Thursday, June 23, 2022

प्रजापति महायज्ञ सीकर में भजनोपदेशकों की भूमिका




 प्रजापति महायज्ञ सीकर में भजनोपदेशकों की भूमिका

बसंत पंचमी गुरुवार 11 फरवरी 1932 ई . ( विक्रम संवत् 1989 ) को झुंझुनू में जाट महासभा का विशाल प्रथम महा अधिवेशन हुआ । जलसे की स्वागत् समिति का स्वागताध्यक्ष पन्ने सिंह देवरोड़ को बनाया गया । जलसे का सभापति रिसालदार रिछपाल सिंह दिल्ली को बनाया । हाथी पर जुलूस निकाला गया । जलसे में जाने वालों के हाथों में ज्यादातर लाठियां थी । कुछ के पास बरछी , तलवारें थी । कुछ अन्य व फौजी सरदारों के पास बन्दूख व पिस्टल थी । इस जलसे की हाजरी करीब एक लाख थी । ' उस वक्त तक इतना बड़ा नर - नारियों का जुलूस न कभी इलाके में निकला था , न देखा था और न सुना था । इस सभा को संबोधित करते हुए आई.जी. पुलिस एफ . एस . यंग ने कहा था " जाट एक बहुत बहादुर कौम है । " इस अधिवेशन के बाद नई प्रेरणा से नई शक्ति का उदय हुआ और प्रत्येक स्त्री पुरुष में समाज के उत्थान के लिए कुछ कर गुजरने की प्रबल इच्छा का प्रादुर्भाव हुआ । इस जलसे से इलाके में बहुत जागृति हुई । जाट जाति की प्रतिष्ठा , मान और उच्चता का भान जातीय बन्धुओं व अन्य लोगों को हुआ । झुंझुनू जाट महासभा के अधिवेशन से प्रभावित होकर 1933 ई . में खण्डेलावाटी जाट सभा की स्थापना हुई और अधिवेशन बुलाया गया । चौधरी लादूराम रानीगंज वाले ने अपने खर्चे से पांच पाठशालाएं शुरू करवाई जागीरदारों और किसानों में लगान को लेकर वर्षों तक संघर्ष चला । प्रजापति महायज्ञ की सफलता के लिए अक्टूबर 1933 ई . में पलथाना में एक सभा बुलाई गई । इस सभा में यज्ञ समिति और उप समितियों का गठन करना था ।
सीकर ठिकाने ने मिटिंग को असफल बनाने के लिए ऊंट सवार सिपाहियों को सैंकड़ों हथकड़ियों समेत पलथाना भेजा परंतु वे कुछ भी नहीं कर सके और वापस लौट गए । यज्ञ के लिए घी और धन इकटठा करना बहुत बड़ा कार्य था । यह कार्य भजनोंपदेशकों को सौंपा गया । प्रसिद्ध भजनोपदेशक ठा . हुकमसिंह , ठा . भोलाराम और साथी सूरजमल गोठड़ा को इस दल के मुखिया नियुक्त किये गये । जो अपनी टोलियों के साथ गांव - गांव और घर - घर से घी और धन इकट्ठा कर यज्ञ स्थल सीकर पहुंचाते थे ।
गांव- गांव में टोलियां बनाकर प्रचार :
भजनोपदेशकों ने गांवों में खूब प्रचार किया । ठाकुर भोला सिंह , हुकमसिंह , घासीराम , पं . दत्तूराम , पं . सांवलप्रसाद , सूरजमल साथी गोठड़ा , हनुमानदास स्वामी आदि ने मिलकर जागृति पैदा की । वे गांव - गांव घूमते थे । भजनों का मुख्य विषय समाज में व्याप्त बुराईयों को समाप्त करना एवं जाटवीरों में जागृति पैदा करना था । भजनोदेशकों ने जाट जाति को वीर कौम के रूप में प्रतिस्थापित करने के लिए अनेक भजन गाये । ' गांवों में जो भजन गाये जाते थे और उनका जो गहरा प्रभाव पड़ा उनका उल्लेख यहां करना अत्यंत उपयोगी है । सीकर प्रजापति महायज्ञ के लिए गांव - गांव , ढाणी - ढाणी में दत्तूराम का यह भजन गाया जाने लगा - -
माघ मास की बसंत पंचमी , जाट महायज्ञ तैयार चालो देखण ने । टेक ।।
जाटों ने तजी फूट पापणी,कर आपस में प्यार चालो देखण ने ।।1।।
पलथाने में सभा हुई,आये थे जाट सरदार चालो देखण ने ||2||
सेर घृत घर पती लगायो , ऊपर आना चार चालो देखण नै।।3 ।।
दस नग रसीद बुक छपवाया,नोटिस पांच हजार चालो देखण ने ॥4 ॥
मास्टर चन्द्रभान सिंह वर्मा,पाया मंत्री का अधिकार चालो देखण ने॥5 ॥
मैं चालू यज्ञ देखबा,बनो पति जनेऊधार चालो देखण ने।।6।।
वहां पंडित डारे आहूति , पति आ रही अजब बहार चालो देखण ने ॥7॥
वहां कर ऊंचासा चौंतरा ,बड़ा सजवाया पंडार चालो देखण ने॥8 ॥
ऊपर ताण चांदनी ,बंधवाये बन्दनवार चालो देखण ने॥9॥
चलो हवन सुगंधी तो प्रीतम बड़ी आवेगी महकार चालो देखण ने ॥10॥
आयु बढ़े सब रोग कटे ,वहां पुष्ट होता बीमार चालो देखण ने॥11॥
जो कोई देखण ना जायेगा ,तो लेगा जन्म बिगार चालो देखण ने।।12
जो कोई इस यज्ञ को देखे ,मिले आनन्द अगम अपार चालो देखण ने।।13।
वेद बचें और हवन बने ,अब चलो संग परवार चालो देखण ने।।14 ।।
" दत्तूराम " पारास्वर , वहां गावेगा राग मल्हार चालो देखण ने ' ॥15 ॥
लेखक - डॉ पितराम सिंह गोदारा
पुस्तक - शेखावाटी में स्वाधीनता आंदोलन व जन आंदोलन में भजनोपदेशकों की भूमिका
प्रस्तुति - अमित सिवाहा

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