भारत के महान् क्रान्तिकारी डॉ० गया प्रसाद कटियार
(आज २० जून, क्रान्तिकारी डॉ० गया प्रसाद कटियार के जन्मदिवस पर प्रचारित)
डॉ० गया प्रसाद कटियार भारत के स्वतन्त्रता सेनानियों और क्रान्तिकारियों में एक विशेष भूमिका रखते हैं। आपका जन्म २० जून, सन् १९०० को उत्तरप्रदेश के कानपुर शहर में हुआ था। आप बचपन से ही कानपुर स्थित आर्यसमाज से जुड़े थे। सन् १९२१ के अहयोग आन्दोलन में भाग लेने के बाद आप हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (H.S.R.A) में सम्मिलित हुए। इस प्रकार आप भारत के महान् क्रान्तिकारी चन्द्रशेखर आजाद और सरदार भगतसिंह आदि के सम्पर्क में आ गए।
साण्डर्ष वध की योजना, सिक्ख भगतसिंह के केश व दाढ़ी काटने, H.S.R.A. के गुप्त केन्द्रीय कार्यालयों का संचालन करने सहित दिल्ली की पार्लियामेंट में फेंके गए बम निर्माण आदि क्रांतिकारी गतिविधियों में अपना सक्रिय रुप से योगदान देते हुए अन्ततः १५ मई १९२९ को सहारनपुर बम फैक्ट्री का संचालन करते हुए आपको गिरफ्तार कर लिया गया। और आपको देश के सुप्रसिद्ध लाहौर षड्यन्त्र केस में दिनांक ७ अकटूबर सन् १९३० को आजीवन कारावास की सजा हुई। लाहौर की जेल में आपने अन्य बन्दियों के साथ ६३ दिन की भूख हड़ताल की। बाद में आपको अण्डमान द्वीप की सेल्यूलर जेल [काला पानी] ले जाया गया। वहां भी आपने ४६ दिन भूख हड़ताल की। अन्तत: लगातार १७ वर्षों के लंबे जेल जीवन में कई अमानवीय यातनाओं को सहने के बाद वे २१ फरवरी १९४६ को आप बिना शर्त जेल से मुक्त किये गये। इसके अलावा आप शादीशुदा थे, घर पर पत्नी और बेटी भी थी, लेकिन ना तो आप झुके और ना ही मांफी मांगी। गुलाम भारत में आपकी जेल-यात्राओं १९२९-१९४६ अर्थात् १७ वर्ष तक का वर्णन इस प्रकार है-
• १५ मई १९२९ को सहारनपुर दवाखाना एवं पार्टी कार्यालय एवं बम फैक्ट्री से गिरफ्तार हुये थे।
• १५ मई से ३१ मई १९२९ ई० तक सहारनपुर कोतवाली (पुलिस रिमांड)।
• १ जून से १० जुलाई १९२९ तक लाहौर फोर्ट हवालात।
• १० जुलाई १९२९ से ७ अक्टूबर १९३० तक लाहौर बोर्सटल जेल में रहे। (यहीं पर लाहौर षडयन्त्र केस चला और आजीवन कालापानी की सजा मिली थी।)
• ७-१०-१९३० से नवम्बर १९३० तक लाहौर सेन्ट्रल जेल में रहे।
• १ दिसम्बर १९३० से ३१-१२-१९३० न्यू सेन्ट्रल जेल मुल्तान (अब पकिस्तान) में रहे।
• जनवरी १९३१ से अक्टूबर १९३२ तक बेलारी सेन्ट्रल जेल (कर्नाटक) में रहे।
• नवम्बर १९३२ से सितम्बर १९३७ तक सेल्यूलर जेल, अण्डमान निकोबार (काला पानी ) में रहे।
• सितम्बर १९३७ से नवम्बर १९३७ तक दमदम सेन्ट्रल जेल, कलकत्ता में रहे।
• दिसम्बर १९३७ लाहौर सेन्ट्रल जेल, में रहे।
• जनवरी १९३८, नैनी सेंट्रल जेल (इलाहबाद) में रहे।
• फरवरी १९३८ से जून १९४२ लखनऊ सेन्ट्रल जेल में रहे।
• जुलाई १९४२ से जनवरी १९४५ तक सुल्तानपुर जेल में रहे।
• जनवरी १९४५ से फरवरी १९४६ तक कानपुर सेन्ट्रल जेल में रहे।
• २१ फरवरी १९४६ को जेल से रिहा किये गये थे।
स्वतन्त्र भारत में जेल-यात्राओं का दौर-
१. सन् १९५८ में छह माह का जेल जीवन।
२. सन् १९६४ से १९६६ तक डेढ़ वर्ष का जेल जीवन।
यह आंकड़े डॉ० गया प्रसाद कटियार जी के सुपुत्र क्रान्ति कुमार कटियार ने एकत्र किए हैं। स्वतन्त्र भारत में भी डॉ० गया प्रसाद जी को शोषित-पीड़ित जनता के लिए संघर्षरत होने के कारण २ वर्षों तक जेल में रहना पड़ा था; अन्ततः १० फरवरी १९९३ को आपकी मृत्यु हो गई। स्वतन्त्र भारत में आपका योगदान सदा अविस्मरणीय रहेगा।
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