Tuesday, January 24, 2017

भारतीय इतिहास के साथ बलात्कार



भारतीय इतिहास के साथ बलात्कार
डॉ विवेक आर्य
हमारी आज की हिन्दू युवा पीढ़ी को पढ़ाया जाता है कि महान गोरी और महान गजनी ने हमारे देश पर हमला किया था। अकबर और टीपू सुल्तान सेक्युलर शासक थे। औरंगज़ेब जिन्दा पीर था। ख्वाजा या गरीब नवाज़ हिंदुओं के लिए पूज्य है। जबकि सत्य विपरीत है।
1- मैं क्यों भूला उस काम पिपासु अलाउद्दिन को, जिससे अपने सतित्तव को बचाने के लिये रानी पद्ममिनी ने 14000 स्त्रियो के साथ जलते हुए अग्निकुंड में कूद गयी थीं।
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2- मैं क्यों भूला उस जालिम औरंगजेब को, जिसने संभाजी महाराज को इस्लाम स्वीकारने से मना करने पर तडपा तडपा कर मारा था।
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3- मैं क्यों भूला उस जिहादी टीपु सुल्तान को, जिसने मालाबार में एक एक दिन में लाखो हिंदुओ का नरसंहार किया था।
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4- मैं क्यों भूला उस जल्लाद शाहजहाँ को, जिसने 14 वर्ष की एक ब्राह्मण बालिका के साथ अपने महल में जबरन बलात्कार किया था।
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5- मैं क्यों भूला उस बर्बर बाबर को, जिसने मेरे श्री राम प्रभु का मंदिर तोडा और लाखों निर्दोष हिंदुओ का कत्ल किया था।
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6- मैं क्यों भूला उस शैतान सिकन्दर लोदी को, जिसने नगरकोट के ज्वालामुखि मंदिर की माँ दुर्गा की मूर्ति के टुकडे कर उन्हे कसाइयो को मांस तोलने के लिये दे दिया था।
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7- मैं क्यों भूला उस धूर्त ख्वाजा मोइन्निद्दिन चिस्ती को, जिसने पृथ्वीराज को हराने के लिए मुहम्मदी गोरी का साथ दिया था।
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8- मैं क्यों भूला उस निर्दयी बजीर खान को, जिसने गुरू गोविंद सिंह के दोनो मासूम फतेह सिंग और जोरावार को मात्र 7 साल और 5 बर्ष की उम्र में इस्लाम ना मानने पर दीवार में जिन्दा चुनवा दिया था।
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9- मैं क्यों भूला उस जिहादी बजीर खान को, जिसने बन्दा बैरागी की चमडी को गर्म लोहे की सलाखो से तब तक जलाया जब तक उसकी हड्डियां ना दिखने लगी मगर उस बन्दा वैरागी ने इस्लाम स्वीकार नही किया
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10- मैं क्यों भूला उस कसाई औरंगजेब को, जिसने पहले संभाजी महाराज की आँखों मे गरम लोहे के सलिए घुसाए, बाद मे उन्हीं गरम सलियों से पुरे शरीर की चमडी उधेडी, फिर भी संभाजी ने हिंदू धर्म नही छोड़ा था।
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11- मैं क्यों भूला उस नापाक अकबर को, जिसने पहले हेमू और फिर उनके 72 वर्षीय स्वाभिमानी बुजुर्ग पिता के इस्लाम कबूल ना करने पर उसके सिर को धड़ से अलग करवा दिया था।
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12- मैं क्यों भूला उस वहशी दरिंदे औरंगजेब को, जिसने धर्मवीर भाई मतिदास के इस्लाम कबूल न करने पर बीच चौराहे पर आरे से चिरवा दिया था।
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भारतीय इतिहास के साथ बलात्कार करने वाले और सत्य को छुपाने वाले साम्यवादी, कम्युनिस्ट, सेक्युलर एवं मुस्लिम इतिहासकारों के सुनियोजित षड़यंत्र ने हिंदुओं को सेक्युलरता का अलाप करने वाली हिजड़ी कौम बना दिया। आईये सत्य इतिहास से परिचित कर युवाओं को हिन्दू संगठन के लिए प्रेरित करे।

Thursday, January 12, 2017

हिंदुओं की 6 जमात



हिंदुओं की 6 जमात

डॉ विवेक आर्य

पहले पौराणिक हिन्दू। जो अन्धविश्वास, मूर्तिपूजा, तीर्थों, गुरुओं, मठों आदि के चक्कर में पड़े हुए हैं। उनका धन, सामर्थ्य, शक्ति हिन्दू समाज के कल्याण देने के स्थान पर व्यर्थ नष्ट हो रही हैं।

दूसरा भोगवादी हिन्दू। जो शराब, धूम्रपान और व्यभिचार में इतना अंदर तक डूब चूका है कि उसके समस्त जीवन में अब केवल अन्धकार ही अंधकार हैं।

तीसरा नास्तिक/कम्युनिस्ट हिन्दू। जो कुतर्कवादी है। अपनी प्राचीन मान्यताओं और परम्पराओं को बिना समझे आंख बंदकर उनका बहिष्कार करता हैं। और यह समझना ही नहीं चाहता कि इस्लाम और ईसाइयत कैसे उसके शत्रु हैं।

चौथा अम्बेडकवादी हिन्दू। यह केवल आक्रोश प्रकट करता जानता है। कभी ब्राह्मणवाद के नाम पर, कभी मनुवाद के नाम पर और कभी जातिवाद के नाम पर। यह परोक्ष रूप से मुसलमान और ईसाईयों की सहायता करता दिख रहा हैं। यह महात्मा बुद्ध और डॉ अम्बेडकर की मान्यताओं के बिलकुल विपरीत चलता हैं।

पांचवा जैन/सिख मत आदि हिन्दू हैं। जो हिंदुओं की पारंपरिक रीती से अलग होकर अपने मत विशेष को अधिक महत्व देते हैं। ये हिन्दू संगठन की आवश्यकता एवं एकजुटता के दूरगामी महत्व से अनभिज्ञ हैं।

छठा आर्यसमाजी हिन्दू। इसे यह तो मालूम है कि समाज का हित कैसे होगा। मगर यह अपनी सारी ऊर्जा, सारी शक्ति आपस में लड़ने में नष्ट कर रहा हैं। इस जमात के लिए अपनी नाक, अपनी पदवी, अपनी प्रतिष्ठा स्वामी दयानंद के मिशन से अधिक महत्वपूर्ण हैं।

भगवान इन सभी को सद्बुद्धि दीजिये। यही एक प्रार्थना है।

Wednesday, January 11, 2017

हिन्दू युवा तेजी से नास्तिक क्यों हो रहे है?



हिन्दू युवा तेजी से नास्तिक क्यों हो रहे है?

मेरे मित्र ने एक प्रश्न पूछा। हमारे देश के हिन्दू युवा बड़ी तेजी से नास्तिक क्यों बनते जा रहे है? इसका मुख्य कारण क्या है? उनकी हिन्दू धर्म की प्रगति में क्यों कोई विशेष रूचि नहीं दिखती?

यह बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न था। भारत के महानगरों से लेकर छोटे गांवों तक मुझे यह समस्या दिखी। इस प्रश्न के उत्तर में हिन्दू समाज का हित छिपा है। अगर इसका समाधान किया जाये तो भारत भूमि को संसार का आध्यात्मिक गुरु बनने से दोबारा कोई नहीं रोक सकता।

हिन्दू युवाओं के नास्तिक बनने के मुख्य चार कारण है।

1. हिन्दू समाज के धर्मगुरु में दूरदृष्टि की कमी होना है।
2. दूसरा कारण मीडिया में हिन्दू धर्मगुरुओं को नकारात्मक रूप से प्रदर्शित करना है।
3. हिन्दू विरोधी ताकतों द्वारा प्रचंड प्रचार है।
4. हिंदुओं में संगठन का अभाव
1. हिन्दू समाज के धर्मगुरु में दूरदृष्टि की कमी होना है।

हिन्दू समाज के धर्मगुरु अपने मठ बनाने में, धन जोड़ने में, पाखंड और अन्धविश्वास फैलाने में अधिक रूचि रखते है। हिन्दू समाज के युवाओं में ईसाई धर्मान्तरण,लव जिहाद, नशा, भोगवाद,चरित्रहीनता, नास्तिकता, अपने धर्मग्रंथों के प्रति अरुचि आदि समस्याएं दिख रही हैं। शायद ही कोई हिन्दू धर्मगुरु इन समस्याओं के निवारण पर ध्यान देता हैं। युवाओं की धर्म के प्रति बेरुखी का एक अन्य कारण उन्हें किसी भी धर्मगुरु द्वारा उचित मार्गदर्शन नहीं मिलना हैं। हिन्दू धर्मगुरु ज्यादा से ज्यादा करोड़ो एकत्र कर कोई बड़ा मंदिर बने लेंगे , अथवा कोई सत्संग कर लेंगे। इससे आगे समाज को दिशा निर्देश देने में उनकी कोई योजना नहीं दिखती।

2. दूसरा कारण मीडिया में हिन्दू धर्मगुरुओं को नकारात्मक रूप से प्रदर्शित करना है।

मीडिया की भूमिका भी इस समस्या को बढ़ाने में बहुत हद तक जिम्मेदार है। आशाराम बापू, शंकराचार्य का जेल भेजना, नित्यानंद की अश्लील सीडी, निर्मल बाबा और राधे माँ जैसे तथाकथित धर्मगुरुओं के कारनामों को मीडिया प्राइम टाइम, ब्रेकिंग न्यूज़, पैनल डिबेट आदि में घंटों, बार-बार, अनेक दिनों तक दिखाता हैं। जबकि मुस्लिम मौलवियों और ईसाई पादरियों के मदरसे में यौन शोषण, बलात्कार, मुस्लिम कब्रों पर अन्धविश्वास, चर्च में समलेंगिकता एवं ननों का शोषण, प्रार्थना से चंगाई आदि अन्धविश्वास आदि पर कभी कोई चर्चा नहीं दिखाता। इसके ठीक विपरीत मीडिया वाले ईसाई पादरियों को शांत, समझदार, शिक्षित, बुद्धिजीवी के रूप में प्रदर्शित करते हैं। मुस्लिम मौलवियों को शांति का दूत और मानवता का पैगाम देने वाले के रूप में मीडिया में दिखाया जाता है। मीडिया के इस दोहरे मापदंड के कारण हिन्दू युवाओं में हिन्दू धर्म और धर्मगुरुओं के प्रति एक अरुचि की भावना बढ़ने लगती हैं। ईसाई और मुस्लिम धर्म के प्रति उनके मन में श्रद्धाभाव पनपने लगता हैं। इसका दूरगामी परिणाम अत्यंत चिंताजनक है। हिन्दू युवा आज गौरक्षा, संस्कृत, वेद, धर्मान्तरण जैसे विषयों पर सकल हिन्दू समाज के साथ खड़े नहीं दीखते। क्योंकि उनकी सोच विकृत हो चुकी है। वे केवल नाममात्र के हिन्दू बचे हैं। हिन्दू समाज जब भी विधर्मियों के विरोध में कोई कदम उठाता है तो हिन्दू परिवारों के युवा हिंदुओं का साथ देने के स्थान पर विधर्मियों के साथ अधिक खड़े दिखाई देते हैं। हम उन्हें साम्यवादी, नास्तिक, भोगवादी, cool dude कहकर अपना पिंड छुड़ा लेते है। मगर यह बहुत विकराल समस्या है जो तेजी से बढ़ रही है। इस समस्या को खाद देने का कार्य निश्चित रूप से मीडिया ने किया है।

3. हिन्दू विरोधी ताकतों द्वारा प्रचंड प्रचार है।

भारत विश्व का एकमात्र ऐसा देश होगा जहाँ पर इस देश के बहुसंख्यक हिंदुओं से अधिक अधिकार अल्पसंख्यक के नाम पर मुसलमानों और ईसाईयों को मि;मिले हुए हैं। इसका मुख्य कारण जातिवाद, प्रांतवाद, भाषावाद आदि के नाम पर आपस में लड़ना है। इस आपसी मतभेद का फायदा अन्य लोग उठाते है। एक मुश्त वोट डाल कर पहले सत्ता को अपना पक्षधर बनाया गया। फिर अपने हित में सरकारी नियम बनाये गए। इस सुनियोजित सोच का परिणाम यह निकला कि सरकारी तंत्र से लेकर अन्य क्षेत्रों में विधर्मियों को मनाने , उनकी उचित-अनुचित मांगों को मानने की एक प्रकार से होड़ ही लग गई। परिणम की हिंदुओं के देश में हिंदुओं के अराध्य, परंपरा, मान्यताओं पर तो कोई भी टिका-टिप्पणी आसानी से कर सकता है। जबकि अन्य विधर्मियों पर कोई टिप्पणी कर दे तो उसे सजा देने के लिए सभी संगठित हो जाते है। इस संगठित शक्ति, विदेशी पैसे के बल पर हिंदुओं के प्रति नकारात्मक माहौल देश में बनाया जा रहा है। ईसाई धर्मान्तरण सही और शुद्धि/घर वापसी को गलत बताया जा रहा है। मांसाहार को सही और गोरक्षा को गलत बताया जा रहा है। बाइबिल/क़ुरान को सही और वेद-गीता को पुरानी सोच बताया जा रहा है। विदेशी आक्रांता गौरी-गजनी को महान और आर्यों को विदेशी बताया जा रहा है। इस षड़यंत्र का मुख्य उद्देश्य हिन्दू युवाओं को भ्रमित करना और नास्तिक बनाना है। इससे हिन्दू युवाओं अपने प्राचीन इतिहास पर गर्व करने के स्थान पर शर्म करने लगे। ऐसा उन्हें प्रतीत करवाया जाता है। हिन्दू समाज के विरुद्ध इस प्रचंड प्रचार के प्रतिकार में हिंदुओं के पास न कोई योजना है और न कोई नीति है।

4. हिंदुओं में संगठन का अभाव

हिन्दू समाज में संगठन का अभाव होना एक बड़ी समस्या है। इसका मुख्य कारण एक धार्मिक ग्रन्थ वेद, एक भाषा हिंदी, एक संस्कृति वैदिक संस्कृति और एक अराध्य ईश्वर में विश्वास न होना है। जब तक हिन्दू समाज इन विषयों पर एक नहीं होगा तब तक एकता स्थापित नहीं हो सकती। यही संगठन के अभाव का मूल कारण है। स्वामी दयानंद ने अपने अनुभव से भारत का भ्रमण कर हिंदुओं की धार्मिक अवनति की समस्या के मूल बीमारी की पहचान की और उस बीमारी की चिकित्सा भी बताई। मगर हिन्दू समाज उनकी बात को अपनाने के स्थान पर एक नासमझ बालक के समान उन्हीं का विरोध करने लग गया। इसका परिणाम अत्यंत विभित्स निकला। मुझे यह कहते हुए दुःख होता है कि जिन हिंदुओं के पूर्वजों ने मुस्लिम आक्रांताओं को लड़ते हुए युद्ध में यमलोक पंहुचा दिया था उन्हीं वीर पूर्वजों की मुर्ख सनातन आज अपनी कायरता का प्रदर्शन उन्हीं मुसलमानों की कब्रों पर सर पटक कर करती हैं। राम और कृष्ण की नामलेवा संतान आज उन्हें छोड़कर साईं बाबा और चाँद मुहम्मद की कब्रों पर शिरडी जाकर सर पटकती है। चमत्कार की कुछ काल्पनिक कहानिया और मीडिया मार्केटिंग के अतिरिक्त साईं बाबा में मुझे कुछ नहीं दीखता। मगर हिन्दू है कि मूर्खों के समान भेड़ के पीछे भेड़ के रूप में उसके पीछे चले जाते हैं। जो विचारशील हिन्दू है वो इस मूर्खता को देखकर नास्तिक हो जाते हैं। जो अन्धविश्वासी हिन्दू है वो भीड़ में शामिल होकर भेड़ बन जाते हैं। मगर हिंदुओं को संगठित करने और हिन्दू समाज के समक्ष विकराल हो रही समस्यों को सुलझाने में उनकी कोई रूचि नहीं है। अगर हिन्दू समाज संगठित होता तो हिन्दू युवाओं को ऐसी मूर्खता करने से रोकता। मगर संगठन के अभाव में समस्या ऐसे की ऐसी बनी रही।

इस उत्तर को पढ़कर पाठक अपने चारों और भ्रमित हो रहे हिन्दू युवाओं को बचाने का प्रयास करेगे। ऐसा मेरा पूर्ण विश्वास है। इस कार्य को करने के लिए स्वामी दयानंद कृत सत्यार्थ प्रकाश सबसे अनुपम ग्रन्थ है। इसके स्वाध्याय से आप युवाओं को तार्किक रूप से संतुष्ट कर धर्मशील बना सकते है।

डॉ विवेक आर्य

(सलग्न चित्र में एक सन्यासी नामधारी हिन्दू बाबा को दिखाया जा रहा है। यह व्यक्ति बिग बॉस में एक अर्धनग्न मॉडल के साथ स्विमिंग पुल में ड्रामा कर रहा है। इसकी इस हरकत से हिन्दू धर्म का न केवल मज़ाक उड़ रहा है अपितु हिन्दू युवाओं को यह प्रतीत होता है कि सभी हिन्दू बाबा ऐसे ही फालतू कार्य करते हैं। इस प्रकार के कार्यों से हिन्दू युवाओं में नास्तिकता को बढ़ावा मिलता है।)

Wednesday, January 4, 2017

स्वामी दयानंद और स्वामी विवेकानंद