Thursday, November 20, 2014

मेरे जीवन का एक अनुभव



मेरे जीवन का एक अनुभव


अपने जीवन में छात्रावस्था में मुझे तमिलनाडु एवं मध्य प्रदेश दोनों प्रदेशों में पढ़ने का अवसर मिला। चिकित्सा क्षेत्र से जुड़े होने के कारण आपको एक अनुभव बताना चाहता हूँ। तमिलनाडु में लोग बीमार मरीज को हस्पताल से जबरन छुट्टी करवा कर चर्च ले जाकर प्रार्थना करवाते हैं जबकि मध्यप्रदेश में लोग बीमार मरीज को हस्पताल से जबरन छुट्टी करवा कर तांत्रिक के यहां पर झाड़ा लगवाने
जाते हैं। आम लोगों की भाषा में दोनों अन्धविश्वास हैं मगर दोनों में भारी अंतर हैं। मध्यप्रदेश के लोग अनपढ़ता एवं अज्ञानता के कारण अन्धविश्वास के फलस्वरूप तांत्रिक के पास जाते हैं जबकि तमिलनाडु में लोग पढ़े लिखे होने के बाद भी चर्च जाकर प्रार्थना से चंगाई रूपी अन्धविश्वास को मानते हैं। अनपढ़ता के वश अंधविश्वास का सहारा लेना अज्ञानता का प्रतीक हैं जबकि शिक्षित होने के
बाद भी अन्धविश्वास का सहारा लेना मूर्खता का प्रतीक हैं। अज्ञानी व्यक्ति में सुधार की निश्चित सम्भावना हैं जबकि मुर्ख व्यक्ति में चाहे जितना जोर लगा लो वह कभी बदलना नहीं चाहता हैं। खेद हैं की अपने आपको ज्ञानी, विज्ञानी, तर्कशील, नास्तिक, साम्यवादी वगैरह वगैरह कहने वाले केवल अज्ञानी लोगों के अन्धविश्वास को उजागर कर चर्चित होने में प्रयासरत रहते हैं जबकि शिक्षित लोगों
के विषय में रहस्यमय मौन धारण कर लेते हैं।

डॉ विवेक आर्य

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