Monday, September 4, 2017

ऐ खुदा तेरी रहमत तमाम दुनिया मे नज़र आती है



प्रथ्वीपाल सिंह पूर्व नाम मौ॰ कमाल
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ऐ खुदा तेरी रहमत............ तमाम दुनिया मे नज़र आती है ,
कहीं खून से सनी सड़के तो कहीं सर कटी लाश नज़र आती है ।
काश खुदा और उसके चाहने वालों के दिल मे ईश्वर का नूर होता ,
तो मासूम बच्चो पर................ खुदा के जुल्म न नाज़िर होता ॥
कहते है की जन्नत मे........... हर शैतान को 72 हुर्रे मिलेंगी ,
ओरतें कितनी भी नमाज़ी हो........... उन्हे दोज़ख ही मिलेगी ।
कैसा है यह खुदा जो ...........सबको एक निगाह से नहीं देखता ,
गर बनाया होता खुद जहा को तो इसमे कमियों को नहीं देखता ॥
ईश्वर करता है पैदा हिन्दू , खुदा उसे मुसलमान बना देता है ,
मासूम से बच्चो को........... बचपन मे ही हैवान बना देता है ।
होता गर खुदा ईश्वर................ तो खतने की जरूरत न होती ,
खुदा की खुदाई के नाम पर बच्चो की लाशे नहीं गिर रही होती ॥
वाह खुदा यह........................ तेरी कैसी खुदाई है ,
तेरी ही इबाददगाह ........तेरे चाहने वालों ने उड़ाई है ।
इस खून से सने चेहरे हो.............. क्यो खुदा तू छुपता है ,
इसी लिए तेरे बंदे कहते है ....की खुदा नज़र नहीं आता है ॥

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