स्वामी श्रद्धानन्द से संबंधित साहित्य और भविष्य की योजना
डाॅ0 विवेक आर्य
स्वामी श्रद्धानन्द का सामाजिक जीवन लगभग आधी शताब्दी का था। श्रीराम, श्रीकृष्ण और स्वामी दयानन्द जैसी महान आत्माओं का जीवन पूर्वजन्म के संस्कारों से जन्म काल से ही प्रकाशित होता है। जबकि स्वामी श्रद्धानन्द जी जैसा घोर अन्धकार से प्रकाश की ओर उन्मुख महान और प्रेरणादायक जीवन संसार में विरले पुरुष ही जी पाते हैं। स्वामी श्रद्धानन्द के विस्तृत जीवन से सम्बंधित साहित्य भी उतना ही विस्तृत है। उनके द्वारा बृहद् साहित्य स्वयं रचा गया। उनके शिष्यों ने रचा, उनके प्रेमियों ने रचा। उनके साहित्य का संक्षिप्त परिचय मैं इस लेख के माध्यम से देना चाहता हूँ। ऐसी अनेक पुस्तकें हो सकती हैं जो इस लेख में शामिल न हों। भविष्य में उनके विषय में जानकारी मिलने पर उन्हें भी इसमें शामिल किया जा सकता है।
स्वामी श्रद्धानन्द के जीवन-चरित्र= स्वामी जी का आत्मचरित्र ‘कल्याण मार्ग का पथिक’ प्रसिद्ध ही है। इससे पहले उन्होंने उर्दू में एक छोटी से जीवनी ‘मेरी जिंदगी के नशेबो-फराज’ के नाम से लिखी थी। उनके जीवन चरित्रों में उनके पुत्र इन्द्र विद्या वाचस्पति द्वारा लिखित ‘मेरे पिता’ भी प्रमुख स्थान रखती है। ‘मेरे पिता’ का अंग्रेजी अनुवाद तमिलनाडु के एम0 आर0 जम्बूनाथन ने किया था, जो पहले भारत विद्या भवन से ‘श्रद्धानन्द स्वामी’ नाम से प्रकाशित हुआ था। गुरुकुल कांगड़ी के स्नातक सत्यदेव विद्यालंकार द्वारा लिखित ‘स्वामी श्रद्धानन्द’ उनका रोचक जीवन चरित है। गुरुकुल कांगड़ी के स्नातकों द्वारा 1920 के दशक में प्रकाशित ‘अलंकार पत्रिका’ का दिसंबर 1928 में स्वामी श्रद्धानन्द बलिदान विशेषांक प्रकाशित हुआ था। उस अंक के प्रायः सभी लेखों और 1980 के दशक में जीवित स्नातकों के संस्मरणों के आधार पर डाॅ0 विनोद चंद्र विद्यालंकार ने ‘स्वामी श्रद्धानन्द: एक विलक्षण व्यक्तित्त्व’ के नाम से एक पुस्तक को प्रकाशित किया था। विदेशी लेखक जे टी ओफ जोर्डन्स ने ‘स्वामी श्रद्धानन्द हिज लाइफ एंड कासेस’ के नाम से सुन्दर अंग्रेजी जीवनी लिखी थी, जिसमें एक दो तथ्य विरुद्ध लेखन की आर्य लेखकों द्वारा समीक्षा भी की गई थी। वीर संन्यासी श्रद्धानन्द: लेखक रामगोपाल विद्यालंकार, अमर हुतात्मा स्वामी श्रद्धानन्द: लेखक सत्यकाम विद्यालंकार, अमर शहीद स्वामी श्रद्धानन्द: लेखक धर्मदेव विद्यामार्तण्ड, श्रद्धानन्द दर्शन: लेखक नारायणदत्त, स्वामी श्रद्धानन्द: लेखक त्रिलोक चंद्र विशारद, शहीद श्रद्धानन्द: लेखक द्वारकाप्रसाद गर्ग, स्वामी श्रद्धानन्द: लेखक विद्याभास्कर शुक्ल, स्वामी श्रद्धानन्द: लेखक रघुनाथप्रसाद पाठक, अमर शहीद स्वामी श्रद्धानन्द: लेखक स्वामी स्वतन्त्रानन्द, संघर्षमूर्ति स्वामी श्रद्धानन्द: लेखक शिवकुमार विद्यालंकार, अमर हुतात्मा स्वामी श्रद्धानन्द: लेखक देवीदास आर्य, स्वामी श्रद्धानन्द की कहानी: लेखक विश्वप्रकाश, स्वामी श्रद्धानन्द की जीवन झांकी: लेखक वेणीप्रसाद जिज्ञासु, स्वामी श्रद्धानन्द: लेखक रघुबीर शरण बंसल, धर्मवीर स्वामी श्रद्धानन्द: लेखक हरिश्चंद्र विद्यालंकार, स्वामी श्रद्धानन्द का धर्म बलिदान: लेखक गंगा प्रसाद उपाध्याय आदि।
इसके अतिरिक्त अनेक लेखकों ने स्वामी जी पर छोटी-बड़ी जीवनियां लिखीं। जैसे श्रद्धानन्द जीवन-कथा लेखक डाॅ0 भवानीलाल भारतीय, अमर सेनानी स्वामी श्रद्धानन्द: लेखक स्वामी जगदीश्वरानन्द, ‘लौहपुरुष स्वामी श्रद्धानन्द जी महाराज’ और ‘स्वामी श्रद्धानन्द की जीवन यात्रा’: लेखक राजेंद्र जिज्ञासु, राजकुमार अनिल रचित ‘महान देशभक्त स्वामी श्रद्धानन्द’, ‘असली महात्मा स्वामी श्रद्धानन्द का उज्ज्वल चरित: लेखक एम0 व् आर शास्त्री, महान देशभक्त श्रद्धानंद: लेखक जगत राम आर्य आदि। उर्दू में कुल्यात-ए-संन्यासी: लेखक स्वामी अनुभवानन्द, संन्यासी का खून: लेखक नानकचंद नाज आदि।
स्वामी जी के बलिदान के पश्चात् अनेक ग्रन्थ उनके बलिदान की गाथा को स्मृत करने के लिए प्रकाशित हुए, जैसे शहीद संन्यासी: लेखक किशनचन्द जेबा, स्वामी जी का बलिदान और हमारा कत्र्तव्य: लेखक हरिभाऊ उपाध्याय, स्वामी श्रद्धानन्द की हत्या और इस्लाम की शिक्षा: लेखक देवेश्वर सिद्धान्तालंकार आदि। स्वामी श्रद्धानन्द की डायरी से दो अलग कृतियां चतुरसेन गुप्त और सत्यदेव विद्यालंकार द्वारा प्रकाशित की गई थीं। कुछ अन्य ग्रन्थ स्वामी श्रद्धानन्द और उनका सन्देश: लेखक द्दर्मानन्द सरस्वती, श्रद्धापुरी व श्रद्धानन्द: लेखक मेद्दारथी स्वामी, उषा बेला के प्रतीक: लेखक ओमप्रकाश सपड़ा, श्रद्धानन्द दर्शन: लेखक धर्मवीर वेदालंकार, श्रद्धानन्द उवाच: लेखक हरिदेव आर्य आदि हैं।
स्वामी श्रद्धानन्द द्वारा रचित साहित्य को अनेक भागों में वर्गीकृत किया जा सकता है, जैसे-
1- स्वामी दयानन्द सम्बन्धित साहित्य- स्वामी जी ने पूना प्रवचन अर्थात् उपदेश मंजरी का मराठी से अनुवाद करवाकर उर्दू में प्रकाशित किया था। स्वामी दयानन्द के पत्र-व्यवहार को 1910 में सर्वप्रथम प्रकाशित किया था। ‘आदिम सत्यार्थ प्रकाश’ और ‘आर्यसमाज के सिद्धान्त’ को सत्यार्थ प्रकाश के प्रथम संस्करण की समीक्षा के अंतर्गत प्रकाशित किया था। इसके अलावा स्वामी दयानन्द की संक्षिप्त जीवनी ‘युग-विधाता तत्त्ववेता दयानन्द’, ‘शास्त्रार्थ बरेली’ के लेखन में सहयोग, उर्दू ‘ऋग्वेदादिभाष्य भूमिका’ की भूमिका, पं0 लेखराम लिखित एवं मास्टर आत्माराम अमृतसरी लिखित ‘महर्षि दयानन्द जीवन चरित’ की भूमिका का लेखन किया।
2- पंडित लेखराम सम्बंधित साहित्य- स्वामी जी ने पं0 लेखराम के बलिदान के पश्चात् उनका जीवन चरित ‘आर्य पथिक लेखराम का जीवन वृत्तांत’ के नाम से लिखा। उनके लेखों का संग्रह उर्दू में ‘कुल्यात आर्य मुसाफिर’ के नाम से प्रकाशित करवाया।
3-आर्यसिद्धांत सम्बंधी साहित्य- स्वामी श्रद्धानन्द द्वारा वैदिक सिद्धांतों से सम्बंधित अनेक छोटे-बड़े ट्रैक्ट्स और पुस्तकें लिखी गई थीं, जैसे आर्य संगीतमाला, वर्ण व्यवस्था, पुराणों की नापाक तालीम से बचो, क्षात्र धर्म पालन का गैर-मामूली मौका, वेदानुकूल संक्षिप्त मनुस्मृति, पारसी मत और वैदिक धर्म, वेद और आर्यसमाज, पंच महायज्ञों की विधि, विस्तारपूर्वक संध्या विधि, आर्यों की नित्यकर्म विधि, मानव धर्म शास्त्र तथा शासन पद्धति, यज्ञ का पहला अंग, मुक्ति-सोपान, ‘सुबहे उम्मीद’ उर्दू (इसका हिंदी अनुवाद ‘आशा की उषा’ के नाम से प्रा0 राजेंद्र जिज्ञासु जी द्वारा किया गया था।) इस पुस्तक में स्वामीजी ने मैक्समूलर के वेद मन्त्रों की व्याख्या की स्वामी दयानन्द के वेद भाष्य से तुलना कर महर्षि के भाष्य को श्रेष्ठ सिद्ध किया था। द फ्यूचर आॅफ आर्यसमाज-ए फोरकास्ट (अंग्रेजी) में आर्यसमाज के भविष्य की योजनाओं पर दिये गये विचार हैं।
4- पत्र-पत्रिकाओं का परिचय= स्वामी जी द्वारा उर्दू, हिंदी और अंग्रेजी में पत्र-पत्रिकाएं निकाली गईं, जिनके नाम हैं- सद्धर्म प्रचारक, श्रद्धा, तेज (उर्दू), लिबरेटर (अंग्रेजी) बहुत लोकप्रिय हुए।
5- ईसाई-इस्लाम मत सम्बंधित= ईसाई पक्षपात और आर्यसमाज, खतरे का घंटा अर्थात मुहम्मदी षड़यंत्र का रहस्यभेद, हिन्दू संगठन, हिन्दू मुस्लिम इत्तहाद की कहानी, मेरा आखिरी मश्वरा, हिन्दुओं सावधान, तुम्हारे धर्म-दुर्ग पर रात्रि में छिपकर धावा बोला गया, अंधा इतिकाद और खुफिया जिहाद, ‘थे हिस्ट्री आॅफ असैसिन्स’ (अंग्रेजी में इस्लाम के इतिहास से सम्बंधित पुस्तक) का अनुवाद स्वामी जी द्वारा प्रकाशित किया गया था।
6-समाज सुधार सम्बन्धी साहित्य- ‘आचार, अनाचार और छूतछात’, उत्तराखण्ड की महिमा, जाति के दीनों को मत त्यागो, वर्तमान मुख्य समस्या-अछूतपन के कलंक को दूर करो, गढ़वाल में 1975 (सं0) का दुर्भिक्ष और उसके निवारणार्थ गुरुकुल-दल का कार्य। वर्तमान मुख्य समस्या अछूतपन के कलंक को दूर करो।
7- आंदोलन सम्बंधी साहित्य= बन्दीघर के विचित्र अनुभव (गुरु का बाग मोर्चे में जेल के अनुभव), आर्यसमाज एंड इट्स डेट्रक्टर्स: अ विंडीकेशन ( पटियाला अभियोग सम्बंद्दी) एक मांस प्रचारक महापुरुष की गुप्त लीला का प्रकाश, आर्यसमाज के खानाजाद दुश्मन, सद्धर्म प्रचारक का पहला लायबल केस।
8-आपबीती= दुःखी दिल की पुरदर्द दास्ताँ।
9-स्वामी जी द्वारा सद्धर्म प्रचारक में प्रकाशित वेद मन्त्रों की व्याख्या को लब्भु राम नैय्यड़ ने संकलित कर ‘धर्मोपदेश’ के नाम से प्रकाशित किया था।
10- ‘इनसाइड द कांग्रेस’ उनके राजनीतिक जीवन से सम्बंधित महत्त्वपूर्ण लेखों का संग्रह है, जो लिबरेटर अंग्रेजी अखबार में प्रकाशित हुए थे, जिन्हें देशबंधु गुप्ता ने संकलित कर प्रकाशित किया था।
11- गुरुकुल कांगड़ी से स्वामी श्रद्धानन्द सम्बंधित साहित्य को डाॅ0 विष्णुदत्त राकेश एवं डाॅ0 जगदीश विद्यालंकार द्वारा संकलित कर प्रकाशित किया गया है। जैसे ‘श्रुति विचार सप्तक’ (वैदिक चिंतन तथा भारतीय साहित्य से सम्बंधित सात विनिबंध हैं।) महात्मा गाँधी और गुरुकुल (स्वामी श्रद्धानन्द, गुरुकुल कांगड़ी और महात्मा गाँधी के संबंधों का वर्णन है। स्वामी श्रद्धानन्द की सम्पादकीय टिप्पणियां (स्वामी जी द्वारा सद्धर्म प्रचारक और श्रद्धा में लिखे गए सम्पादकीयों का संग्रह है।) दीक्षालोक (गुरुकुल कांगड़ी में प्रदत्त दीक्षांत भाषणों एवं सारस्वत व्याख्यानों का संग्रह है।) कुलपुत्र सुनें (समय समय पर गुरुकुल कांगड़ी में दिए गए भाषण और प्रकाशित लेखों का संग्रह है।) स्वामी श्रद्धानन्द और उनका पत्रकार कुल (डाॅ0 विष्णुदत्त राकेश द्वारा प्रभात प्रकाशन से प्रकाशित स्वामी श्रद्धानन्द और गुरुकुल कांगड़ी के पत्रकार स्नातकों के पत्रकार रूप में कार्यों का वर्णन है।)
12- इसके अतिरिक्त स्वामी श्रद्धानन्द पर आर्यसमाज की हर पत्रिका में पिछली एक शताब्दी से दिसंबर में अनेक विशेषांक, श्रद्धांजलि अंक, लेख, जीवन चरित, कविता, प्रेरणादायक वाक्य, कृतित्त्व, योगदान आदि प्रकाशित हुए हैं। जो विभिन्न पुस्तकालयों में प्राप्य हैं।
इसके अतिरिक्त अन्य सामग्री स्वामी श्रद्धानन्द से सम्बंद्दित उपलब्ध हो सकती हैं, जो मेरे देखने में नहीं आयी हैं। मेरे द्वारा स्वामीजी के जीवन सम्बंधित कुछ कार्य गत वर्षों में हुए हैं। सर्वप्रथम मैंने स्वामीजी की कृति ‘इनसाइड द कांग्रेस’ के आधार पर लेख कुछ वर्ष पहले शांतिधर्मी पत्रिका में प्रकाशित किया था। उस समय दिवंगत डाॅ0 भवानीलाल भारतीय जी का मुझे उस लेख के लिए आशीर्वाद मिला था, क्योंकि मैंने उनके द्वारा किये गए संक्षिप्त अनुवाद के स्थान पर मूल पुस्तक का प्रयोग किया था।
उसके पश्चात् मैंने अंग्रेजी में स्वामी श्रद्धानन्द पर एक लेखमाला लिखी जिसमें उनके जीवन कार्यों पर प्रकाश डाला था। इसका आधर जोर्डन लिखित जीवनी था। यह इंटरनेट पर उपलब्ध है। उसके पश्चात् मैंने स्वामीजी द्वारा लिखित ‘हिन्दू संगठन’ का हिंदी अनुवाद पुनः 2016 में आर्ष साहित्य प्रचार ट्रस्ट, दिल्ली से प्रकाशित कराया। यह संस्करण बहुत प्रचारित हुआ। इसकी पन्द्रह हजार प्रतियाँ अभी तक बिक चुकी हैं। 2018 में हिन्दू संगठन का अंग्रेजी अनुवाद और श्री जम्बूनाथन लिखित स्वामीजी की अंग्रेजी जीवनी का भी संपादन कर मैंने ट्रस्ट से प्रकाशित कराया। वर्ष 2019 में दिसंबर में स्वामी श्रद्धानन्द के अमृतसर कांग्रेस अधिवेशन में दिए गए भाषण के 100 वर्ष पूर्ण होने पर उस भाषण को पुनः प्रकाशित कर उसका वितरण रामलीला मैदान, दिल्ली में स्वामी श्रद्धानन्द बलिदान दिवस के अवसर पर किया।
राष्ट्रीय अभिलेखागार म्यूजियम, दिल्ली से मुझे स्वामी श्रद्धानन्द से सम्बंद्दित कुछ अलभ्य सामग्री प्राप्त हुई है, जिसका वर्णन उनके किसी भी जीवन चरित में नहीं मिलता। मैंने ऐसे दो लेख शांतिद्दर्मी मासिक पत्रिका में पूर्व में लिखे थे। पहला लेख 1919 में स्वामी श्रद्धानन्द द्वारा चांदनी चैक के घंटाघर में हुई घटना की CID रिपोर्ट पर आधारित था। दूसरा लेख गुरुकुल कांगड़ी से प्रकाशित वैदिक मैगजीन के अंक में पटियाला अभियोग के पश्चात् स्वामीजी के ऊपर सरकारी गुप्तचरों का पहरा, उनकी डाक में छेड़छाड़ के सम्बन्ध में था। इसके अतिरिक्त बहुत महत्त्वपूर्ण जानकारी 1916 के तत खालसा और आर्यसमाज के संघर्ष के रूप में मिली। स्वामी श्रद्धानन्द आर्यसमाज के विशिष्ट नेताओं जैसे- महात्मा हंसराज, लाला दिवान बद्रीदास आदि के साथ भारत के वाइसराय से मिले थे और सिखों द्वारा आर्यसमाज के विरुद्ध प्रकाशित 48 पुस्तकों की सूची सरकार को दी और सामाजिक सौहार्द बनाने के लिए ऐसी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए सरकार से आग्रह किया था। यह सूची और डेलीगेशन के सभी सदस्यों से सम्बंधित CID रिपोर्ट मुझे मिली है।
इसके अलावा स्वामी जी द्वारा दलितों को पानी पीने के अधिकार के लिए दिल्ली में निकाली गई पदयात्रा, उसका मुसलमानों द्वारा विरोध और स्वामीजी द्वारा कुंओं पर दलितों को चढ़ाने सम्बंधी CID रिपोर्ट भी प्राप्त हुई है। इसके अलावा हिन्दू संगठन और शुद्धि के लिए स्वामीजी द्वारा कोलकाता आर्यसमाज में दिया गया भाषण जो अमृत-बाजार पत्रिका में प्रकाशित हुआ था, मिला है।
इसके अलावा स्वामीजी के हत्यारे अब्दुल रशीद की फांसी पर दिल्ली में हुए दंगों पर भी CID रिपोर्ट मिली है। समय समय पर CID द्वारा भेजी गई रिपोर्ट में देशभर में हुई शुद्धि की रिपोर्ट के साथ साथ अनेक नेताओं के विरोधी भाषण का भी वर्णन मिला है। ऐसा ही एक भाषण अजमेर में श्री मोतीलाल नेहरू और श्री राजेंद्र प्रसाद (बाद में प्रथम राष्ट्रपति) द्वारा (शुद्धि के विरोध में दिया गया) मिला है। गुरुकुल कांगड़ी के अधिवेशन में आई भीड़ में सरकारी गुप्तचर ने स्वामी श्रद्धानन्द के गुरुकुल में दिए गए भाषण की रिपोर्ट दी, जिसमें स्वामीजी की साहसिक घोषणा है कि गुरुकुल स्वामी दयानन्द के आदर्शों का जमीनी प्रयोग है जहाँ धनवान-निद्र्दन, सवर्ण- अंत्यज, देशी-विदेशी छात्रों को बिना किसी भेदभाव के एक जैसी सुविधा देकर शिक्षित किया जाता है।
27 मार्च 2022 में पण्डित लेखराम जी के बलिदान के 125 वर्ष पूर्ण हो जायेंगे। पण्डितजी की स्मृति में स्वामीजी द्वारा लिखे गये जीवन चरित्र का अंग्रेजी अनुवाद प्रकाशित करने की मेरी योजना है। अनुवाद कार्य प्रारम्भ हो गया है।
2026 में स्वामी श्रद्धानन्द के बलिदान की शताब्दी मनाई जाएगी। इस अवसर पर स्वामी श्रद्धानन्द ग्रंथावली को पुनः प्रकाशित करने की मेरी योजना है। इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय अभिलेखागार में अन्वेषण किया जाये तो स्वामी श्रद्धानन्द और आर्यसमाज के इतिहास से सम्बन्धित लुप्त और अप्राप्य सामग्री की प्राप्ति हो सकती है। जैसे अमर बलिदानी महाशय राजपाल जी के सुपुत्र श्री विश्वनाथ जी ने मुझे कभी बताया था कि पण्डित इन्द्र विद्यावाचस्पति जी की निजी डायरी उन्होंने कभी राष्ट्रीय अभिलेखागार को भेंट कर दी थी। उसमें भी स्वामी जी से संबंधित संस्मरण मिल सकते हैं। 2026 में ऐसी अज्ञात सामग्री का संकलन कर प्रकाशित किया जाना चाहिए। यह कार्य एकल नहीं, संगठन और सहयोग से ही सम्भव है।
(शांतिधर्मी हिन्दी मासिक दिसम्बर 2020 में प्रकाशित)
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