Wednesday, June 22, 2016

वेद वाणी



*वेद वाणी*
*प्रातः जागने वाला प्रबुद्ध होता है ,उसे सब स्नेह करते है (ऋ० १/६५/५ )*
*हे सोम ! तेरा सखा कभी दुखी नहीं होता (ऋ० १/९१ /८ )*
*अपने ज्ञान के प्रकाश से हमारे अज्ञान को नष्ट करो ( ऋ० १/९१/२२)*
*प्रभु की संगति( उपासना ) से ह्मारी मति कल्याणी हो (ऋ० १/९४/१)*
*दूर होकर भी वह बिजली की तरह समीप ही चमकता है ( ऋ० १/९४/७)*
*सहनशील पुरुषार्थियो से द्वेषियो को प्रभु दूर कर देता है (ऋ० १/१००/३)*
*विश्वनियन्ता इंद्र सदा हमारा ज्ञानदाता-उपदेशक होवे (ऋ० १/१००/१९)*
*मन्त्र ही सर्वत्र गुरु है (वेद व् विवेक से सब निर्णय लें) (ऋ० १/१४७/४)*
*वह ईश्वर एक है ,सचमुच एक है (अथर्व० १३/४/२०)*
*हम सुने हुए वेदोपदेश के विरुद्ध आचरण न करे (अथर्व० १/१/४)*
*दक्षिणा देने वाले मोक्ष सुख पाते है (ऋ० १/१२५/६)*
*महान सौभाग्य के लिए पुरुषार्थ कर ( यजु० २७/२ )*
*वाणी,धन और शरीर से परोपकार करो (ऋ० २/२/१)*
*हम वैदिक मार्ग से पृथक न हो (ऋ० १०/५७/१)*
*मेरे घर में पवित्र कमाई हो (अथर्व० ७/११५/४)*
*दुष्कर्म करनेवाले सत्य के मार्ग को नहीं तर सकते ( ऋ० ९/७३/६)*
*कंजूस पीछे रह जाते है,दानी आगे बड़ जाता है (ऋ० १०/११७/७)*
*मित्र की सहायता न करने वाला मित्र नहीं होता (ऋ० १०/११७/४)*
*हम श्रेष्ठ सामर्थ्य प्राप्त करे (६/४७/१२)*
*सत्य का मार्ग बड़ा सुगम है ( ऋ० ८/३१/१३ )*
*निरपराध की हत्या बड़ी भयंकर है ( अथर्व० १०/१/२९ )*
*इस संसार में उदासीन मन से मत रहो ( अथर्व० ८/१/९)*
*पापी को दुःख ही मिलता है ( अथर्व० १०/१/५)*
*संतान को मर्यादा में रहना सिखाओ ( अथर्व० ६/८१/२ )*
*मै चोरी का माल ना खाऊ (अथर्व० १४/१/५७)*
*मेरा ह्रदय संताप से रहित हो ( अथर्व० १६/३/६)*
*मै इन्द्रियों का स्वामी बनूँ ( साम० १८३५ )*
*हम विद्वानों का संग करे ( ऋ० ५/५१/१५ )*
*मै जो कुछ बोलूँ मीठा बोलूँ ( अथर्व० १२/१/५८)*
*हे शक्तिपुंज प्रभो! हम निडर बने ( ऋ० १/११/२)*
*उस परमात्मा की मूर्ति नहीं है (यजु० ३२/३ )*
*हे कर्मशील जीव ! तू ओउम का स्मरण कर (यजु० ४०/१५ )*
*हे सर्वज्ञ प्रभो ! आप मेरे जीवन को पवित्र कीजिए ( यजु० १९/३९ )*
*जुआ मत खेलो ( ऋ० १०/३४/१३)*
*वेदी को सजाओ (ऋ० १/१७०/४)*
*कर्म न करने वाला दस्यु है ( ऋ० १०/२२/८)*
*मनुष्य बनो और दिव्य संतानों को जन्म दो (ऋ० १०/५३/६)*
*मनुष्य उस परमात्मा को जानकार ही मोक्ष प्राप्त कर सकता है ( यजु० ३१/१८)*
*अग्नि से अग्नि जलता है ( साम० ८४४ )*
*समय रूपी घोडा दौड़ रहा है ( अथर्व० १९/५३/१)*
*हे प्रभो ! मै तुझे कदापि न त्यागूँ ( अथर्व० १३/१/१२ )*
*क्रोध मत करो (अथर्व० ११/२/२०)*
*बुरा करने वाले का बुरा होता है ( अथर्व १०/१/५)*
*हजार हाथो से कमा और सैकड़ो हाथो से दान कर ( अथर्व० ३/२४/५)*
*पुत्र पिता का अनुवर्तन करने वाला हो (अथर्व ३/३०/२)*

No comments:

Post a Comment