरी लग्न से कर रहे है।

स्वामी आनन्दवेश

आपका जन्म सोनीपत जिले के कव्वाली ग्राम में हुआ । आप हाई स्कूल करने के बाद आर्ष सहित्य के अध्ययन करने में अग्रसर हुए । आप स्वामी आत्मानन्द के सान्निध्य में यमुनानगर उपदेशक विद्यालय से सिद्धान्त शिरोमणि की उपाधि लेकर योगा- भ्यास की साधना में जुट गये। हिन्दी आन्दोलन के समय आप युवकों के प्रिय नेता थे। वर्षों प्राणायाम और योग की साधना करके आपने शुक्रताल में गुरुकुल की स्थापना की। ओजस्वी वक्ता प्रभावशाली लेखक तथा अध्यात्म विद्या के आप आचार्य है। प्राणायाम के क्षेत्र में आपको प्रामाणिकता उपलब्ध है। स्वामी जी हठ उत्साही एवं गम्भीर युवा संन्यासी है।

स्वामी देवानन्द

गुरुकुल आर्य नगर (कुरड़ी) हिसार के संस्थापक एवं आचार्य हैं। धुन के धनी तथा आर्यसमाज के दीवाने हैं।

स्वामी अग्निदेव भीष्म

आपका जन्म रोहतक जिले के टिटौली गाँव में हुआ । युवावस्था के प्रारम्भ में ब्रह्मचर्य की साधना के लिए भीष्म व्रत धारण कर आर्य समाज के क्षेत्र में आये । स्वामी योगानन्द तीर्थ के आप शिष्य हैं। मुख्य रूप से वेद तथा आर्य सिद्धांतों के प्रचार में आप की रुचि हैं। आपने हिसार में दयानन्द साधु आश्रम की स्थापना की। आप बड़े सरल हृदय संन्यासी हैं।

वानप्रस्थी चेतनदेव

सेना से रिटायर्ड होने के बाद आपने वानप्रस्थ लेकर गुरकुल धीरणवास की स्थापना की। आप सच्चे चरित्र के आर्य वीर है। आपकी तपस्या से गुरुकुल निरन्तर उन्नति कर रहा है।

स्वामी गौरक्षानन्द

आप उचाना खुर्द गौशाला के प्रधान संचालक हैं। आपकी तपस्या से गौशाला दिन दूनी रात चौगुनी उन्नति कर रही है। नरवाना, हिसार व जीन्द क्षेत्र में आपका विशेष प्रभाव है। सन्तं समागम, गौ सेवा और यज्ञ अनुष्ठान में आपको विशेष रुचि है।

स्वामी सत्यवेश

आपका जन्म हिसार जिले के मिर्जापुर गांव में हुआ । युवावस्था में आप आर्ष ग्रन्थों के अध्ययन एवं ब्रह्मचर्य की साधना में रत रहे । आप गुरुकुल कालवा के संस्थापक ऋषि दयानन्द के अनन्य भक्त तथा हृदय से सरल हैं। आपका कार्यक्षत्र जींद जिला तथा हाँसी तहसील है। आप आर्यसमाज के जीवित शहीद है।

ब्र० बलदेव नैष्ठिक 

आपका जन्म सोनीपत जिले के सरगथल गांव में हुआ।। रोहतक से बी० ए० करने के बाद आप ब्रह्मचर्य की साधना तथा आर्ष ग्रन्थों के अध्ययन में जुट गये। आप व्याकरण महाभाष्य के प्रमाणिक विद्वान हैं। आजकल गुरुकुल कालवा के आचार्य है। आप घर से विरक्त युवा विद्यार्थियों को ही आर्ष ग्रन्थों का अध्ययन कराते हैं। आप व्यक्तिगत जीवन में महा त्यागी परम तपस्वी तथा हठव्रती हैं।

स्वामी यज्ञानन्द

धापका जन्म झज्जर तहसील के कोटगांव में हुआा। आपने वर्षों तक आर्ष ग्रन्थों का अध्ययन किया । व्याकरण महाभाष्य 
निरुक्त आदि आर्ष ग्रन्थों पर आपको पूर्ण अधिकार है। आजकल आप शिक्षण संस्थाओं से बाहर आकर यज्ञों द्वारा प्रचार कर रहे हैं।

स्वामी बीरभद्र

आपका जन्म बिहार प्रान्त में हुआ । पिछले बीस साल से आप आर्य समाज की सेवा में जुटे हुए है। आप स्वभाव से वास्तविक संत हैं। आप अम्बाला जिले के आर्यसमाज संगठक तथा उपदेशक विद्यालय यमुनानगर के अधिष्ठाता है।

स्वामी विज्ञानानन्द

आप भक्ति साधना आश्रम रोहतक के संचालक हैं। महात्मा प्रभुआश्रित जी महाराज के प्रमुख शिष्यों में से एक हैं। करतारपुर विरजानन्द संस्थान के भी आप मुख्याधिकारी है। साघनामय जीवन तथा वैदिक कर्मकाण्ड में विशेष रुचि है।

इसी प्रकार स्वामी रामेश्वरानन्द, वानप्रस्थी तुलाराम, स्वामी मुनीश्वरानन्द, स्वामी अभयानन्द, स्वामी अर्चिवेन, स्वामी सेवानन्द, वानप्रस्थी मातूराम, स्वामी ओमानन्द, स्वामी वेदानन्द, स्वामी जीवानन्द, स्वामी सत्यपति, वानप्रस्थी छोटूराम, स्वामी प्रेमानन्द, स्वामी भागवतानन्द, स्वामी योगानन्द, स्वामी धर्ममुनि, आत्म स्वामी, स्वामी ऋतुवेश, स्वामी सुखवेश, स्वामी सिंह मुनी, स्वामी संतोषानन्द, स्वामी सर्वानन्द, स्वामी भजनानन्द, ब० योगेन्द्र पुरुषार्थी, स्वामी चेतनानन्द, स्वामी धर्मवेश, स्वामी सर्वदानन्द,, अभयदेव आदि आर्य संन्यासी हरियाणा पर विशेष कृपा रखते हैं तथा अपना अमूल्य समय देकर सेवा कर रहे हैं।

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