🌸🌸जीवन का एक रहस्य .....🌸🌸
एक औरत बहुत महँगे कपड़ो में अपने मनोचिकित्सक के पास जाती है और उसे कहती है कि उसे लगता है कि उसका पूरा जीवन बेकार है, उसका कोई अर्थ नहीं है। वे उसकी खुशियाँ ढूँढने में मदद करें।
मनोचिकित्सक ने एक बूढ़ी औरत को बुलाया जो वहाँ साफ़-सफाई का काम करती थी और उस अमीर औरत से बोला - "मैं मैरी से तुम्हें यह बताने के लिए कहूँगा कि कैसे उसने अपने जीवन में खुशियाँ ढूँढी। मैं चाहता हूँ कि आप उसे ध्यान से सुनें।"
तब उस बूढ़ी औरत ने अपना झाड़ू नीचे रखा, कुर्सी पर बैठ गई और बताने लगी - "मेरे पति की मलेरिया से मृत्यु हो गई और उसके 3 महीने बाद ही मेरे बेटे की भी सड़क हादसेमें मौत हो गई। मेरे पास कोई नहीं था। मेरे जीवन में कुछ नहीं बचा था। मैं सो नहीं पाती थी, खा नहीं पाती थी, मैंने मुस्कुराना बंद कर दिया था।
मैं खुद का जीवन लेने की तरकीबें सोचने लगी थी। तब एक दिन, एक छोटा बिल्ली का बच्चा मेरे पीछे लग गया जब मैं काम से घर आ रही थी। बाहर बहुत ठंड थी इसलिए मैंने उस बच्चे को अंदर आने दिया। उस बिल्ली के बच्चे के लिए थोड़े से दूध का इंतजाम किया और वह सारी प्लेट सफाचट कर गया। फिर वह मेरे पैरों से लिपट गया और चाटने लगा।
उस दिन बहुत महीनों बाद मैं मुस्कुराई । तब मैंने सोचा अगर इस बिल्ली के बच्चे की सहायता करना मुझे ख़ुशी दे सकता है, तो हो सकता है दूसरों के लिए कुछ करके मुझे और भी ख़ुशी मिले। इसलिए अगले दिन मैं अपने पड़ोसी, जो कि बीमार था, उसके लिए कुछ बिस्किट्स बना कर ले गई।
हर दिन मैं कुछ नया और कुछ ऐसा करती थी जिससे दूसरों को ख़ुशी मिले और उन्हें खुश देख कर मुझे ख़ुशी मिलती थी। आज, मैं किसी को नहीं जानती जो मुझसे बेहतर खाता-पीता हो और चैन से सोता हो। मैंने खुशियाँ ढूँढी हैं, दूसरों को ख़ुशी देकर।
यह सब सुन कर वह अमीर औरत रोने लगी। उसके पास वह सब था जो वह पैसे से खरीद सकती थी पर उसने वह चीज खो दी थी जो पैसे से नहीं खरीदी जा सकती।
हमारा जीवन इस बात पर निर्भर नहीं करता कि हम कितने खुश हैं अपितु इस बात पर निर्भर करता है कि हमारी वजह से कितने लोग खुश हैं।
ख़ुशी मंजिल नहीं, यात्रा है..,वह कल नहीं, आज है..
निर्भरता नहीं, निर्णय है..,यह नहीं कि हम कौन है,
अपितु हमारे पास क्या है।🌸🌸🌸🌸
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